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देवभूमि मंगलौर में BJP ने रच दिया इतिहास, कांग्रेसी Nizamuddin के छुड़ा दिये पसीने

शनिवार को जब बद्रीनाथ और मंगलौर सीट के नतीजे आए तो एक बार फिर बीजेपी को दोनों सीटें गंवानी पड़ गई।जिनमें एक सीट मंगलौर तो ऐसी सीट है, जहां हार कर भी बीजेपी जीत गई।
देवभूमि मंगलौर में BJP ने रच दिया इतिहास, कांग्रेसी Nizamuddin के छुड़ा दिये पसीने

जिस उत्तराखंड में बीजेपी ने कुछ ही दिनों पहले हुए लोकसभा चुनाव में क्लीनस्वीप करते हुए पांचों सीटों पर जीत का भगवा गाड़ दिया था। किसने सोचा था उसी उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों पर जब उप चुनाव होगा तो बीजेपी को हार का सामना करना पड़ जाएगा।शनिवार को जब बद्रीनाथ और मंगलौर सीट के नतीजे आए तो एक बार फिर बीजेपी को दोनों सीटें गंवानी पड़ गई,जिनमें एक सीट मंगलौर तो ऐसी सीट है, जहां हार कर भी बीजेपी जीत गई।

मंगलौर सीट पर हार कर भी कैसे जीत गई BJP

दरअसल देवभूमि उत्तराखंड की मंगलौर विधानसभा सीट, एक ऐसी सीट है जहां राज्य गठन के बाद पांच बार विधानसभा चुनाव हुए लेकिन एक बार भी बीजेपी को जीत नसीब नहीं हुई। तीन बार मायावती की बीएसपी और दो बार कांग्रेस ने जीत हासिल की, क्या कभी आपने सोचा है।ऐसा क्यों होता रहा है कि जिस उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। उसी देवभूमि की मंगलौर सीट पर हिंदुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी क्यों आज तक एक बार भी जीत हासिल नहीं कर सकी है।इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि मंगलौर विधानसभा सीट एक मुस्लिम बहुल सीट है और ये बात तो आप भी जानते हैं। कि बीजेपी से मुस्लिम समुदाय के एक खास वर्ग की नाराजगी कोई नई बात नहीं है.।यही वजह है कि बीजेपी मंगलौर सीट पर कभी जीत हासिल नहीं कर पाई, लेकिन इसके बावजूद मंगलौर उप चुनाव के जो नतीजे आए हैं।वो नतीजे बीजेपी के साथ साथ धामी सरकार के लिए भी किसी जीत से कम नहीं हैं, क्योंकि इन बाइस सालों में

  • पहली बार ऐसा हुआ है कि मंगलौर सीट पर बीजेपी महज 422 वोटों से हारी
  • पहली बार ऐसा हुआ है कि मंगलौर सीट पर बीजेपी दूसरे नंबर पर पहुंची है
  • पहली बार ऐसा हुआ है कि मंगलौर सीट पर BJP ने BSP को पछाड़ दिया

शनिवार को जब चुनावी नतीजे आए तो तीन बार के विधायक कांग्रेस उम्मीदवार काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने जीत तो हासिल कर ली, लेकिन ये जीत हासिल करने में भी कांग्रेसी निजामुद्दीन के पसीने छूट गये।यकीन नहीं तो उपचुनाव के नतीजे देख लीजिये।

मंगलौर उपचुनाव के नतीजे

  • कांग्रेस उम्मीदवार काजी मोहम्मद निजामुद्दीन को 31727 वोट पाकर जीत हासिल की
  • बीजेपी उम्मीदवार करतार सिंह भड़ाना 31305 वोट के साथ दूसरे नंबर पर रहे मिल
  • बीएसपी उम्मीदवार उबैदुर रहमान 19559 वोट पाकर तीसरे नंबर चले गये

चुनावी नतीजों में ये जो बीजेपी दूसरे नंबर पर दिख रही है। ये बीजेपी उम्मीदवार करतार सिंह भड़ाना और सीएम पुष्कर सिंह धामी का ही नतीजा है। जो महज 422 वोटों से बीजेपी को मंगलौर में हार मिली है, नहीं तो साल 2002 के बाद हुए छ चुनावों और उपचुनावों के नतीजों की बात करें तो।

  • साल 2002 में बीजेपी उम्मीदवार नागेंद्र कुमार 8298 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे
  • साल 2007 में बीजेपी उम्मीदवार हवलदार हरपाल सिंह 1302 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे
  • साल 2012 में बीजेपी उम्मीदवार कलीम 2061 वोट के साथ चौथे स्थान पर रहे
  • साल 2017 में बीजेपी उम्मीदवार ऋषिपाल बालियान 16964 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे
  • साल 2022 में बीजेपी उम्मीदवार दिनेश सिंह पवार 18763 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे

मंगलौर विधानसभा सीट पर हुए पिछले छ चुनाव के नतीजे बता रहे हैं, बीजेपी उस वक्त भी ये सीट नहीं जीत पाई जब अटल राज में उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड राज्य बना और आज यही बीजेपी सीएम पुष्कर सिंह धामी के राज में 1302 वोटों से सीधे 18 हजार 763 वोट पर पहुंच गई। वो भी ऐसे हालात में जब मंगलौर विधानसभा सीट एक मुस्लिम बहुल सीट मानी जाती है, यहां 55 फीसदी मुसलमान जबकि 45 फीसदी हिंदू हैं तो वहीं हिंदुओं में भी 22 फीसदी अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी मतदाता हैं। इस लिहाज से बीजेपी के लिए मंगलौर सीट पर जातीय समीकरण हमेशा से चुनौती भरे रहे हैं, यहां तक कि पिछले पांच चुनावों में तो बीजेपी मुकाबले में भी नहीं रही है।

तो वहीं बीएसपी विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन के बाद जब उपचुनाव हुआ तो पहली बार बीजेपी मुकाबले में रही और तीन बार के विधायक काजी मोहम्मद निजामुद्दीन को कड़ी टक्कर देते हुए महज 422 वोटों से चुनाव हार गई। लेकिन ये हार भी बीजेपी के लिए किसी जीत से कम नहीं है 1302 वोट से सीधे दूसरे नंबर पर बीजेपी पहुंची है तो कहीं ना कहीं इसके पीछे धामी सरकार की भी कम मेहनत नहीं है।

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