उमर अब्दुल्ला पर भड़के बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, कहा: आतंकी का पक्ष लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दे रहे हैं चुनौती
मनोज तिवारी ने उमर अब्दुल्ला पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि वह एक आतंकी का पक्ष लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहे हैं। मनोज तिवारी के अनुसार, उमर अब्दुल्ला का यह कदम न केवल कानून और संविधान का अपमान है बल्कि आतंकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई को कमजोर करने का प्रयास भी है।
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला एक बार फिर से विवादों में आ गए है। दरअसल हाल ही में उमर अब्दुल्ला ने अफजल गुरु पर एक बयान दिया है जिसपर बीजेपी सांसद मनोज तिवारी बिफर पड़े हैं। मनोज तिवारी ने उमर अब्दुल्ला पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि वह एक आतंकी का पक्ष लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहे हैं। मनोज तिवारी के अनुसार, उमर अब्दुल्ला का यह कदम न केवल कानून और संविधान का अपमान है बल्कि आतंकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई को कमजोर करने का प्रयास भी है।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब उमर अब्दुल्ला ने एक आतंकी के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए और इसे चुनौती देने की बात कही। कोर्ट ने एक आतंकी की फांसी की सजा को बरकरार रखा था, जिस पर उमर अब्दुल्ला ने आपत्ति जताई। उनका कहना था कि इस फैसले में मानवीयता की कमी है और इसे फिर से विचार करने की जरूरत है। अब उमर अब्दुल्ला के इस बयान पर मनोज तिवारी ने उनकी कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि उमर अब्दुल्ला का यह रवैया देश के लिए खतरा है और यह आतंकियों का मनोबल बढ़ाने का काम कर सकता है। तिवारी ने यह भी कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इस तरह की बयानबाजी न केवल जवानों के बलिदान का अपमान है बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी खतरनाक है।
मनोज तिवारी का कहना है कि कुछ राजनीतिक नेता आतंकवाद को धर्म या क्षेत्र के चश्मे से देखते हैं, जो कि बेहद खतरनाक है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता और उसे किसी भी सूरत में समर्थन नहीं मिलना चाहिए। उमर अब्दुल्ला का बयान इस बात को दर्शाता है कि वे इस मुद्दे पर देश की सुरक्षा और संविधान को नजरअंदाज कर रहे हैं।
हालांकि उमर अब्दुल्ला के समर्थक मानते हैं कि वह सिर्फ मानवाधिकारों की बात कर रहे हैं और किसी आतंकी के पक्ष में नहीं खड़े हैं। उनका कहना है कि हर किसी को न्याय पाने का अधिकार है, चाहे वह एक आम नागरिक हो या कोई अपराधी। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या आतंकवादियों को भी वही मानवीय अधिकार मिलने चाहिए जो एक आम नागरिक को मिलते हैं?
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में देश की एकता और अखंडता कितनी महत्वपूर्ण है। उमर अब्दुल्ला और मनोज तिवारी जैसे नेताओं के बयान इस बात की ओर इशारा करते हैं कि राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों के बावजूद, देश की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए।