UCC पर फंसी बीजेपी, नीतीश और नायडू ने टेंशन बढ़ाई | क्या दोनों अमित शाह की बात को मानेंगे?
बीजेपी अपनी तरफ से यूसीसी को लागू करने की पूरी कोशिश कर रही है। लेकिन नीतीश और नायडू पर दबाव नहीं बना पा रही है। नीतीश कुमार शुरू से ही इसके खिलाफ रहे हैं। पिछली बार जब वह बीजेपी के साथ गठबंधन में थे। तब उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि किसी भी कीमत पर इसे लागू नहीं होने देंगे।
केंद्र की मोदी सरकार UCC यानी समान नागरिक संहिता को देश के 14 बीजेपी शासित राज्यों में लागू करने के लिए पूरी तरीके से तैयार है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि उत्तराखंड में यह कानून पहले से ही लागू है। बाकी बीजेपी शासित अन्य राज्यों में भी लागू होना तय है। लेकिन बीजेपी के सामने एक बड़ी मुसीबत सामने आ रही है कि जिस राज्य में एनडीए गठबंधन के तहत किसी दूसरी पार्टी के मुख्यमंत्री हैं। वहां इसे कैसे लागू किया जाए। इनमें दो राज्यों में यह कानून लागू करने को लेकर मामला पूरी तरीके से फंसता नजर आ रहा। बिहार में नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश में चंद्र बाबू नायडू जो गैर बीजेपी मुख्यमंत्री हैं। दोनों ही नेता शुरू से ही इसके विरोध में है। वर्तमान में दोनों ही नेता केंद्र में मोदी सरकार के बाएं और दाहिने हाथ हैं। केंद्र की एनडीए सरकार दोनों नेताओं की बदौलत ही टिकी हुई है।
UCC बीजेपी के कई वर्षों के एजेंडे में रही
दरअसल, UCC बीजेपी के एजेंडे और चुनाव का लंबे समय तक हिस्सा रही है। पिछले चुनाव की तरह 2024 के चुनाव के घोषणा पत्र में भी यह एजेंडा शामिल था। बीजेपी ने कहा है कि "जब तक भारत समान नागरिक संहिता नहीं होता। तब तक लैगिंक समानता नहीं हो सकती।"
स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने भी किया था जिक्र
बीते स्वतंत्रता दिवस पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से यूसीसी पर जोर देकर कहा था कि "हमारे देश में कोर्ट ने भी बार-बार यूसीसी की चर्चा की है। अनेक बार आदेश दिए हैं। क्योंकि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग यह मानता है कि जिस सिविल कोड में हम जी रहे हैं। वह सचमुच एक भेदभाव करने वाला है। जो कानून धर्म के आधार पर बांटते हैं। वो ऊंच नीच का कारण बन जाते हैं। उन कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता। अब देश की मांग है कि देश में सेकुलर कोड हो।" ऐसा पहली बार नहीं हुआ। मोदी ने कई अन्य रैलियों में भी अपने तरीके से इस कोड को समझाने की पूरी कोशिश की है।
क्या नीतीश-नायडू को मना पाएगी बीजेपी ?
बीजेपी अपनी तरफ से यूसीसी को लागू करने की पूरी कोशिश कर रही है। लेकिन नीतीश और नायडू पर दबाव नहीं बना पा रही है। नीतीश कुमार शुरू से ही इसके खिलाफ रहे हैं। पिछली बार जब वह बीजेपी के साथ गठबंधन में थे। तब उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि किसी भी कीमत पर इसे लागू नहीं होने देंगे। नीतीश कुमार कई बार इसको लेकर केंद्र सरकार को पत्र भी लिख चुके है। वहीं भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने जब यूसीसी को लागू करने की बात कही। तो इस दौरान नीतीश कुमार ने कहा था कि इसे बिहार में लागू नहीं होने देंगे। बीजेपी नेता सुशील मोदी ने उस दौरान सफाई दी थी और कहा था पार्टी द्वारा किसी भी तरह से दबाव नहीं बनाया जाएगा। फिलहाल अमित शाह इसे लागू करने के मूड में हैं। लेकिन बीजेपी अपने सहयोगी दलों पर कितना दबाव डाल पाती है। यह देखने वाली बात होगी। जिस तरह से यूसीसी को लेकर नीतीश कुमार का स्टैंड रहा है। वैसा ही कुछ चंद्रबाबू नायडू यानी टीडीपी का है। जब देश में यूसीसी को लेकर चर्चा चल रही थी। तो उस दौरान राज्य के मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने नायडू से मुलाकात की थी। चंद्रबाबू नायडू ने उस वक्त वादा किया था कि वह हमेशा मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए खड़े हैं। उनकी पार्टी मुस्लिम हितों के खिलाफ कोई भी कदम नहीं उठाएगी। केंद्र की मोदी सरकार जेडीयू और टीडीपी के सहारे ही टिकी हुई है। हालांकि अभी तक बीते 6 महीनों के कार्यकाल में दोनों ही पार्टी के नेताओं ने खुलकर किसी भी मुद्दे पर अपना विरोध नहीं जताया है। बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। भले ही ज्यादातर सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ेगी। लेकिन महाराष्ट्र जैसा अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री का फार्मूला अपनाना बीजेपी के लिए किसी खतरे से कम नहीं होगा। अगर ऐसा होता है। तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। हालांकि यूसीसी पर नीतीश कुमार ने विधि आयोग को एक लेटर भी लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि हम इसके खिलाफ नहीं है लेकिन विचार विमर्श की जरूरत है। फिलहाल यूसीसी पर आगे क्या कुछ होगा। यह केंद्र सरकार के लिए एक सस्पेंस और डराने वाला फैसला है।
यूसीसी पर अमित शाह का पक्ष
राज्यसभा में दिए गए भाषण से पहले अमित शाह ने यूसीसी पर कहा था कि "हमने उत्तराखंड में एक प्रयोग किया है। जहां हमारी बहुमत वाली सरकार है। ये केंद्र के साथ-साथ राज्यों से भी जुड़ा विषय है। मेरा मानना है कि समान नागरिक संहिता एक बड़ा सामाजिक कानूनी,धार्मिक सुधार है।"
बीजेपी ही नहीं जनसंघ के नेता ने भी उठाया था यह मुद्दा
बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि बीजेपी यह मुद्दा उठा रही है। एक जमाने में जनसंघ के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भी यूसीसी मुद्दे को उठाया था। बीजेपी सांसद इसके लिए प्राइवेट बिल भी ला चुके हैं।