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एक अफवाह से जल उठा Britain, अंग्रेजों ने मुसलमानों को दौड़ा लिया

Britain के हालात इतने खराब होते जा रहे हैं जिसे देख कर लगता है ब्रिटेन वालों ने कसम खा ली है कि शरणार्थी मुसलमानों को अपने देश से खदेड़ कर ही दम लेंगे लीवरपूल, हल, ब्रिस्टल, मैनचेस्टर, ब्लैकपूल, बेलफास्ट जैसे कई शहर हैं, जहां सरेआम सड़कों पर हिंसा का तांडव हो रहा है। ब्रिटेन के लोगों और शरणार्थियों के बीच मारपीट हो रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि ब्रिटेन में क्यों भड़के इस तरह के दंगे।
एक अफवाह से जल उठा Britain, अंग्रेजों ने मुसलमानों को दौड़ा लिया
Britain : अंग्रेजों की धरती Britain जल रहा है। जहां देखिये वहां सड़कों पर चारों तरफ मारकाट मची हुई है। ब्रिटेन में शरण लिये मुसलमानों को ब्रिटेन को लोग ही दौड़ा दौड़ा कर मार रहे हैं।हालात इतने खराब होते जा रहे हैं जिसे देख कर लगता है ब्रिटेन वालों ने कसम खा ली है कि।शरणार्थी मुसलमानों को अपने देश से खदेड़ कर ही दम लेंगे। लीवरपूल। हल। ब्रिस्टल। मैनचेस्टर। ब्लैकपूल। बेलफास्ट जैसे कई शहर हैं। जहां सरेआम सड़कों पर हिंसा का तांडव हो रहा है। ब्रिटेन के लोगों और शरणार्थियों के बीच मारपीट हो रही है।ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि ।


ब्रिटेन में क्यों भड़के इस तरह के दंगे ?

दरअसल ब्रिटेन के साउथपोर्ट शहर में कुछ ही दिनों पहले मशहूर सिंगर टेलर स्विफ्ट की थीम वाली डांस पार्टी के दौरान तीन मासूम बच्चियों को सरेआम चाकू मार कर मौत के घाट उतार दिया गया था।  इस वारदात के बाद से ही ब्रिटेन के कई शहर दंगों की आग में जल रहे हैं। क्योंकि इन मासूम बच्चियों की हत्या का आरोप ब्रिटेन में शरण लिये किसी मुस्लिम शरणार्थी पर लग रहा है। यही वजह है कि शरणार्थियों के खिलाफ सड़कों पर खुलेआम विरोध प्रदर्शन हो रहा है। ये हाल है उस ब्रिटेन का जिसने कभी दुनिया पर राज किया। और आज उसी घर दंगे की आग में जल रहा है। पिछले तेरह साल में पहली बार इस तरह के दंगे हो रहे हैं। जिसे संभालना नए नए प्रधानमंत्री बने कीर स्टार्मर के लिए भी एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है। उन्होंने देश में भड़के हालात के बीच प्रधानमंत्री आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर इमरजेंसी मीटिंग भी बुलाई। जहां दंगे को लेकर चर्चा की गई। और मीटिंग के बाद एक बयान में कहा। "इस देश में लोगों को सुरक्षित रहने का हक है इसके बावजूद हमने देखा कि मुस्लिम समुदायों पर निशाना बनाया गया, मस्जिदों पर हमले हुए, दूसरे अल्पसंख्यक समूहों को निशाना बनाया गया, सड़कों पर नाजी सैल्यूट दिया गया, पुलिस पर हमले हुए, नस्लीय नारों के साथ हिंसा की गई, इसलिये मुझे इसे धुर दक्षिणपंथियों की बेरहम हिंसा कहने में कोई हिचक नहीं है "

ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर का ये बयान बता रहा है कि उन्होंने हिंसा का ठीकरा दक्षिणपंथी समूहों यानि राइट विंग ग्रुप पर फोड़ दिया। क्योंकि इस हिंसा का आरोप शरणार्थी मुसलमानों का विरोध करने वाले english defense league पर लग रहा है। जिससे जुड़े टॉमी रॉबिनसन लगातार मुस्लिम शरणार्थियों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं।
एक अफवाह ने ब्रिटेन जला दिया।

दरअसल ब्रिटेन आज जिस तरह से दंगे की आग में झुलस रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह अफवाह है। क्योंकि डांस पार्टी में मारी गई तीन मासूम बच्चियों की हत्या का आरोप मुस्लिम शरणार्थी पर लगाया गया। जिसके बाद मुस्लिम शरणार्थियों के खिलाफ सड़कों पर हिंसा का तांडव शुरू हो गया। मुसलमानों को खदेड़ा जाने लगा। जबकि हकीकत ये है कि तीनों बच्चियों की जान लेना वाला 17 साल का आरोपी है। जिसका नाम एक्सेल मुगनवा रुदाकुबाना है। अदालत की ओर से बैन हटाने के बाद मुख्य आरोपी रुदाकुबाना का नाम सार्वजनिक किया गया। आरोपी लंकाशायर के बैंक्स का रहने वाला है। जिस पर हत्या के मामले में तीन और हत्या की कोशिश के मामले में दस आरोप लगाए गये हैं।

क्या भारत में भी बिगड़ेंगे हालात ?

एक अफवाह ने किस कदर ब्रिटेन के हालात खराब कर दिये। शहर के शहर दंगों की आग में झुलसने लगे। चारों तरफ सड़कों पर तांडव होने लगा। इसी बात से समझ सकते हैं कि एक अफवाह कितनी खतरनाक हो सकती है।  भारत में भी साल 2020 में कुछ ऐसा ही देखने को मिला था। जब सीएए एनआरसी के नाम पर देश को दंगे की आग में झोंक दिया गया था। सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून में संशोधन किया तो। तो कुछ कट्टरपंथी मुसलमानों के साथ ही विपक्ष भी ये अफवाह फैलाने लगा कि मोदी सरकार मुसलमानों की नागरिकता छीनना चाहती है। जबकि हकीकत ये है कि आजतक एक भी मुसलमान की नागरिकता नहीं छीनी गई। और अब जब ऐसी खबरें आ रही हैं कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड के कानून में संशोधन करने वाली है तो। एक बार फिर कुछ कट्टरपंथी मुसलमान धमकी देने पर उतारू हो गये हैं। अखिल भारतीय इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने तो यहां तक धमकी दे दी कि। "वक्फ को समझना जरूरी है, यह हमारे भले के लिए है और सरकार ने संवैधानिक तौर पर हमें वक्फ का अधिकार दिया है, अभी मुसलमान खामोश है, अब मुसलमानों को सड़क पर आना होगा, जैसे किसानों ने बलिदान देकर तीन कानून वापस करवाए थे वैसे ही अब मुसलमानों को सड़कों पर आकर अपने हक की लड़ाई संवैधानिक तौर पर लड़नी होगी"

मौलाना साजिद रशीदी का ये बयान बता रहा है कि मोदी सरकार अगर वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन करती है तो उसके खिलाफ किस कदर मुसलमानों को सड़क पर उतरने के लिए उकसाया जा रहा है। जबकि कई मौलाना ऐसे भी हैं जो सरकार के इस संभावित कदम का विरोध नहीं बल्कि समर्थन करते हैं।

ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष इमाम उमर अहमद इलियासी ने वक्फ बोर्ड मामले में मुसलमानों को भड़काने की बजाए उन्हें समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि इससे पहले भी वक्फ बोर्ड में संशोधन हुए हैं। ये कोई नई बात नहीं है। जबकि साजिद रशीदी जैसे मौलाना वक्फ बोर्ड के नाम पर मुसलमानों को भड़काने की कोशिश करते हुए नजर आए। और अगर सीएए के नाम पर वक्फ बोर्ड को लेकर भी अफवाह उड़ाई गई तो भारत में भी ब्रिटेन जैसे हालात हो सकते हैं। जहां तीन बच्चियों की हत्या को लेकर उड़ी अफवाह की वजह से ब्रिटेन के लोग मुस्लिम शरणार्थियों के विरोध में उतर आए हैं। 
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