'नहीं रूकेगा बुलडोजर' Supreme Court ने सोमनाथ मंदिर के पास तोड़फोड़ रोकने से कर दिया इनकार
सोमनाथ मंदिर के आसपास अवैध इदगाह और दरगाह को हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि सोमनाथ मंदिर के आस-पास तोड़फोड़ की कार्रवाई चलती रहेगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को खरी खोटी भी सुनाई औऱ कहा कि अगर हमें पता चलता है कि गुजरात सरकार ने कोर्ट के आदेश की अवमानना की है तो ढांचों को पुनर्निर्माण कराना पड़ेगा।
गुजरात के सोमनाथ मंदिर के आस-पास बुलडोजर चलाया जा रहा है। मंदिर के पास दरगाह औऱ ईदगाह समेत कथिक अवैध निर्माण को जमींदेज किया जा रहा है। इनमें 100 साल पुरानी मस्जिद भी शामिल है। जिसपर मुस्लिम समुदाय सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि ये कोर्ट की अवमानना है। अब इसपर सुप्रीम अदालत ने सुप्रीम बात कही है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि सोमनाथ मंदिर के आस-पास तोड़फोड़ की कार्रवाई चलती रहेगी। दरअसल गुजरात सरकार ने कहा कि समुद्र के किनारे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया गया था। अब उसे ही हटाने की कार्रवाई की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को खरी खोटी भी सुनाई है। और चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर हमें पता चलता है कि गुजरात सरकार ने कोर्ट के आदेश की अवमानना की है तो हम यथास्थिति बहाल करने का आदेश देंगे। अग कोर्ट द्वारा दिए गए 17 सितंबर के आदेश का अगर उल्लंघन हुआ तो गिराए गए ढांचो को फिर बनाने का आदेश दिया जाएगा।
गुजरात सरकार का पक्ष
सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार की तरफ से एसजी तुषार मेहता ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि प्राची पाटन समुद्र तट से सटी सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए कानून के अनुसार सख्ती से तोड़फोड़ अभियान चलाया गया। अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही 2023 में शुरू हुई और सभी प्रभावित व्यक्तियों को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिया गया। उन्होंने कहा कि अतिक्रमित क्षेत्र सोमनाथ मंदिर से सिर्फ 360 मीटर दूर है और समुद्र तट से सटा हुआ है, जो एक जलाशय है। जब हेगड़े ने बार-बार बुलडोजर अभियान पर रोक लगाने और संपत्तियों की यथास्थिति बनाए रखने की मांग की, तो एसजी तुषार मेहता ने कहा कि गुजरात सरकार प्रत्येक आरोप पर विस्तृत जवाब दाखिल करेगी। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने इस तथ्य को छिपाया है कि कुछ प्रभावित लोग हाईकोर्ट गए थे और विस्तृत सुनवाई के बाद अभियान पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
बता दें कि 'सुम्मस्त पाटनी मुस्लिम जमात नाम के मुस्लिम संगठन ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े के माध्यम से आरोप लगाया कि 28 सितंबर को तड़के नौ धार्मिक ढांचों को गिराने के लिए अभियान चलाया गया। इनमें मस्जिद, दरगाह और मकबरे शामिल हैं, साथ ही यहां का कामकाज देखने वाले 45 लोगों के घर पर भी एक्शन हुआ है। संगठन ने आईएएस अधिकारी राजेश मुंजू के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की, जिन्होंने यह अभियान चलाया।