Modi विरोध में पत्रकारों को चमचा कहना Rahul Gandhi को पड़ा भारी, अब पत्रकारों ने दिया मुंहतोड़ जवाब
राहुल गांधी को टीशर्ट में देख कर कुछ पत्रकार इस कदर चरणवंदना में लग गये थे कि जैसे मानो उनके लिए यही पत्रकारिता रह गई हो। पत्रकार अजीत अंजुम ने तो राहुल गांधी की तारीफ में कह दिया - यार इस बंदे को ठंड क्यों नहीं लग रही है, सब कोट और जैकेट में हैं, ये बंदा हाफ टीशर्ट में दिख रहा है ।हिंदुस्तान टाइम्स के पत्रकार विनोद शर्मा ने भी ट्वीट में लिख दिया - ऐसा कैसे है कि राहुल गांधी कड़ाके की ठंड में सिर्फ एक टी-शर्ट से काम चला रहे हैं ?बात यहीं खत्म नहीं होती, द वायर वालीं आरफा खानम शेरवानी तो राहुल गांधी की यात्रा के दौरान इस्तेमाल किये जाने वाले टॉयलेट की रिपोर्टिंग करने लगी थीं और राहुल की तारीफ में कहने लगी थीं - कागजी शेरों के बारे में तो बहुत सुना है लेकिन कंपकंपाती ठंड में आधी बाजू की टी-शर्ट पहनने वाला ही असली 56 इंची है ।
तब तो राहुल गांधी के लिए ये पत्रकार चमचा या चमची नहीं थे, क्योंकि ये पत्रकार उनकी चरण वंदना में लगे हुए थे । लेकिन जैसे ही कुछ पत्रकारों ने लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी का इंटरव्यू लिया, तो राहुल गांधी इस कदर बौखला गये कि मोदी से नफरत में पत्रकारों को ही चमचा चमची कहने लगे।
अब तक सत्तर से भी ज्यादा इंटरव्यू दे चुके पीएम मोदी कई पत्रकारों से बातचीत के दौरान ये बात कह चुके हैं कि- पहले जब तक मां जिंदा थी मुझे लगता था की शायद जैविक रूप से मुझे जन्म दिया गया है, मां के जाने के बाद सारे अनुभव को मैं जोड़ कर देखता हूं तो मैं कन्विंस हो चुका हूं, शायद मैं गलत हो सकता हूं, आलोचक, लेफ्ट लोग तो मेरी धज्जियां उड़ा देंगे, मेरे बाल नोच लेंगे, मैं कन्विंस हो चुका हूं कि परमात्मा ने मुझे भेजा है ।
पीएम मोदी की इसी बात से राहुल गांधी इस कदर बौखला गये कि पत्रकारों को ही चमचा कहने लगे, फिर क्या पत्रकारों ने भी उनकी धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पत्रकार रुबिका लियाकत ने लिखा - राहुल गांधी जी ‘चमची-चमचा वातावरण’ से बाहर निकलिए, उस जमाने को गुजरे बरसों हो गए हैं, क्या हुआ आपकी मुहब्बत की दुकान का? न भाषा में संयम, न मर्यादा, इतनी कुंठा क्यूं? दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपके सलाहकारों ने आपको राजनेता की बजाए ट्रोलर बना दिया, पीएम ने अब तक 71 साक्षात्कार दे दिए हैं, हर सवाल उनसे पूछा गया है, महंगाई से लेकर घुसपैठियों वाले बयान तक, चीन से लेकर पाकिस्तान, देश से लेकर विदेश तक, पत्रकार का धर्म है सवाल पूछना, हम हर किस्म का सवाल पूछेंगे, आप को किसने रोका है? आप केवल एक दे दीजिए, आप अपनी राजनीति पर ध्यान केंद्रित कीजिए, पत्रकारिता से आपको चुनाव नहीं लड़ना है, चुनाव मोदी से लड़ना है, और हां, मेरा नाम रुबिका लियाकत है, नाम अगली बार पर्ची पर लिखकर ले जाइएगा ।
एबीपी न्यूज के पत्रकार मोहम्मद मोईन ने भी इस मामले पर लिखा- रुबिका लियाकत देश की बेटी हैं, देश की आवाज हैं, बेबाक- निडर और निष्पक्ष पत्रकार हैं, मुस्लिम होने के बावजूद लकीर की फकीर नहीं हैं, इसलिए भरी सभा में मोहब्बत की दुकान के रखवाले उन्हें चमची कहकर उपहास कर रहे हैं, दूसरी तरफ बात- बात में भावनाएं आहत होने का रोना रोने वाली फौज एक बेबाक पत्रकार- एक महिला - एक मुसलमान - एक राष्ट्रवादी के उपहास और उसके अपमान की निंदा व आलोचना के बजाय चमची वाले वीडियो को वायरल कर धृतराष्ट्र और दुर्योधन बन मजे ले रही है, बात मोहब्बत की दुकान से निकली है, लिहाजा न तो यह महिला का अपमान है और न मुसलमान का, द्वापर युग के महाभारत काल के चीरहरण कांड का कलियुगी रूप नहीं है यह ?
एक और पत्रकार अमन चोपड़ा ने राहुल गांधी के बयान पर लिखा - राहुल जी आपसे सहानुभूति है, पत्रकारों के लिए ऐसी भाषा आपकी हताशा का परिचायक है, शायद आपको 2014 के अपने इंटरव्यू के बुरे सपने अभी भी आते होंगे वरना आप अपने ‘चमचे चमचियों’ को तो इंटरव्यू देते, सवाल उठाने से पहले सवालों का सामना करने की हिम्मत जुटाइये ।
पीएम मोदी से पत्रकारों के सवाल पर तंज मारते हुए उन्हें चमचा कहने वाले राहुल गांधी को कुछ इसी तरह से पत्रकारों ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया।और साथ ही साथ राहुल गांधी को भी चैलेंज दे दिया कि कम से कम आप भी इंटरव्यू दीजिये।और सवालों का सामना करने की हिम्मत जुटाइये, वैसे आपको बता दें राहुल गांधी की तो आदत बन चुकी है। जब भी कोई पत्रकार उनसे सख्त सवाल करता है तोराहुल गांधी उस पत्रकार को ही बीजेपी का एजेंट बता देते हैं।
राहुल गांधी से पत्रकारों से उनकी चिढ़ कोई नई बात नहीं है। कोई पत्रकार तीखा सवाल पूछ देता है तो राहुल गांधी के लिए वो बीजेपी का एजेंट हो जाता है।और जब कोई पत्रकार पीएम मोदी से सवाल करता है तो राहुल गांधी उन पत्रकारों को चमचा कहने लगते हैं। जिसे देख कर लग रहा है कि राहुल गांधी यही तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें मोदी से लड़ना है या फिर पत्रकारों से।