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क्या ममता सरकार बंगाल में वक्फ कानून लागू होने से रोक सकती हैं, क्या कहता है संविधान ?

Waqf Amendment Act के विरोध के बहाने सड़कों पर उतरे मुसलमानों ने ऐसा हिंसक प्रदर्शन किया जिसमें तीन हिंदुओं की जान चली गई... तो वहीं सीएम ममता बनर्जी ने इन दंगाइयों को रोकने के लिए ऐलान कर दिया कि हम वक्फ संशोधन कानून बंगाल में लागू ही नहीं होने देंगे… जिस पर बीजेपी के फायरब्रांड प्रवक्ता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने भी उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया है !
क्या ममता सरकार बंगाल में वक्फ कानून लागू होने से रोक सकती हैं, क्या कहता है संविधान ?
जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून यानि सीएए के विरोध के नाम पर बंगाल के साथ साथ देश के कई राज्यों में हिंसा और तांडव का खेल खेला गया. कुछ उसी तरह का खेल इस बार वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर खेला जा रहा है. जिसकी शुरुआत सीएम ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल से हो गई है. जहां वक्फ संशोधन कानून के विरोध के बहाने सड़कों पर उतरे मुसलमानों ने ऐसा हिंसक प्रदर्शन किया जिसमें तीन हिंदुओं की जान चली गई. तो वहीं सीएम ममता बनर्जी ने इन दंगाइयों को रोकने के लिए ऐलान कर दिया कि हम वक्फ संशोधन कानून बंगाल में लागू ही नहीं होने देंगे। जिस पर बीजेपी के फायरब्रांड प्रवक्ता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने भी उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया है.

वक्फ कानून के विरोध के नाम पर दंगाई जब बंगाल जलाने की कोशिश में लगे हुए थे. तब उनके खिलाफ सख्ती से निपटने की बजाए पश्चिम बंगाल की ममता सरकार उन्हें आश्वासन देने में लगी हुई थी कि अरे भाई क्यों दंगा कर रहे हो. ये कानून तो हमने बनाया ही नहीं है इसे मोदी सरकार ने बनाया है और हम इसे अपने राज्य में लागू ही नहीं होने देंगे। तो फिर आप लोग विरोध किस बात कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही बयान जारी करते हुए खुद सीएम ममता बनर्जी ने बंगाल के मुसलमानों से कहा कि "जिस कानून के खिलाफ लोग भड़के हुए हैं, वह हमने नहीं बनाया, यह कानून केंद्र सरकार ने बनाया है, इसलिए जो जवाब आप चाहते हैं, वह केंद्र सरकार से मांगा जाना चाहिए, हमने इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है - हम इस कानून का समर्थन नहीं करते, यह कानून हमारे राज्य में लागू नहीं होगा तो दंगा किस बात का?


वक्फ कानून के विरोध के नाम पर हिंसा को अंजाम दे रहे दंगाइयों को रोकने के लिए सीएम ममता ने उन्हें आश्वासन तो दे दिया कि ये मोदी सरकार का कानून है इसे हम बंगाल में लागू ही नहीं करेंगे। लेकिन ये आश्वासन देने से पहले सीएम ममता बनर्जी लगता है गृहमंत्री अमित शाह का वो बयान भूल गईं जब उन्होंने संसद में खड़े होकर ऐलान किया था कि संसद से पास कानून सबको मानना ही पड़ेगा।

गृहमंत्री अमित शाह ने वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान ही साफ कर दिया था कि देश के हर नागरिक को वक्फ संशोधन कानून मानना ही पड़ेगा। तो वहीं अब बंगाल बवाल के बीच बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने भी सीएम ममता को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि कोई भी राज्य संसद द्वारा पारित, केंद्र द्वारा मंजूर और राष्ट्रपति के द्वारा नोटिफिकेशन किये गए वक्फ अधिनियम के क्रियान्वयन से इनकार नहीं कर सकता।
 
गृहमंत्री अमित शाह से लेकर सुधांशु त्रिवेदी तक. तमाम बीजेपी नेता दावा कर रहे हैं कि देश के हर राज्य को वक्फ संशोधन कानून मानना ही पड़ेगा. तो वहीं दूसरी तरफ सीएम ममता बनर्जी बंगाल के मुसलमानों को आश्वासन दे रही हैं कि हम ये कानून राज्य में लागू ही नहीं करेंगे. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि

क्या CM ममता बंगाल में वक्फ कानून रोक पाएंगी ?
संसद से पास कानून पर क्या कहता है संविधान ?
अगर ममता ने नहीं लागू किया कानून तो क्या होगा ?

सीएम ममता बनर्जी भले ही बंगाल के मुसलमानों को आश्वासन दे रही हों कि हम वक्फ संशोधन कानून बंगाल में लागू नहीं होने देंगे। जबकि संविधान कहता है कि राज्यों के पास संसद से पास कानून लागू करने से मना करने का कोई अधिकार नहीं है.

संसद में बने कानून पर क्या कहता है संविधान ?

संविधान के अनुच्छेद 256 में स्पष्ट प्रावधान दिया गया है कि संसद से पारित कानून को अपने यहां लागू करने से कोई भी राज्य सरकार मना नहीं कर सकती है, अगर कोई राज्य सरकार संसद से पारित कानून को अपने यहां लागू नहीं करती है तो केंद्र सरकार को अनुच्छेद 256 के तहत राज्य सरकार को इसका निर्देश देने का अधिकार है और अगर केंद्र सरकार की तरफ से दिए गए निर्देश को कोई राज्य सरकार नहीं मानती तो संविधान के अनुच्छेद 365 के तहत इसे एक संवैधानिक संकट माना जाएगा, ऐसी स्थिति में राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने पर भी विचार किया जा सकता है

देश के संविधान में साफ तौर पर बताया गया है कि संसद से पारित कानून लागू होने से कोई भी राज्य इंकार नहीं कर सकता। फिर वो चाहे पश्चिम बंगाल की सरकार ही क्यों ना हो. और अगर राज्य सरकार कानून लागू करने से इंकार भी करती है तो केंद्र सरकार राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने पर भी विचार कर सकती है. इतना ही नहीं अगर कोई राज्य सरकार संसद की तरफ से पारित कानून से अलग कोई कानून बनाना भी चाहती है तो अनुच्छेद 254 के तहत उसे इसके लिए राष्ट्रपति से अनुमति लेनी पड़ेगी। राष्ट्रपति की अनुमति के बिना राज्य की विधानसभा से बना कानून प्रभावी नहीं हो सकता। इसी बात से समझ सकते हैं कि बंगाल की ममता सरकार का ये दावा कमजोर दिखाई दे रहा है कि वो अपने राज्य में वक्फ संशोधन कानून लागू नहीं होने देंगी . और अगर कोशिश भी करती है तो बंगाल में राष्ट्रपति शासन लग सकता है. 
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