LAC के पास चीन का मिसाइल टेस्ट, क्या भारत के लिए खतरे की घंटी?
चीन की सेना ने हाल ही में लद्दाख के कराकोरम पठार के पास भारतीय एलएसी के समीप एक मिसाइल परीक्षण किया है, जिसे विशेषज्ञों द्वारा भारत को संदेश देने की रणनीति माना जा रहा है। इस परीक्षण में एक सबसोनिक क्रूज मिसाइल को 5,300 मीटर की ऊंचाई पर मार गिराया गया। इस मिसाइल टेस्ट को ऐसे समय पर अंजाम दिया गया जब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर बातचीत चल रही थी।
चीन और भारत के बीच सीमा विवाद और तनावपूर्ण संबंध कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल ही में चीन द्वारा लद्दाख में भारतीय वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास किए गए मिसाइल परीक्षण ने दोनों देशों के रिश्तों में फिर से हलचल मचा दी है। इस परीक्षण को लेकर कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह चीन द्वारा भारतीय सेना को दबाव में लाने की एक सोची-समझी रणनीति है। आइए, इस घटना से समझने कि कोशिश करते है कि आखिर इसके पीछे चीन की मंशा क्या हो सकती है।।
चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने 29 अगस्त को जानकारी दी कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने कराकोरम पठार के पास, भारतीय एलएसी से कुछ ही दूरी पर एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण किया। यह परीक्षण PLA के शिंजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक द्वारा अंजाम दिया गया, जो पश्चिमी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। इस परीक्षण के दौरान एक सबसोनिक क्रूज मिसाइल को 5,300 मीटर की ऊंचाई पर मार गिराया गया। इस परीक्षण को चीन के सशस्त्र बलों की बढ़ती ताकत और उसकी मिसाइल डिफेंस क्षमताओं के प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
सबसे खास बात यह है कि यह मिसाइल परीक्षण उसी दिन हुआ जब भारत और चीन के बीच बीजिंग में सीमा विवाद को लेकर 31वें दौर की बातचीत चल रही थी। इससे यह साफ नजर आता है कि चीन ने यह परीक्षण एक संदेश के रूप में किया है, ताकि वह बातचीत के दौरान अपनी ताकत का प्रदर्शन कर सके।
दबाव बनाने की कोशिश या बातचीत की रणनीति?
चीन के विशेषज्ञों के मुताबिक, यह परीक्षण केवल PLA की सैन्य क्षमता को दिखाने का प्रयास नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक विशेष राजनीतिक संदेश भी छुपा हुआ है। फूदान विश्वविद्यालय के डिप्टी डायरेक्टर, लिन मिनवांग का कहना है कि यह परीक्षण चीन की प्रतिरोधक रणनीति का हिस्सा है। उनका मानना है कि अगर चीन और भारत के बीच किसी भी तरह की बातचीत सफल होती है, तो दोनों देशों को अपने-अपने दबाव को बनाए रखना होगा। इसी कारण चीन ने यह परीक्षण उस समय किया, ताकि वह भारतीय वार्ताकारों पर दबाव डाल सके और अपनी शर्तों को बातचीत के दौरान मजबूती से रख सके।
ब्रह्मोस मिसाइल पर निशाना?
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का यह मिसाइल परीक्षण भारत की ब्रह्मोस मिसाइल के जवाब के रूप में देखा जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल को भारतीय सेना ने बड़ी संख्या में चीन की सीमा पर तैनात किया है, जो दोनों देशों के बीच तनाव का एक बड़ा कारण है। चीन के सैन्य विश्लेषक सोंग झोंगपिंग का कहना है कि PLA का यह परीक्षण भारत को यह दिखाने के लिए किया गया कि चीन के पास ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों को भी मार गिराने की क्षमता है। सोंग के अनुसार, "यह परीक्षण एक तरह से शक्ति की गारंटी है, ताकि चीन के वार्ताकारों को बातचीत में समर्थन मिल सके।"
चीन के इस परीक्षण के बाद आने वाले दोनों में दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ एक सैन्य अभ्यास था, जिसका सीधा लक्ष्य भारत को धमकाना नहीं था। लेकिन फिर भी, जिस समय और स्थान पर यह परीक्षण किया गया, उससे यह साफ जाहिर होता है कि चीन अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में भारत किस तरह से इस स्थिति का सामना करेगा। क्या दोनों देश बातचीत से विवाद सुलझाएंगे या फिर यह परीक्षण संबंधों को और खराब करेगा?
वैसे आपको बता दें कि रूस के कजान में BRICS सम्मेलन होने जा रहा है और उससे पहले भारत और चीन के बीच बातचीत का दौर भी बढ़ा है। यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर भारत और चीन के बीच रिश्तों में नरमी आती है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात भी हो सकती है। हालांकि, PLA के इस मिसाइल परीक्षण ने इन संभावनाओं पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। अब यह भारत पर निर्भर करेगा कि वह इस परीक्षण को किस नजरिए से देखता है और इसके जवाब में क्या कदम उठाता है।