Yogi के फैसले पर Chirag Paswan ने उठाए सवाल, दिया चौंकाने वाला बयान
योगी के फैसले के खिलाफ खड़े हुए चिराग पासवान
यूं कहे की योगी के इस आदेश से राजनीतिक माहौल गर्माया गया है।अखिलेश यादव, मायावती ,और प्रियंका गांधी समेत तमाम विपक्ष इस फ़ैसले को ग़लत बता रहे है।वहीं अब योगी के इस फ़ैसले का अब एनडीए में बीजेपी के दो साथी इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ खडे़ हो गए हैं, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने योगी सरकार के फ़ैसले पर नाराज़गी ज़ाहिर की है।
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग़ पासवान ने योगी के इस फ़ैसले का सर्मथन करने से सीधा सीधा इंकार कर दिया है। एक लीडिंग मीडिया हाउस से बातचीत में कहा - गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है जिसमें समाज के सभी वर्ग जैसे दलित, पिछड़े, ऊंची जातियां और मुस्लिम भी शामिल हैं. मैं 21वीं सदी का शिक्षित युवा हूं और मेरी लड़ाई जातिवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ है। मैं अपने राज्य के पिछड़ेपन के लिए इसी कारण को जिम्मेदार मानता हूं। जहां कहीं भी जाति और धर्म के आधार पर विभाजन है, मैं न तो उसका समर्थन करूंगा और न ही उसे बढ़ावा दूंगा और मुझे नहीं लगता कि मेरी उम्र के किसी अन्य शिक्षित युवा के लिए ऐसी चीजें मायने रखती हैं, चाहे वह किसी भी जाति और धर्म से संबंधित हो।"
तो देखा आपने सीएम योगी ने कांवड़ यात्राओं को ध्यान में रखते हुए जो फ़ैसला किया है, उसका समर्थन करने से मोदी के हनुमान चिराग़ पासवान ने बिल्कुल मना कर दिया है। और सीधा सीधा बोल दिया है की वो ना ही वो इसका समर्थन करेंगे, और ही इसे बढ़ाना देंगे।बता दें कि हाजीपुर के सांसद और लोक जनशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को मोदी कैबिनेट 3.0 में शामिल किया गया है. चिराग पासवान को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय मिला है, लेकिन जिस तरह से चिराग़ ने योगी के फ़ैसले पर सवाल उठाए हैं और उनका सर्मथन करने से मना कर दिया है, उसने हर किसी को चौंका दिया है।चिराग़ के इस बयान को सुनने के बाद ख़ुद पीएम मोदी भी हैरान रह जाएँगे ।
बता दें कि चिराग़ पासवान के अलावा जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी योगी के फ़ैसले पर प्रतिक्रिया दी है।उन्होंने कहा की - ‘इससे पीएम के सबका विश्वास का नारा कमजोर होता है, कानून की समीक्षा हो. इससे बड़ी यात्रा बिहार में निकलती हैं, वहां इस तरह का कोई आदेश नहीं है. बिहार में ऐसे कानून की जरूरत नहीं. प्रधानमंत्री की जो व्याख्या है, भारतीय समाज और एनडीए के बारे में ‘सबका साथ-सबका-विकास- सबका विश्वास’ लगाए गए प्रतिबंध पीएम मोदी के सबका विश्वास को कमजोर करती है. इस नियम पर पुनर्विचार हो तो अच्छा है. इस नियम पर समीक्षा होनी चाहिए.’
बता दें कि जहां एक तरफ़ कुछ लोग योगी के इस फ़ैसले का विरोध कर रहे हैं, वहीं ख़ुद कांवड़ियों ने योगी के इस फ़ैसले का समर्थन किया है।