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CJI Chandrachud का नेताओं से मुलाकात पर बड़ा बयान, कहा- नेताओं से मिलने का मतलब डील नहीं है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया दौरे में गणेश चतुर्थी के दौरान भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर पहुंचने से विपक्ष में हलचल मच गई। विपक्षी दलों ने इसे न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाने का आधार बताया। जवाब में, CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका और सरकार के बीच मुलाकातें प्रशासनिक आवश्यकताओं के तहत होती हैं, जैसे न्यायपालिका के लिए बजट पर चर्चा करना। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन मुलाकातों का किसी न्यायिक मामले पर कोई प्रभाव नहीं होता, और न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र है।
CJI Chandrachud का नेताओं से मुलाकात पर बड़ा बयान, कहा- नेताओं से मिलने का मतलब डील नहीं है
हाल ही में मुंबई विश्वविद्यालय में आयोजित एक लेक्चर सीरीज में भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने नेताओं और जजों की मुलाकात पर उठे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि ऐसे संवादों का मतलब न्यायिक मामलों पर किसी प्रकार की "डील" नहीं होता है।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने बताया कि नेताओं से उनकी मुलाकातें अक्सर प्रशासनिक कारणों से होती हैं, जैसे न्यायपालिका के लिए बजट की व्यवस्था और आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था पर चर्चा करना। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी बैठक में कोई नेता लंबित मामलों पर चर्चा नहीं करता है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गणेश चतुर्थी के अवसर पर सीजेआई के आवास पर पहुंचे थे, जिस पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए थे।

न्यायपालिका और कार्यकारी तंत्र के बीच संतुलन

चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका और कार्यकारी तंत्र के बीच संतुलन और संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि जजों और नेताओं के बीच बातचीत का उद्देश्य सिर्फ प्रशासनिक मामलों पर चर्चा करना होता है, न कि किसी प्रकार का राजनीतिक प्रभाव डालना। इन बैठकों का उद्देश्य न्यायपालिका को स्वतंत्रता के साथ कार्य करने में सक्षम बनाना है। चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका का प्रशासनिक पक्ष पूरी तरह से स्वतंत्र है और कोई भी इस पर हस्तक्षेप नहीं करता।

विपक्षी प्रतिक्रिया और संजय राउत की टिप्पणी

प्रधानमंत्री की गणेश पूजा में शामिल होने पर शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा था कि संविधान के संरक्षक का नेताओं से मिलना न्यायिक निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर सकता है। उन्होंने यह भी चिंता जताई कि ऐसे मुलाकातें नागरिकों के मन में संदेह पैदा कर सकती हैं। CJI चंद्रचूड़ ने इस आलोचना को ध्यान में रखते हुए कहा कि जनता को न्यायपालिका की स्वतंत्रता और कार्यप्रणाली पर विश्वास रखना चाहिए।

प्रधानमंत्री और CJI की मुलाकात का विरोध जहां विपक्षी पार्टियों की चिंता को दर्शाता है, वहीं CJI चंद्रचूड़ का यह बयान न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। न्यायपालिका और कार्यकारी शाखा के बीच एक सहयोगात्मक संबंध का होना प्रशासनिक कार्यों के लिए आवश्यक है, जो न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता।
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