यूएसएआईडी फंडिंग पर घमासान जारी, सोशल मीडिया पर भीड़ गए अमित मालवीय और जयराम रमेश
इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी लगातार एक दूसरे हमलावर है। कांग्रेस ने इसे देश को गुमराह करने के लिए एक और 'जुमला' बताया, जबकि बीजेपी ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर देश के खिलाफ साजिश रचने के लिए विदेशी ताकतों के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया।

अमेरिकी एजेंसी यूएसएआईडी की ओर से भारत में 'वोटर टर्नआउट' बढ़ाने के लिए की गई कथित फंडिंग से उठा राजनीतिक तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी लगातार एक दूसरे हमलावर है। कांग्रेस ने इसे देश को गुमराह करने के लिए एक और 'जुमला' बताया, जबकि बीजेपी ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर देश के खिलाफ साजिश रचने के लिए विदेशी ताकतों के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया।
None other than the Union Finance Ministry has thoroughly exposed the lies of the PM and his jhoot brigade, including his dapper External Affairs Minister. As stated in the Finance Ministry's annual report for 2023-24, USAID is currently implementing seven projects in… pic.twitter.com/lS7BCJ0eXL
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 24, 2025
ताजा लड़ाई सोमवार सुबह तब शुरू हुई जब कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने वित्त मंत्रालय की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट एक्स पर साझा की और कहा कि विवादास्पद यूएसएआईडी (यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) स्कीम सात परियोजनाओं में शामिल है और यह सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।
The desperation of the Congress and its ecosystem of journalists and influencers to deflect from the controversial USAID funding—routed through various George Soros-linked fronts and a labyrinth of NGO structures to meddle with India’s electoral process—is a dead giveaway. It is… https://t.co/JnGrSfXsv6 pic.twitter.com/wHAl3ehqaw
— Amit Malviya (@amitmalviya) February 24, 2025
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने तुरंत पलटवार करते हुए कहा कि यह कांग्रेस और उसके तंत्र की विवादास्पद यूएसएआईडी फंडिंग से ध्यान हटाने की हताशा है। फंडिंग की बारीकियों को बताते हुए उन्होंने बताया, "जिन यूएसएआईडी परियोजनाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं, वे आधिकारिक सरकार-से-सरकार भागीदारी हैं, जिन्हें पारदर्शी तरीके से बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं (ईएपी) के रूप में क्रियान्वित किया जाता है। केंद्र इन निधियों को विकास के लिए राज्यों को देता है, जो सहकारी संघवाद के ढांचे के भीतर है।" मालवीय ने यह भी कहा कि वित्त मंत्रालय की 2023-24 की रिपोर्ट में उल्लिखित परियोजनाएं, जिसे जयराम रमेश ने साझा किया है, 2010-11 में शुरू की गई थीं और 2014-15 की रिपोर्ट से भी इसकी पुष्टि की जा सकती है।
कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश के मुताबिक यूएसएआईडी वर्तमान में देश में सात परियोजनाओं में शामिल है, जिनका संयुक्त बजट 750 मिलियन डॉलर है। उन्होंने कहा, "इनमें से एक भी परियोजना का 'वोटर टर्नआउट' से कोई लेना-देना नहीं है। ये सभी केंद्र सरकार के साथ और उसके माध्यम से हैं।" इस आरोप का जवाब देते हुए अमित मालवीय ने एक्स पर पूछा, "कांग्रेस जॉर्ज सोरोस से जुड़े विदेशी दानदाताओं और संगठनों की ओर से गुप्त हस्तक्षेप का बचाव क्यों कर रही है, जो परोपकार की आड़ में हमारे लोकतंत्र को अस्थिर करना चाहते हैं? मालीवय ने कहा, "भारत की संप्रभुता बिक्री के लिए नहीं है। भारत का शासन विदेशी एजेंटों द्वारा निर्देशित नहीं किया जाएगा जो लाभार्थियों के रूप में मुखौटा लगाए हुए हैं।"
भारत को 21 मिलियन डॉलर के अनुदान पर विवाद तब शुरू हुआ जब एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई (सरकारी दक्षता विभाग) ने दावा किया कि उसने 'वोटर टर्नआउट' को बढ़ावा देने के लिए भारत को दिए जाने वाले अनुदान को रद्द कर दिया है। इस दावे का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर समर्थन किया है। अमेरिका में सरकारी खर्चों में कटौती के लिए डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी यानी (डीओजीई) बनाया गया है।