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BJP के विजय रथ को रोकने के लिए बड़े बदलावों की ओर बढ़ रही कांग्रेस, राहुल-खड़गे ने बनाया ये खास प्लान!

कभी देश की सत्ता में एक छत्र राज करने वाली कांग्रेस अपने सियासी सफर के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. लगातार तीन लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने वाली कांग्रेस अब बड़े बदलावों की ओर अपने कदम बढ़ा रही है.
BJP के विजय रथ को रोकने के लिए बड़े बदलावों की ओर बढ़ रही कांग्रेस, राहुल-खड़गे ने बनाया ये खास प्लान!
देश की राजनीति में एक छत्र राज करने वाली कांग्रेस अपने सियासी सफर के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. लगातार तीन लोकसभा चुनावों में हार का सामना करने वाली कांग्रेस अब बड़े बदलावों की ओर अपने कदम बढ़ा रही है. गुजरात के अहमदाबाद में हुए अधिवेशन के बाद कांग्रेस अपने संगठन में कुछ ऐसे परिवर्तन करने जा रही है, जिसका प्रभाव केंद्रीय स्तर से लेकर विधानसभा और जिला स्तर तक देखने को मिलने वाला है. पार्टी जिला कांग्रेस कमेटी के कामकाज करने के तरीकों में परिवर्तन करने की तैयारी कर रही है. इन परिवर्तनों के बाद जिला कांग्रेस कमेटी के कामकाज की निगरानी के लिए अब बड़े नेताओं की ड्यूटी लगाई जाएगी. जो अपने अनुभव से बूथ स्तर तक पार्टी की जमीन को मजबूत करने के लिए काम करेंगे. 


अब आपको बताते हैं कि आखिर जिला कांग्रेस कमेटी पार्टी के लिए इतना महत्व क्यों रखती है? कांग्रेस पार्टी के संगठन में जिला कमेटी बूथ, ब्लॉक, मंडल इकाइयों के कामकाज पर नजर रखती है. पार्टी की जमीनी पकड़ को मजबूत करने के लिए इन इकाइयों का सक्रिय होना बेहद जरूरी है, पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि राज्यों में जिला कांग्रेस कमेटी पूरी तरीके से निष्क्रिय है. जिसका प्रभाव चुनावी नतीजों में देखने को मिलता है, जब पार्टी को चुनाव के परिणाम में बुरी तरीके से हार कर सामना करना पड़ता है. पार्टी के अंदर गुटबाजी को खत्म करने के लिए भी अब यह बड़े बदलाव शीर्ष नेतृत्व करने जा रहा है. दरअसल ये बातें निकलकर सामने आई है कि पार्टी के बड़े नेता अपने रिश्तेदारों और करीबियों को जिला अध्यक्ष बनने पर जोर देते हैं और इसी तरह जिला अध्यक्ष अन्य पदों पर अपने करीबियों को बैठे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण राजधानी दिल्ली से सटा हुआ राज्य हरियाणा है जहां पार्टी के राज्य के नेतृत्व को लेकर अंदरूनी कलह और गुटबाजी का खामियाजा चुनाव के परिणाम में भुगतने को मिला. जब विधानसभा चुनाव के दरम्यान कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के बीच आपसी खींचतान चल रही थी. इस राज्य में पार्टी का संगठन आपसी विवाद के चलते बीते एक दशक से बूथ और ब्लॉक लेवल पर खड़ा नहीं हो पाया है. ऐसा ही कुछ मामला केरल समेत अन्य राज्यों से भी सामने आया है. कई जगह तो ऐसा भी है कि एक जिले में ही कांग्रेस दो गुटों में बंटी हुई है. 


क्या बदलाव करने जा रही कांग्रेस?

अहमदाबाद अधिवेशन में कांग्रेस ने अपने नेताओं से जो बातें की उसका निचोड़ निकलते हुए महत्वपूर्ण बदलाव करने की तैयारी में है. कांग्रेस पार्टी अब हर जिले में एक राजनीतिक मामलों की समिति गठित करेगी. इस समिति में कांग्रेस की पार्टी के प्रमुख नेताओं को शामिल किया जाएगा. जो पार्टी के बेहतरीन के लिए फैसले लेने में सक्षम होंगे. इस समिति को बनाने का उद्देश्य पार्टी के भीतर चल रहे आपसी मतभेद और गुटबाजी को खत्म कर सभी को एक साथ लेकर चलना और जमीनी स्तर पर काम हो. कांग्रेस की ये भी तैयारी है कि हर जिले में नया पैनल बनाया जाए. जिसमें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी से एक ऑब्जर्वर के साथ राज्य कांग्रेस के चार नेता शामिल  होंगे. पार्टी की कोशिश है कि अब जिलाध्यक्षों की नियुक्ति उनकी योग्यता पर हो, ना कि बड़े नेताओं की पैरवी से. इसे सबसे पहले आगामी विधानसभा चुनाव वाले राज्य गुजरात में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जाएगा. 


राहुल गांधी लगाएंगे वर्कशॉप

ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की मीटिंग में पार्टी के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा था कि DCC को नई ताकत और जिम्मेदारी दी जाएगी. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी देश के हर राज्य में एक दिन की वर्कशॉप करेंगे. बताते चले कि कांग्रेस पार्टी ने अपने अधिवेशन से पहले ही जिलाध्यक्षों की मुलाकात की थी. तब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि जिलाध्यक्षों को 'पार्टी की बुनियाद' बनाने की दिशा में अब हमें काम करना है ताकि इसका प्रभाव बूथ लेवल तक देखने को मिले. 


टिकट बंटवारे में जिलाध्यक्ष की होगी भूमिका

कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों के माने तो पार्टी नेतृत्व ने जो नई नीति बनाई है उसके मुताबिक अब विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव के लिए जब सिर्फ नेतृत्व उम्मीदवारों के नाम पर मंथन करेगी तो उसे बैठक में उसे जिले का जिला अध्यक्ष भी मौजूद रहेगा. जोक संभावित प्रत्याशियों के नाम पर जिले में उसकी पकड़ उसकी छवि और उसके रिकॉर्ड की सही जानकारी सिर्फ नेतृत्व को देगा. जिसके चलते पार्टी एक बेहतर उम्मीदवार का चयन कर सकेगी. जिला अध्यक्ष केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भी अब शामिल होंगे, यह समिति बड़े चुनाव के उम्मीदवारों का फैसला करती है. खबरें यह भी है कि पार्टी एक साल के भीतर  जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों के साथ-साथ बूथ, मंडल और ब्लॉक इकाई के प्रमुखों की नियुक्ति का काम भी पूरा कर लेगी लेकिन जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का अधिकार केंद्रीय नेतृत्व अपने पास रखेगी. बाकी बूथ, ब्लॉक लेवल की नियुक्ति की जिम्मेदारी जिला अध्यक्ष की होगी. 



बताते चले कि साल 2020 में एक बार कांग्रेस पार्टी के अंदर अंदरूनी बगावत की की खबरें सामने आई थी, उस वक़्त दरम्यान कांग्रेस पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने G- 23 नाम का एक ग्रुप बनाया था, इस ग्रुप में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से मांग किया था कि राज्यों के अलग-अलग जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति का अधिकार राज्य इकाई को सौंप दिया जाए. हालांकि बाद में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने किसी तरह से इन परिस्थितियों को संभाल लिया था.
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