Uttarakhand में फंसी कांग्रेस, कुमारी शैलजा ने बिगाड़ा खेल ? पत्रकार के ट्वीट से मचा हड़कंप!
चुनाव आयोग ने विधानसभा के साथ साथ उपचुनाव को लेकर भी तारीखों का ऐलान कर दिया है। उपचुनाव 20 नवंबर को है। और ऐसे में केदरनाथ सीट पर सभी की नजर है। इसी बीच एक पत्रकार के दावे ने ये बता दिया है कि केदारनाथ सीट पर बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार होगी। सीएम धामी के नेतृत्व में यह चुनाव भाजपा ही जीतेगी।
महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के साथ ही 15 राज्यों में होने वाले उपचुनाव का भी ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है। इसमें उत्तराखंड की केदारनाथ सीट, सबसे चर्चित सीटों में से एक है। शैला रावत की मृत्यु के बाद ये सीट खाली हुई। और तब से ही इस सीट पर दोनों ही बड़ी पार्टी यानी की BJP or Congress की पैनी नजर बनी हुई है। BJP और सीएम धामी के लिए ये सीट प्रतिष्ठित सीटों में शुमार है। और अब उसे ही जीतने के लिए सीएम धामी ने ऐसा जाल बिछा दिया है, ऐसी रणनीति बना ली है, जिसे भेद पाना कांग्रेस के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है। और अब इसी बीच उत्तराखंड के एक पत्रकार की एक ट्वीट ने खलबली मचा दी है। उन्होंने ट्वीट कर कांग्रेस में गुटबाजी होने और उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के आगे कांग्रेस को बौना दिखा दिया है। सबसे पहले ये ट्वीट देखिए।
पत्रकार अजीत सिंह राठी अपने X Handle पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा 'ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने केदारनाथ उप चुनाव में भाजपा को जिताने की जिद पकड़ ली है। प्रत्याशी चयन की राजनीति ने कांग्रेस को बैकफुट पर धकेल दिया है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस के बड़े नेता सीएम pushkar singh dhami के पे-रोल पर आ गए है। वो आगे लिखते है, अब तस्वीर देखिए।कांग्रेस के एक बड़े नेता के को हल्द्वानी और गोलापार में सरकार करोड़ों के काम रेवड़ियों की तरह बांट रही है।एक बड़े नेता फ्री के सरकारी बंगले में रह रहे है तो सरकार से कैसे लड़ेंगे। प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा ने भी कम उधम नहीं काटा है। गणेश गोदियाल को केदारनाथ का पर्यवेक्षक बना दिया और प्रदेश अध्यक्ष karan mahara को खबर ही नहीं। सबका गंतव्य अलग अलग दिशाओं में होने से गाड़ी में खराबी आना संभव है। Rahul Gandhi ji, कैसे करोगे अब ?'
अब इस ट्वीट को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे है। इस ट्वीट से पहले की कहानी आपको बताते है। दरअसल खबर ये है कि चुनाव की घोषणा के बाद से ही कांग्रेस में गुटबाजी का दौर शुरू हो गया है। प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के बीच ठन गई है। हालात ये है कि प्रदेश प्रभारी सैलजा ने गणेश गोदियाल को केदारनाथ का पर्यवेक्षक बना दिया और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को बताया तक नहीं। दोनों के बीच की लड़ाई अब साफ तौर पर दिख रही है। और ये कांग्रेस को एक बड़ा नुकसान पहुंचा रही है। अगर इसे हरियाणा से जोड़कर देखे तो याद होगा आपको कि सैलजा हरियाणा कांग्रेस का बड़ा नाम है। और हरियाणा चुनाव में कुछ खास कमाल नहीं कर पाई थी। अब जिस तरह से वो उत्तराखंड के लिए काम कर रही है, उससे तो यही लग रहा है कि केदारनाथ का भी हाल हरियाणा चुनाव जैसा होने वाला है।
इस ट्वीट में अजित सिंह राठी ने एक नेता की बात की जिसे सरकारी बंगला मिला हुआ है। नेता का नाम है प्रीतम सिंह, जो है तो विधायक लेकिन मंत्रियों वाले बंगले का सुख भोग रहे है। इस आलिशान बंगले को छोड़ने के लिए विधायक जी खुद तैयार तो नहीं है। उधर धामी सरकार ने भी इन्हें न निकाल कर एक बड़ा तगड़ा गेम खेल दिया है। चुनाव में विपक्ष इन वजहों से अपने काम करने से असहज तो जरूर महसूस करेगी।
कुल मिलाकर देखा जाए तो कांग्रेस के अंदर गुटबाजी और सरकार के रहमो करम पर पल रहे कांग्रेस के कई नेता इस बात का सबूत दे रहें है कि केदारनाथ जीतना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा। क्योंकि उस जीत के कुर्सी पर बैठने के लिए कांग्रेस को पहले BJP और फिर अपने खुद के नेताओं से लड़ना होगा। इधर बीजेपी पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में इस उपचुनाव के मैदान में है। और जिस तरह से सीएम धामी ने राज्य में काम किया है वो कहीं न कहीं चुनाव में बीजेपी के लिए संजिवनी साबित होगा। इन सब के बीच ये दाढ़ी वाले छोटे चिंटू कौन है। उसका पता तो नहीं चल पाया है। लेकिन ये बात तो तय है कि कांग्रेस के बैकफूट पर आने का ये भी एक बड़ा कराण है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का अंतरकलह और धामी के बिछाए गए जाल में फंसे नेता चुनावी मैदान में निहत्थे ही साबित हो सकते है। खैर जिस तरह से धामी ने अपने मोहरे बिठाए है और बड़ा राजनीतिक चाल चला है उसपर आपकी क्या राय है। क्या लगता है कि केदारनाथ में बीजेपी जीत पाएगी