Rakesh Tikait के बोल पर बवाल, क्या भारत को Bangladesh बनाने की थी बड़ी साजिश
Bangladesh में दंगाइयों ने एक चुनी हुई सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए ऐसी साजिश रची जिसकी आग में जल कर बांग्लादेश तबाह हो गया, यहां तक कि देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ कर भारत भागना पड़ा, आपको यकीन नहीं होगा। कुछ इसी तरह की साजिश रचने की कोशिश भारत में भी की गई थी।जिससे मोदी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका जाए ।
देखते ही देखते कोई देश कैसे एक झटके में बर्बाद हो जाता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पड़ोसी मुल्क Bangladesh है।जहां दंगाइयों ने एक चुनी हुई सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए ऐसी साजिश रची। जिसकी आग में जल कर बांग्लादेश तबाह हो गया।यहां तक कि देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ कर भारत भागना पड़ा। आपको यकीन नहीं होगा। कुछ इसी तरह की साजिश रचने की कोशिश भारत में भी की गई थी। जिससे मोदी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका जाए।
दरअसल ये बात साल 2021 की है। जब कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन अपने चरम पर था। हालात ये हो गये थे कि पंजाब। हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसान बड़ी संख्या में राजधानी दिल्ली को घेर कर बैठ गये थे। किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली में जुटी ये भीड़ 26 जनवरी 2021 को। एक हिंसक भीड़ में बदल गई। और जिस लाल किले पर पर शान से तिरंगा लहराया जाता है।उस लाल किले पर धार्मिक झंडा फहरा दिया गया। और विरोध प्रदर्शन के नाम पर जमकर तांडव किया गया।इस शर्मनाक वारदात के करीब तीन साल बाद किसानों के बड़े नेता राकेश टिकैत का एक ऐसा बयान सामने आया है। जिसने किसान आंदोलन पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।
दरअसल पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में एक चुनी हुई सरकार के खिलाफ छिड़े विद्रोह के बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक न्यूज चैनल से 26 जनवरी 2021 की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि।
"बांग्लादेश में 15 साल से सत्ता में बैठे लोगों ने विपक्ष के सारे नेताओं को जेल में डाल रखा था लेकिन, अब वो खुद बंद हैं और भागने का भी कोई रास्ता नहीं मिल रहा, यही हाल भारत में भी हो सकता है, उस दिन लोगों को गुमराह करके लाल किले पर भेज दिया गया था जबकि योजना संसद की तरफ जाने की थी, उस दिन 25 लाख ट्रैक्टर मौजूद थे अगर वो संसद चले गए होते तो उसी दिन सत्ता को उखाड़ फेंका जा सकता था "।
किसान नेता राकेश टिकैत का ये बयान बता रहा है कि साल 2021 में लाल किले पर जुटे किसानों का असली मकसद क्या था। टिकैत के मुताबिक किसानों का मकसद लाल किले पर जाना नहीं था। संसद जाना था। और अगर ऐसा होता तो उसी दिन मोदी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका जा सकता था। राकेश टिकैत के इस बयान के बाद ही बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने कहा था कि।
"अगर हमारी लीडरशिप कमजोर होती तो देश में बांग्लादेश जैसी स्थिति हो सकती थी, सभी ने देखा कि किसान आंदोलन के दौरान क्या हुआ था, प्रदर्शन की आड़ में हिंसा फैलाई गई, वहां बलात्कार हो रहे थे, लोगों को मारकर लटकाया जा रहा था, इस स्थिति में भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति हो सकती थी, केंद्र सरकार ने जब कृषि कानूनों को वापस लिया तो सभी प्रदर्शनकारी चौंक गए, इस आंदोलन के पीछे एक लंबी प्लानिंग थी "।
कंगना रनौत के इस बयान के बाद हालांकि बीजेपी आलाकमान बुरी तरह से भड़क गया था। और उन्हें भविष्य में इस तरह का बयान ना देने की नसीहत दी थी। जिसकी वजह से कंगना रनौत को अपने बयान पर माफी मांगनी पड़ गई थी। बहरहाल राकेश टिकैत के बयान पर आपका क्या कहना है। क्या वाकई किसान आंदोलन के नाम पर भारत को भी बांग्लादेश बनाने की साजिश रची गई थी।