बिहार से अलग मिथिला राज्य की मांग! पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने पीएम मोदी से बात करने को कहा
बिहार से एक अलग राज्य बनाने की मांग ने एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सदन में इसकी मांग की है। चुनाव के करीब राबड़ी के अलग राज्य की मांग से सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है। उन्होंने बिहार से अलग मिथिला राज्य बनाने की मांग को अपना समर्थन दिया है। बिहार बीजेपी के नेताओं से इस विषय पर पीएम मोदी से बात करने को कहा है। दरअसल बिहार विधान परिषद में मैथिली भाषा पर बात करते हुए राबड़ी देवी ने अचानक से इसकी मांग कर दी। विधान परिषद में मैथिली भाषा में संविधान लाने पर भी चर्चा हुई।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बिहार से अलग मिथिला राज्य की कर दी मांग
बिहार विधान परिषद में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने बिहार से एक अलग राज्य मिथिला बनाने की मांग की है। अचानक से राबड़ी देवी द्वारा उठाए गए मांग पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोग हैरान रह गए। बिहार में अगले साल चुनाव है। ऐसे में मिथिला राज्य बनाने की मांग एक बार फिर चर्चाओं में है। राबड़ी देवी ने कहा कि "केंद्र और बिहार दोनों जगह पर आपकी सरकार है। मगर मिथिला को अलग राज्य बनाने के लिए इस मांग को स्वीकार कर लेना चाहिए। उन्होंने सदन से बाहर निकलते हुए भी इस बात को फिर से दोहराया।
मैथिली भाषा को भी संविधान में लाए जाने की उठी मांग
बता दें कि बिहार विधान परिषद में बिहार से अलग मिथिला राज्य बनाने की मांग की गई। इसके साथ मैथिली भाषा को भी संविधान में लाने पर चर्चा हुई। सत्ता पक्ष के सदस्य इसके लिए मोदी को धन्यवाद दे रहे थे। राबड़ी देवी ने मिथिला राज्य बनाने के साथ मैथिली भाषा को भी अलग से सम्मान और संविधान में लाने पर चर्चा की। जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर बिहार के मैथिली भाषी के लोग लंबे समय से अलग मिथिलांचल राज्य की मांग कर रहे हैं।
आखिर कब से चल रही मिथिला राज्य बनाने की मांग
बिहार से अलग मिथिला राज्य बनाने की मांग लंबे समय से चलती आ रही है। इसके लिए कई बार आंदोलन भी किए गए। बिहार से अलग मिथिला राज्य बनाने की मांग आजादी से पहले चल रही है। साल 1912 बंगाल से अलग होकर बिहार राज्य बना था। उस दौरान ही अलग राज्य बनाने की मांग उठी थी। आजादी के बाद से यह मांग लगातार उठती रही है। वही बिहार से अलग होकर जब झारखंड राज्य बना था। उस दौरान हजारों लोगों ने पटना से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन किया था।
बिहार में अगले साल होने हैं चुनाव
बिहार विधानसभा का कार्यकाल फरवरी तक खत्म हो रहा है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि चुनाव आयोग जनवरी महीने में दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। मैथिली भाषा को संविधान में शामिल करने और एक मिथिला राज्य बनाने की मांग विपक्षी दलों के लिए बड़ा मुद्दा साबित हो सकती है।