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मकर संक्रांति के पहले स्नान पर अयोध्या और हरिद्वार में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डूबकी

Makar Sakrant 2025: मकर संक्रांति के मौके पर अयोध्या में श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में स्नान किया। यहां सुबह से ही श्रद्धालु स्नान, दान और मठ-मंदिरों में दर्शन-पूजन कर रहे हैं।
मकर संक्रांति के पहले स्नान पर अयोध्या और हरिद्वार में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डूबकी
Photo by:  Google

Makar Sakrant 2025: आज मकर संक्रांति का पहला स्नान है। देशभर के अलग-अलग राज्यों से श्रद्धालुओं ने धर्मनगरी हरिद्वार की हरकी पैड़ी पहुंचकर आस्था की डूबकी लगाई। वहीं, अयोध्या में भी श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में स्नान किया। मकर संक्रांति के मौके पर अयोध्या में श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में स्नान किया। यहां सुबह से ही श्रद्धालु स्नान, दान और मठ-मंदिरों में दर्शन-पूजन कर रहे हैं।आइये जानते है इस खबर को विस्तार से ....

सुबह से ही श्रद्धालु स्नान, दान और मठ-मंदिरों में दर्शन-पूजन कर रहे हैं

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग प्रयागराज नहीं जा पाते, वे पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। सरयू में स्नान करके लोग मकर संक्रांति का लाभ प्राप्त कर रहे हैं और अक्षय पुण्य अर्जित कर रहे हैं।जानकारी के अनुसार, आज (मंगलवार को) मकर संक्रांति का पहला स्नान है। इसी अवसर पर देशभर के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु धर्मनगरी हरिद्वार की हरकी पैड़ी पर पहुंचकर मां गंगा में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। साथ ही साथ घर में सुख-शांति और देशभर में आपस में भाईचारा बना रहे उसकी कामना कर रहे हैं। साल के पहले स्नान मकर संक्रांति के अवसर पर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, बिजनौर, उत्तर प्रदेश, नेपाल, उत्तराखंड समेत अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचकर गंगा में स्नान कर रहे हैं और दान-पुण्य भी कर रहे हैं।

इस दिन गंगा नदी में स्नान करने के साथ दान-पुण्य का विशेष महत्व है

कहा जाता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने के साथ दान-पुण्य का विशेष महत्व है। बता दें कि मकर संक्रांति हिंदू धर्म में विशेष स्थान है, जो सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह त्योहार जीवन में नयापन, उत्साह और उल्लास लेकर आता है। मकर संक्रांति के दिन ब्रह्म बेला में गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप, चाहे वे जाने-अनजाने में किए गए हों, उनसे मुक्ति मिली है। इस दिन गंगा की पवित्र जल धाराओं में स्नान करने से आत्मा को शांति और पवित्रता का अहसास होता है। 

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