यूपी STF के कामकाज पर सवाल उठाने वाले नेताओं को DGP प्रशांत कुमार ने दिया दो टूक जवाब
हालिया कुछ घटनाक्रम में बात यहां तक पहुंच गई है कि पुलिस की खास विंग एसटीएफ को जाति राजनीति के खांचे में कसा जाने लगा है। इन्हीं सब सवालों पर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने जवाब दिया है।
उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर को लेकर राजनीतिक बहस गरमा गई है। पिछले सात सालों में बड़े माफियाओं पर करवाई और खतरनाक अपराधियों के एनकाउंटर को सरकार ने अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर रखा है। वहीं विपक्ष एनकाउंटर के तरीके को लेकर सरकार को घेरता आ रहा है। हालिया कुछ घटनाक्रम में बात यहां तक पहुंच गई है कि पुलिस की खास विंग एसटीएफ को जाति राजनीति के खांचे में कसा जाने लगा है। इन्हीं सब सवालों पर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने अपना जवाब दिया है।
प्रश्न: एसटीएफ को लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है? इसको स्पेशल ठाकुर फोर्स भी कहा जा रहा।
उत्तर: सभी वर्ग के लोग हर फोर्स में होते हैं। एसटीएफ के बारे में ऐसा बोलना भ्रांति है। जिनको जो सूट करता है, वह बोलता है। राजनीतिक जवाब मैं नहीं देना चाहता हूं। एसटीएफ का आज से नहीं, जब से इसका गठन हुआ, तबसे बहुत अच्छे कार्य हुए। दस्यु और माफिया मुक्त करने में इसका बहुत बड़ा योगदान है। ऐसे लांछन लगाना ठीक नहीं है। आने वाले समय में भी एसटीएफ रहेगी। किसी भी संस्था पर सवाल उठाने से पहले उसकी उपलब्धियां और विश्वसनीयता को देखना चाहिए।
प्रश्न: पुलिसिंग व्यवस्था को हमेशा निष्पक्ष माना जाता है? लेकिन बीते दिनों जो भी एनकाउंटर हुए है। उसे लेकर राजनीतिक दलों ने सवाल उठाए है?
उत्तर: मुझे नहीं लगता कि इस तरह की बातों पर मुझे कोई बयान देना चाहिए। पुलिस पूरी तरह से निष्पक्ष होकर कार्य कर रही है। अगर आप न्यूट्रल तरीके से चीजों को देखेंगे, तो आप पाएंगे कि पुलिस ने निष्पक्ष कार्रवाइयां की हैं। इस तरह के आरोप मैं पूर्व में भी और आपके साथ भी पूरी तरह से नकारता हूं। यह सब चीजें वैसे लोग लगाते हैं, जो पुलिस के द्वारा किए जा रहे कठिन कार्यों का उपहास करते हैं। ये समाज के लिए अच्छा नहीं है। समाज के लोगों में इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए।
प्रश्न: कस्टोडियल डेथ को लेकर कई बार कहा जा चुका है ? इसे रोकने के लिए क्या रणनीति है?
उत्तर: कस्टोडियल डेथ किसी सभ्य समाज में नहीं होना चाहिए। इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय का बहुत सख्त निर्देश है। अन्य संस्थाएं भी इस पर नजर रखती हैं। कोई चीज अब छिप नहीं सकती। जहां इस तरह की घटना होती है, तत्काल कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाती है। उस पर सख्त कार्रवाई भी की जाती है। चाहे जिस विभाग का हो।
प्रश्न: ट्रैफिक मैनेजमेंट बड़े शहरों में कैसे ठीक होगी? इसके लिए क्या रणनीति है ?
उत्तर: ट्रैफिक मैनेजमेंट अब ऐसा नहीं बचा है कि सिपाही खड़ा करके मैनेज किया जाय। अब अपने आप यह सब्जेक्ट है। उसके विभिन्न पहलू हैं। बड़े शहरों में इलेक्ट्रानिक सिगनल होना चाहिए। उसका समय तय हो। जनशक्ति बढ़ाई है। इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट सिस्टम को बड़े शहरों में लागू किया है। बड़े ट्रकों को शहरों के बजाय बाईपास से गुजारा जा रहा है। बड़े बड़े शहरों में व्यवस्था को ठीक करने के लिए कई अभिनव प्रयोग किए जा रहे हैं। आने वाले समय में और अच्छा होगा।
प्रश्न: आने वाले दिनों में पुलिस के लिए क्या क्या चुनौतियां है?
उत्तर: महाकुंभ अगले वर्ष की शुरुआत में होना है। उसकी तैयारी कर रहे हैं। श्रद्धालुओं को कैसे अच्छी सुविधा मिले इसके लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं।
प्रश्न: यूपी डायल 112 का रिस्पांस टाइम पहले क्या था और अब क्या है।
उत्तर: 2017 में रिस्पांस टाइम 40 से 45 मिनट के बीच था, जो आज लगभग 10 मिनट हो गया है। शहरी इलाकों में तो कहीं कहीं पर इसका रिस्पांस टाइम पांच मिनट से ज्यादा नहीं है। 112 का द्वितीय फेज लाॅन्च हुआ है, उसमें टेक्नोलॉजी में भी काफी अपग्रेडेशन किया गया है। जिसे कॉल टेकिंग कैपेसिटी भी हमारी बढ़ी है, तथा नए वाहन भी हम लोगों ने और लगाए हैं, साथ-साथ दो पहिया वाहन भी लगाए हैं। इसे अपने 112 के बेड़े में शामिल किये हैं। इसकी वजह से शहरी इलाकों की संकरी गलियाें में आना जाना और सुगम हुआ है। बेहतर सुविधा का लाभ पब्लिक को भी मिल रहा है।
प्रश्न: उत्तर प्रदेश में हाल ही में कांस्टेबल पुलिस भर्ती परीक्षा की सकुशल संपन्न हुई। इसके पीछे की रणनीति क्या रही है।
उत्तर: उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती मामले में वर्तमान शासन की नीति रही है कि परीक्षा शुचितापूर्ण तरीके से कराई जाए और इसमें किसी तरह का कोई पक्षपात और भेदभाव न किया जाए। इस बार भर्ती बोर्ड तथा अन्य जो स्टेक होल्डर, जैसे सिविल पुलिस, मजिस्ट्रेट आदि ने संयुक्त तरीके से काम किया तथा भर्ती बोर्ड के द्वारा बहुत से नई चीजें की गईं। इसमें आर्टिफिशियल का भी इस्तेमाल किया गया, तथा जो प्रश्न पत्र आदि तैयार होते हैं, उसमें भी काफी चीजों में नया इनोवेशन किया गया। नकल माफिया या जो पर्चा लीक कराने वाले लोग हैं उनकी रणनीतियों को हमने पहले से ही फेल किया। परीक्षा से प्रारंभ होने से पहले ही सतर्कता के तहत धरपकड़ चलती रही और जहां भी कोई अफवाह उड़ी, उसे हम लोगों ने तुरंत असफल किया। इसका फायदा रहा कि 60 हजार से अधिक पदों के लिए परीक्षा हमारे 67 जनपदों में 1174 केंद्रों पर पांच दिनों व दस पालियों में सकुशल संपन्न हुई।
प्रश्न: साइबर अपराध दिनों दिन बढ़ रहा, इसकी रोकथाम के लिए क्या हो रहा है?
उत्तर: साइबर क्राइम एक ऐसा अपराध है, जिसमें कोई सीमा नहीं है। जैसे कोई घटना अगर होती है तो वह विशेष थाना क्षेत्र में होती है, लेकिन साइबर क्राइम कहीं भी बैठा व्यक्ति देश-प्रदेश के किसी भी गांव में कर सकता है। तो सबसे बड़ी चुनौती तो यही है कि इससे कैसे निपटा जाए। इसके लिए प्रॉपर ट्रेनिंग हमने अपने स्टाफ को कराया है। वर्ष 2017 में केवल दो ही थाने साइबर क्राइम को डील करने वाले थे। इसके बाद प्रथम चरण में सभी कमिश्नरी मुख्यालयों में साइबर थाने बनाए गए और वर्तमान में प्रत्येक जिले में एक साइबर थाना है, जो केवल साइबर क्राइम से संबंधित मामलों से डील करता है। इसके अतिरिक्त सभी थानों में एक साइबर हेल्प डेस्क की भी स्थापना की गई है। नए नए जो साइबर क्राइम के आयाम जुड़ते जा रहे हैं, उसके बारे में हम लोग अपने स्टाफ को इन सर्विस ट्रेनिंग भी करा रहे हैं। इसके साथ आम जनता के लिए जागरुकता अभियान भी चलाया जा रहा है। साइबर क्रिमिनल्स भी नए नए तरीके ईजाद कर रहे हैं और हम लोग आम लोगाें के साथ अपने कर्मचारियों को अपडेट कर रहे हैं।
प्रश्न: कानून व्यवस्था बेहतर करने के लिए अभी तक यूपी में कुल कितने एनकाउंटर हुए ?
उत्तर: सरकार की अपराध और अपराधियों के प्रति जो जीरो टॉलरेंस नीति है। लेकिन केवल ये कहना कि एनकाउंटर के कारण चीजें अच्छी हुईं हैं, मैं इसको नहीं मानता। हम लोगों ने प्रथम चरण में माफियाओं को चिन्हित कर उन पर कार्रवाइयां की उसके बाद माफियाओं को सजा दिलाने का प्रयास किया। पिछले 13 माह में हम लोगों ने जघन्य अपराधों में शामिल अपराधियों को सजा दिलाई है। इसके लिए बहुत सारे प्रयास किए गए। इसके लिए गवाहों को कोर्ट पहुंचाया गया, उन्हें समुचित सुरक्षा दी गई और हमारे विभागीय लोगों को भी गवाही के लिए कोर्ट जाने के लिए प्रेरित किया गया। ऐसे इसलिए हुआ है क्योंकि बड़ी संख्या में नई नियुक्तियां हुईं हैं। इससे काम में तेजी आई है।
पिछले 13 महीने में हम लोगों ने लगभग 51 हजार सजा दिलाई है। इसमें 45 ऐसे मामले हैं, जिनमें मृत्युदंड भी शामिल है। इसका भी बहुत प्रभाव पड़ा है। हम लोगों ने 68 माफिया चिन्हित किए थे, उनमें से 21 माफियाओं तथा उनके 68 सहयोगियों को भी हम लोग सजा दिला चुके हैं। इसमें से दो माफियाओं को मृत्युदंड की भी सजा सुनाई गई है। इसके अलावा गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हाेती है। उसमें अरबों की संपत्ति जब्त की गई है। इस पर लगातार कार्रवाई चल रही है। यूूूपी में ऐसे माफिया थे, जिनका आपराधिक इतिहास 40 साल पुराना था, लेकिन किसी भी प्रकरण में सजा नहीं हुई थी, उन माफियाओं को सजा दिलाई जा रही है। उन्हे उम्रकैद की भी सजा हुई। इसका परिणाम आप देख रहे होंगे कि सामान्य जनता बहुत रिलीफ महसूस कर रही है। इसके अलावा कानून व्यवस्था के फ्रंट पर देखा जाए, तो पिछले साढ़े सात-आठ वर्षों में एक भी साम्प्रदायिक घटना नहीं हुई है। ये अपने आप में बहुत बड़ा अचीवमेंट है।