चुनावी बॉन्ड में चंदा , दवाइयों की कपनी ने अपनी कंपनी को बचाने के लिए रच दी बड़ी साजिश
देश में एक बड़ा छल बड़ा धोखा देश के लोगों के साथ देश के गरीबों के साथ किया जा रहा है और ये धोखा कोई और नहीं बल्कि आपको दवा देने वाली बड़ी - बड़ी कंपनियां कर रही है लेकिन क्या आप जानते है इस छल और धोखे के पीछे कोई और भी इन कंपनियों का साथ दे रहा है और वो कोई और नहीं देश की बड़ी पार्टी बीजेपी कांग्रेस आप और समाजवादी सभी इसमें में अच्छे से शामिल है। बड़ी - बड़ी कपनियां जो दवाई बनती है उनकी असली दवाइयां क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई , उन कंपनियों ने देश की बड़ी पार्टियों को खुद की कंपनियां बचाने के लिए चुनावी बॉन्ड का चंदा दिया था।
देश में एक बड़ा छल बड़ा धोखा देश के लोगों के साथ देश के गरीबों के साथ किया जा रहा है और ये धोखा कोई और नहीं बल्कि आपको दवा देने वाली बड़ी - बड़ी कंपनियां कर रही है । इन दवा बनाने वाली कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड खरीद कर देश की बड़ी पार्टियों को चुनावी चंदा दिया है। जिसका खुलासा एक रिपोर्ट के ज़रिये BBC ने 14 मार्च 2024 को किया और साथ ही सीनियर पत्रकार सुधीर चौधरी ने भी अपने शो में इसका खुलासा किया है जिसके मुताबिक, बड़ी - बड़ी कपनियां जो दवाई बनती है ।उनकी असली दवाइयां क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई। उन कंपनियों ने देश की बड़ी पार्टियों को खुद की कंपनियां बचाने के लिए चुनावी बॉन्ड का चंदा दिया था। ऐसा हो सकता है की इन्हें रोकने वाला कोई है नहीं और ये खुलेआम कम्पनी को बचाने के और अपनी जेब भरने के लिए देश को लूटने का काम कर रही है।हमारे देश में गरीब लूट चूका है , दवाई खरीदते - खरीदते , कई तो ऐसे लोग है जो उधार लेकर ब्याज पर पैसा उधार लेकर अपने परिजन का इलाज करवाता है और आखरी में बीमारी के चलते वो इंसान भी नहीं बचता और वो ज़िन्दगी भर पैसा भरते - भरते बर्बाद हो जाते है , जो उधार लेकर दवाई खरीदते है उनका पैसा इन कंपनियों को भर - भर कर जा रहा है ।
1- पहली कंपनी ।
टोरेंट फ़ार्मास्यूटिकल लिमिटेड।
इनकी दो असली दवाई जो क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई ।
शेलकेल
मोंटेयर एलसी जो क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई
कंपनी ने
बीजेपी - 61 करोड़
कांग्रेस - 5 करोड़
समाजवादी पार्टी - 3 करोड़
आप - 1 करोड़
2 - अल्केम हेल्थ साइंस
ये कंपनी पैन डी दवाइयां बनाती है , इसकी दवाई भी क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गई
बीजेपी - 15 करोड़
3 हेट्रो लैब्स लिमिटेड
25 करोड़ चुनावी बॉन्ड ख़रीदे जिसमे
तेलंगाना की पार्टी के चंद्रशेखर - 20 करोड़
बीजेपी - 5 करोड़
4 - सिप्ला लिमिटेड
फेल होने वाली दवाई - आरसी कफ़ सिरप, लिपवास टैबलेट
इस कंपनी ने 39.2 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे और
बीजेपी - 37 करोड़
कांग्रेस - 2.2 करोड़
5 - सन फ़ार्मा लेबोरेटरीज़ लिमिटेड
कार्डीवास, लैटोप्रोस्ट आई ड्रॉप्स, और फ़्लेक्सुरा डी
इस कंपनी ने कुल 31.5 करोड़ रुपए के बॉन्ड ख़रीदे और सभी के सभी बॉन्ड कंपनी ने बीजेपी को दिए।तो अब आप सोच सकते है कि कितना चंदा दिया है, हालांकि दो कम्पनिया सन फ़ार्मा और टोरेंट फ़ार्मास्यूटिकल ने कहा है की जो दवाई फेल हुई है वो नकली है उनकी कंपनी की नहीं है उन्होंने ये दवाई नहीं बनाई है और कोई और उनके नाम से नकली दवाई बेच रही है।
लेकिन सवाल ये है की आखिर ये इतनी बड़ी कंपनियां को आखिर पार्टियों को चंदा देने की क्या आवश्यकता पड़ गई। क्या ये चुनावी पार्टियों का सहयोग कर रही है। क्या ये सामाजिक काम है। लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में क्यों हिस्सा बनना चाहते है इसके पीछे की मंशा क्या है क्यों ऐसा किया जा रहा है लेकिन इसका जवाब ना आपके पास है ना हमारे पास लेकिन एक बात समझ में आ गई की मिलावट एक बड़ी समस्या बन गई है अब हर जगह मिलावट जो पानी आप पी रहे है उसमे मिलावट जो खाना आप खा रहे है जो हवा आप ले रहे है या जिस शहर में आप रह रहे सभी में मिलावट हर जगह मिलावट अब तो आप बीमार होते है तब भी आपको उस दवाई में मिलावट मिलेगी तो कहां जाएंगे कही नहीं मिलावट की ज़िन्दगी के साथ जीते रहिए और खुश रहिए ।