ट्रायल कोर्ट के जज की टिप्पणी से गुस्से में ED, एक झटके में बिगाड़ दिया केजरीवाल का खेल
केजरीवाल इस वक्त बहुत बुरे सदमें में है क्योंकि मुश्किल से राउज एवेन्यू कोर्ट से उन्हें राहत मिली लगा जेल से बाहर आ जाएंगे लेकिन एक झटके में ईडी ने सारा खेल बिगाड़ दिया। ना सिर्फ हाईकोर्ट में रिहाई पर स्टे लगवा दिया बल्कि सबूतों का ऐसा पिटारा खोला कि जज साहब भी हैरान हो गए क्योंकि कोर्ट में ईडी पूरे गुस्से में खड़ी थी और ये गुस्सा ना सिर्फ केजरीवाल की जमानत के फैसले से आया बल्कि ईडी को ये गुस्सा राउज एवेन्यू कोर्ट की महिला जज की टिप्पणी से भी आया।
महिला जज का नाम है बिंदू जिनके फैसले पर ईडी सवाल उठा रही है और आरोप लगा रही है कि ट्रायल कोर्ट ED की दलीलों पर गौर नहीं किया गया। ना ही ईडी को सबूतों को देखा गया। बस छूटते ही जमानत का फैसला सुना दिया है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने किस आधार पर सीएम केजरीवाल को जमानत दी बताते हैं। दरअसल ईडी ने अपनी दलील में कहा था कि जांच एक आर्ट है और कभी-कभी एक आरोपी को जमानत और माफी का लॉलीपॉप दिया जाता है और कुछ आश्वासन के साथ प्रेरित किया जाता है कि वे अपराध के पीछे की कहानी बताएं। छुटते ही राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष जज न्याय बिंदु ने ईडी के इस तर्क पर सवाल उठाया और टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया उनका दोष अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। यह संभव हो सकता है कि याचिकाकर्ता के कुछ परिचित व्यक्ति किसी अपराध में संलिप्त हों, लेकिन ईडी याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध की आय के संबंध में कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य देने में विफल रहा है।
जज साहिबा की टिप्पणी यहीं खत्म नहीं हुई आगे उन्होने कहा कि लाइसेंस धारकों के पक्ष में दिल्ली की शराब नीति में हेरफेर करने के लिए राजनेताओं, व्यापारियों और अन्य लोगों के एक कार्टेल साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है। इस पैसे का इस्तेमाल गोवा चुनाव में करने का आरोप है लेकिन ईडी ये स्पष्ट करने में विफल रही है कि पूरे पैसों के लेनदेन का पता लगाने के लिए उसे कितना समय चाहिए। ऐसा प्रतित होता कि ईडी का भी मानना है कि रिकॉर्ड में मौजूद सबूत याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त नहीं है। वह किसी भी तरीके से उसी को प्राप्त करने के लिए समय ले रही है जांच एजेंसी को निष्पक्ष होना चाहिए ताकि यह माना जा सके कि एजेंसी की ओर से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का भी पालन किया जा रहा है। केजरीवाल की ओर से उठाए गए कुछ मुद्दों पर ईडी चुप रही, जिसमें उनका यह बयान भी शामिल है कि उनका नाम न तो सीबीआई मामले में है और न ही ईसीआईआर में है। य़ानी की कोर्ट ने सीधे सीधे ईडी के सबूतों को ईडी के गवाहों को नकार दिया। जितने भी दलीलें चाहें 100 करोड़ के सबूतों वाली हो। चाहें गोवा चुनाव में 45 करोड़ वाली हो.. सभी को किनारे कर दिया और छुटते ही केजरीवाल को जमानत ये कहते हुए दे दी कि केजरीवाल के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं है।
आगे जज साहिबा ने कहा कि ED ने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया जिससे यह पता चले कि सह आरोपी विजय नायर ने केजरीवाल के कहने पर का किया है ED इस बार तो भी साबित करने में विफल रही है कि विनोद चौहान और चरणप्रीत सिंह के बीच नजदीकी है ED इस बात को भी साबित करने में विफल रही है कि कैसे इस बात के निष्कर्ष पर पहुंची की एक करोड़ रुपये जो विनोद चौहान से संबंधित है वो इस अपराध से जुड़ा हुआ है अपराध की निरंतरता में यह भी साबित नहीं हो रहा है कि कैसे 40 करोड़ रुपये खोजे गए। न्याय होने के साथ साथ न्याय होते दिखना भी जरूरी है। ट्रायर कोर्ट ने माना कि पहली नजर में जो तथ्य हैं उसके आधार पर कहा जा सकता है कि अभी तक केजरीवाल के खिलाफ अपराध साबित नहीं होता है और ऐसे में जमानत दी जाती है। बस जैसे ही कोर्ट ने ईडी के सारे सबूतों को नकारा वैसे ही ईडी गुस्से में तुरंत हाईकोर्ट के दरवाजे पर पहुंच गई। सबूत गवाह सब ठोस हैं इसी वजह से हाईकोर्ट में केजरीवाल बुरी तरफ फंस गए। अब सवालों ने ट्रायल कोर्ट की जज न्याय बिंदू भी आ गई.. तो चलिए ये भी बता देंते ही कि केजरीवाल को जमानत देने वाली न्याय बिंदू आखिर कौन है।