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Exit Poll Haryana Election : हरियाणा में कांग्रेस की वापसी के पीछे किसका हाथ ? क्या हुड्डा की ताकत या राहुल गांधी का चेहरा ?

बीते कल यानि 5 अक्टूबर को हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई। एग्जिट पोल और सी वोटर के सर्वे में कांग्रेस वापसी करती हुई नजर आ रही है। लेकिन कांग्रेस की इस वापसी में क्या हुड्डा परिवार का हाथ है या फिर राहुल की बढ़ती लोकप्रियता ?
Exit Poll Haryana Election : हरियाणा में कांग्रेस की वापसी के पीछे किसका हाथ ?  क्या हुड्डा की ताकत या राहुल गांधी का चेहरा ?
करीब 10 साल बाद Haryana की सत्ता में कांग्रेस की वापसी होने जा रही है।  बीते कल यानि 5 अक्टूबर को एक चरण में हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई। वोटिंग संपन्न होने के बाद शाम से ही एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आने लगे। इनमें सी वोटर के एग्जिट पोल में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलता नजर आ रहा है। वहीं एग्जिट पोल में कांग्रेस को करीब 50 से 58 सीटें मिलती नज़र आ रही हैं। बीजेपी की बात की जाए। तो वह सत्ता बचाने में नाकामयाब दिखाई दे रही है। वहीं सी वोटर सर्वे के डायरेक्टर यशवंत देशमुख ने तो एक चौकाने वाला बयान दिया है। यशवंत का कहना है कि कांग्रेस लैंड स्लाइड विक्ट्री की ओर भी बढ़ सकती है। मतलब 90 विधानसभा सीटों में कहीं 80 सीटें न निकाल ले। ऐसे में अगर सर्वे में कांग्रेस की इतनी प्रचंड जीत की उम्मीद दिख रही है। तो इसके पीछे की क्या बड़ी वजह हो सकती है। आखिर इसके पीछे वो कौन सी ताकत है। जो हरियाणा में कांग्रेस की जबरदस्त वापसी कराती हुई नजर आ रही है। क्या राहुल की राष्ट्रीय राजनीति के साथ राज्य में बढ़ती लोकप्रियता या फिर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जाट बेल्ट और हरियाणा की पॉलिटिक्स में मजबूत पकड़ है। आखिर क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह ?

बीते कई सालों में राहुल की लोकप्रियता बीजेपी पर पड़ रही भारी 


एक समय था। जब राहुल गांधी की बयानों को सिर्फ मनोरंजन के लिए इस्तेमाल किया जाता था। हम सबने तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर राहुल गांधी के बयानों के तमाम मिम्स बनते हुए देखें हैं। आज भी इनके मिम्स कई  वीडियो में इस्तेमाल होते हैं। बीते कुछ साल पहले राहुल गांधी को लोग एक नेता के तौर पर कम एक कॉमेडियन के तौर पर ज्यादा तवज्जो देते थे। लेकिन अगर आप बीते दो-तीन सालों के बयानों को देख ले। तो राहुल गांधी का हर एक बयान सुर्खियों में रहता है। मतलब इन बयानों को पक्ष और विपक्ष के साथ देश की जनता भी ध्यानपूर्वक सुनती है। इन बयानों में उनकी कही हुई बातों का मतलब समझ आता है कि आखिर राहुल क्या कहना चाहते हैं। एक समय जब राहुल गांधी पिछड़ों और दलितों को लेकर भाषण दिया करते थे। तब उस दौरान हर कोई यही सोचता था कि इतने सालों तक देश में राज करने वाली पार्टी ने अभी तक तो कुछ नही किया और अब उन्हीं के अधिकारों की बात कर रही है। लेकिन अब राहुल गांधी के द्वारा किसी सभा या बड़े मंच से पिछड़ों और दलितों की दुर्दशा को लेकर दिया गया बयान काम करता नज़र आ रहा है। राहुल की बातों को पार्टी के साथ आम जनता भी गंभीरता से ले रही है। छोटे तबके के लोग ज्यादातर राहुल की बातों से प्रभावित हैं। राहुल हरियाणा चुनाव में अपने चेहरे के दम पर वोटर्स के बीच काफी चर्चा में रहे। राहुल की चाहे भारत छोड़ो यात्रा देख ले या संविधान-बचाओ आरक्षण- बचाओ का नारा हो। सभी ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को करारी चोट पहुंचाई हैं। बीजेपी इन नारों को हरियाणा में झूठा साबित नहीं कर पाई। कई बड़े चैनलों ने जब हरियाणा की आम जनता से बात की। तो ज्यादातर लोगों का यही कहना था कि मोदी से ज्यादा अच्छाइयां राहुल के अंदर नजर आती है। इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने खूब जमकर प्रचार-प्रसार किया। राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक आखिरी दौर तक मैदान में डटी रही। दोनों ने मिलकर पार्टी के अंदर चल रही अंदरूनी कलह को भी खत्म किया। जिसका फायदा 10 साल बाद वापसी के रूप में दिखाई दे रहा है। 

हरियाणा में 10 साल बाद हो रही वापसी में क्या हुड्डा फैमिली है सबसे बड़ा कारण ? 


हरियाणा कांग्रेस का जब भी जिक्र होता है। तो हर किसी के जुबान पर हुड्डा परिवार का नाम आता है। हुड्डा फैमिली हरियाणा में कांग्रेस की जीत की एक बड़ी वजह बन सकती है। पिता और पुत्र की जोड़ी ने इस बार की चुनाव में गजब का खेल दिखाया है। भले ही राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जैसे बड़े चेहरे चुनावी मैदान में नज़र आ रहे थे। लेकिन लोकल चेहरे के रूप में पिता और पुत्र की जोड़ी ने खूब मेहनत की है। जिसका नतीजा एग्जिट पोल में दिखाई दे रहा है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा में सबसे ज्यादा रैलियां और सभाएं की। अगर कांग्रेस की वापसी हो रही है। तो इसका क्रेडिट हुड्डा फैमिली को देना कहीं से भी गलत नहीं होगा। हरियाणा की राजनीति में एक कहावत है कि भले ही आप लोकप्रिय हैं। लेकिन बूथ तक वोट डलवाने के लिए आपको बड़ी लड़ाई लड़नी होती है। यह कहावत उस कहावत की तरह ही है कि जैसे फिल्म तो अच्छी है। लेकिन उसे थिएटर ही ना मिले। तो फिर फिल्म पिट जाती है। हुडा परिवार हरियाणा की राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा होने के साथ-साम-दाम-दंड-भेद सबका इस्तेमाल करने में बड़े खिलाड़ी माने जाते हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी अशोक तंवर को बड़ा चेहरा मानते थे। लेकिन सोनिया गांधी को यह अच्छे से पता था हरियाणा में जीतना सिर्फ हुड्डा के बस की बात है। अगर राहुल ने पिछले चुनाव में हुड्डा पर भरोसा किया होता। तो परिणाम कुछ और  होता। साल 2019 के चुनाव में हुड्डा बहुमत से चूक गए। लेकिन खुद से कभी हार नहीं मानी। हार के बाद अगले 5 साल तक हुड्डा ने जो कड़ी मेहनत की है। उसका परिणाम 8 अक्टूबर को आने वाले नतीजे से साफ हो जाएंगे। एक कहावत यह है कि चुनाव जीतने के लिए एक अलग तरह की कला होनी चाहिए। जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अंदर कूट-कूट कर भरी है। 

बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे। 5 अक्टूबर को 90 सीटों पर वोटिंग हुई है। एग्जिट पोल और सी वोटर सर्वे के मुताबिक बीजेपी का सत्ता से सफाया हो रहा है और कांग्रेस 10 साल बाद वापसी करती नजर आ रही है। 
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