गिद्धों का विलुप्त होने बना 'जी का जंजाल' 5 लाख लोगों की हुई मौत
बीतें कुछ समय से गिद्धों की आबादी इतनी घटी है कि अब ये विलुप्त होने के कगार पर है लेकिन गिद्धों की विलुप्त्ता इंसानों के लिए चिंता का विषय है क्योंकि गिद्ध को प्रकृति का सफाईकर्मी माना जाता है और इनकी घटती आबादी इंसानों की बढ़ती मौत का करण है। इस वीडियों में हम आपको बताएंगे की विलुप्त होते गिद्धों का इंसानी मौत से कनेक्श क्या है।
भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियां थी। जिनमें से ज्यादातर समाप्त होने के कगार में है। वजह है गिद्धों का प्रजनन दर कम होना दरअसल पांच साल का होने के बाद ही उनमें प्रजनन क्षमता आती है। जिसके बाद ये एक जोड़ा बना लेता है और प्रजनन के लिए तैयार होता है। हैरानी का बात ये है किएक गिद्ध एक साल में सिर्फ एक अंडा दे सकता है इसलिए इनकी संख्या धीमी रफ्तार से बढ़ती है। गिद्ध को प्राकृतिक सफाईकर्मी कहा जाता है। 1990 से पहले गिद्धों की अच्छी खासी संख्या हुआ करती थी लेकिन इसके बाद धड़ल्ले से इनकी संख्या में कमी देखी गई। Mid 1990 में 5 करोड़ गिद्घोंकी संख्या डाईक्लोफेनाक के कारण खत्म होने के कगार पर आ गई और यही वजह बनी इंसानों के अतिरिक्त मौत का American Economic Association general की एक रिसर्च के मुताबिक गिद्धों की घटती आबादी की वजह से घातक bacteria or संक्रमक बिमारियां बढ़ी है और ये बिमारियां 5 साल में 5 लाख लोगों की मौत की वजह बनी है। यानी 1साल में 1 लाख लोगों की मौत की वजह है गिद्धों का खात्मा। अब इसके पिछे की वजह आपको बताते है।दरअसल गिद्धों को प्राकृति को स्वच्छ रखने वाला पंछी माना जाता है क्योंकि वो environment से bacteria or रोग फैलाने वाले मरे हुए जानवरों को खत्म कर देते है और गिद्धों के न रहने से ये बिमारिया फैल रही है और लोगों को अपना निशाना बना रही है। जिससे इंसानों की मौत हो रही है।
American Economic Association general के Co-Author Prof. इयाल फ्रैंक ने भारत में गिद्धों से भरे रहने वाले जिलों में इंसानी मौत पर रिसर्च किया। रिसर्च में जानने की कोशिश की गई कि गिद्धों के रहने और गिद्धों के विलुप्त होने से मानव मृत्यु दर में क्या बदलाव आए है। रिसर्च में पाया गया की Anti inflametri medicines की बढ़ती डिमांड और गिद्धों की घटती आबादी से मानव मृत्यु दर में 4 प्रतिशत की बढोतरी हुई इतना ही नहीं Urban areas में इसका प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ा है। जहां जनवरों के लाश को फेंकना आम था रिसर्च में अनुमान लगाया गया कि 2000-2005 के बीच गिद्धओं की घटती आबादी के कारण हर साल एक लाख इंसानों की हुई. मौत का कारण बना bacterial बिमारियों का बढ़ना, जिन्हें गिद्ध होते तो इसका सफाया कर देते। जैसे की गिद्धओं की कमी से आवारा कुत्तों की आबादी में बढोतरी हुई और इंसानों में रेबीज फैल गया'।