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मोदी सरकार में किसानों की कमाई बढ़ी, दालों के एमएसपी में जबरदस्त उछाल

भारत अब दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली NDA सरकार में दालों का निर्यात 10 सालों में 264% बढ़ा है, जबकि आयात केवल 86% ही बढ़ा। कांग्रेस शासन की तुलना में, जहां आयात कई गुना बढ़ता गया था, NDA सरकार ने दाल उत्पादन को बढ़ावा देकर देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया।
मोदी सरकार में किसानों की कमाई बढ़ी, दालों के एमएसपी में जबरदस्त उछाल
भारत कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को मजबूत करते हुए दालों के उत्पादन और निर्यात को उच्च स्तर तक पहुंचा दिया है। बीते एक दशक में भारत ने न केवल अपनी दालों की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, बल्कि अब निर्यात के मामले में भी बड़ी छलांग लगाई है।

दालों के निर्यात में ऐतिहासिक वृद्धि

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में भारत ने 4,437 करोड़ रुपये की दालों का निर्यात किया, जबकि 2015 में यह मात्र 1,218 करोड़ रुपये था। इस प्रकार, बीते 10 वर्षों में दाल निर्यात में 264.29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

दूसरी ओर, दालों के आयात में भी कुछ वृद्धि हुई है, लेकिन यह वृद्धि निर्यात की तुलना में बहुत कम रही। वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल-दिसंबर अवधि में भारत ने 31,814 करोड़ रुपये की दालों का आयात किया, जो 2015 में 17,063 करोड़ रुपये था। हालांकि, यह वृद्धि 86.45 प्रतिशत रही, लेकिन इस दौरान दालों के उत्पादन और निर्यात में जिस गति से वृद्धि हुई, वह दर्शाता है कि भारत अब आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है।

यूपीए बनाम एनडीए, आंकड़ों की जुबानी

अगर पिछले दो दशकों की तुलना की जाए, तो यूपीए सरकार (2004-2014) के कार्यकाल में दालों के निर्यात में 187.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जबकि आयात में 457.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। यूपीए के शासनकाल में वित्त वर्ष 2014 में भारत ने 1,749 करोड़ रुपये की दालों का निर्यात किया था, जबकि 2005 में यह आंकड़ा मात्र 608 करोड़ रुपये था। वहीं, आयात 2005 में 1,981 करोड़ रुपये था, जो 2014 में बढ़कर 11,037 करोड़ रुपये हो गया था।

एनडीए सरकार के तहत स्थिति पूरी तरह बदल गई। जहां निर्यात कई गुना बढ़ा, वहीं आयात को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गईं। इससे भारत में दालों का उत्पादन बढ़ा और किसानों को भी इसका सीधा लाभ मिला।

किसानों को मिल रहा एमएसपी का लाभ

एनडीए सरकार के कार्यकाल में किसानों की आय बढ़ाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर विशेष ध्यान दिया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, एनडीए सरकार ने अब तक दाल उत्पादक किसानों को 93,544 करोड़ रुपये की एमएसपी का भुगतान किया है, जबकि यूपीए सरकार के कार्यकाल में यह मात्र 1,936 करोड़ रुपये था। इससे स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में प्रभावी कदम उठा रही है।

आत्मनिर्भरता की दिशा में सरकार के प्रयास

केंद्र सरकार ने दालों के उत्पादन को बढ़ाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। बजट 2025-26 में घोषणा की गई थी कि केंद्रीय नोडल एजेंसियों के माध्यम से 2028-29 तक तुअर (अरहर), उड़द और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद की जाएगी। इसके तहत केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तुअर, मसूर और उड़द की क्रमशः 13.22 लाख मीट्रिक टन, 9.40 लाख मीट्रिक टन और 1.35 लाख मीट्रिक टन खरीद को मंजूरी दी है।

सरकार के इन प्रयासों के चलते भारत आने वाले वर्षों में दालों के उत्पादन और निर्यात में और मजबूती हासिल कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही रफ्तार बनी रही, तो भारत न केवल दालों के आयात पर निर्भरता कम कर देगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख दाल निर्यातक देश के रूप में उभर सकता है।

एनडीए सरकार के कार्यकाल में भारत ने दालों के क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। जहां पहले भारत दालों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था, वहीं अब देश अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ निर्यात भी कर रहा है। सरकार की किसान-हितैषी नीतियों और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आने वाले वर्षों में यह सफलता और भी बढ़ने की उम्मीद है।
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