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यमुना एक्सप्रेसवे पर किसानों का धरना खत्म, हिरासत में लिए गए प्रमुख नेता

ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेसवे पर भूमि अधिग्रहण और मुआवजे की मांग को लेकर किसानों का धरना प्रशासन की सख्ती के बाद खत्म कर दिया गया। पुलिस ने कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया, जिससे किसानों में तनाव का माहौल है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अराजकता बर्दाश्त न करने के निर्देश दिए हैं, जबकि किसान नेताओं ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया है।
यमुना एक्सप्रेसवे पर किसानों का धरना खत्म, हिरासत में लिए गए प्रमुख नेता
ग्रेटर नोएडा के यमुना एक्सप्रेसवे पर एक बार फिर किसानों और प्रशासन के बीच टकराव ने तूल पकड़ लिया है। यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर चल रहा किसानों का धरना बुधवार को पुलिस की सख्ती के बाद खत्म कर दिया गया। प्रशासन ने धरने को समाप्त कराने के लिए कई किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) द्वारा बुलाए गए इस धरने का मुख्य उद्देश्य स्थानीय भूमि अधिग्रहण से जुड़ी विसंगतियों और मुआवजे की मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद करना था।

किसानों ने महापंचायत के जरिए अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया, जिसमें हजारों की संख्या में किसान शामिल हुए। लेकिन पुलिस ने धरने को अवैध घोषित कर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कार्रवाई की। इस दौरान पुलिस ने किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया, जिससे धरना समाप्त हो गया। हिरासत में लिए गए किसानों में कई प्रमुख नाम शामिल थे, जो अपनी लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलनरत थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश
धरने के खत्म होने के कुछ ही घंटों बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले पर सख्त निर्देश जारी किए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य में किसी भी तरह की अराजकता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस रुख से प्रशासन ने धरना स्थल पर सुरक्षा बढ़ा दी और इलाके में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया।

हालांकि भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता ने किसानों की गिरफ्तारी और प्रदर्शन को जबरन खत्म कराने की कड़ी निंदा की। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया और कहा कि आंदोलन थमने वाला नहीं है। उन्होंने दावा किया कि किसानों की मांगें पूरी होने तक यह लड़ाई जारी रहेगी। किसान नेताओं का कहना है कि भूमि अधिग्रहण और मुआवजे के मुद्दों पर सरकार का रवैया असंवेदनशील है, और इसीलिए उन्हें आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है। इन सबके बीच महापंचायत के दौरान भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख नेता राकेश टिकैत की अनुपस्थिति ने लोगों का ध्यान खींचा। हालांकि, उनके बेटे गौरव टिकैत ने किसानों को संबोधित कर उनकी उम्मीदों को बनाए रखा। बाद में राकेश टिकैत ने पुलिस को चकमा देकर धरना स्थल पर पहुंचने की कोशिश की, जिसके दौरान उन्हें यमुना एक्सप्रेसवे पर दौड़ते हुए देखा गया।

इससे पहले मंगलवार को नोएडा के दलित प्रेरणास्थल पर भी किसानों ने प्रदर्शन किया था। पुलिस ने उस समय करीब 160 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया था। हालांकि, इनमें से कई बुजुर्ग, महिलाएं और बीमार लोग जेल के गेट पर ही रिहा कर दिए गए थे। गौतम बुद्ध नगर में किसानों और प्रशासन के बीच जारी गतिरोध ने प्रदेश की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। विपक्ष ने सरकार की सख्ती पर सवाल उठाए हैं और किसानों के अधिकारों के लिए समर्थन जताया है।

किसानों के इस धरने और प्रशासन की कार्रवाई ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि लोकतांत्रिक समाज में जनता की आवाज को किस हद तक दबाया जा सकता है। भूमि अधिग्रहण और मुआवजे की समस्याओं को हल करने की बजाय सख्ती से निपटने की नीति क्या वाकई सही है? यह देखना होगा कि सरकार और किसान नेता इस गतिरोध को हल करने के लिए किस दिशा में कदम बढ़ाते हैं।

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