‘पहले अपना रिकॉर्ड देख लें’ ईरान ने भारतीय मुस्लिमों पर दिया बयान, विदेश मंत्रालय ने तगड़ा सुना दिया
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई के इस कथित आरोप पर अब भारत की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आ चुकी है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों का कड़े शब्दों में जवाब दिया है और खामेनेई के बयान की निंदा की है।
विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया -''हम ईरान के सर्वोच्च नेता की ओर से भारत में अल्पसंख्यकों के बारे में की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते हैं। ये गलत सूचना पर आधारित और अस्वीकार्य हैं। अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी करने वाले देशों को सलाह दी जाती है कि वे दूसरों के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से पहले अपना रिकॉर्ड देखें।''
अब ईरान की टिप्पणी के बाद भारत के दोस्त इज़रायल ने भी भारत का साथ दिया और ईरानी नेता को अपने ही लोगों का हत्यारा करार देकर उनकी पोल खोलकर रख दी। भारत में इज़रायल के नए राजदूत रेउवेन अजार ने एक्स पर ईरानी नेता को टैग करके लिखा, 'खामेनेई, तुम अपने ही लोगों के हत्यारे हो और उनका दमन करने वाले हो। इज़रायल, भारत और सभी लोकतंत्रों में मुसलमान स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं, जिसे ईरान में नहीं दिया जाता है। मैं आशा करता हूं कि ईरान के लोग भी जल्द फ्री होंगे।'
ये कोई पहली बार नहीं है जब ईरान के नेता ने इस तरह की बात कही है। इससे पहले भी ईरानी नेता भारत में अल्पसंख्यकों पर बात कर चुके हैं। साल 2019 में उन्होंने जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि हम कश्मीर में मुसलमानों की स्थिति के बारे में चिंतित हैं। भारत के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार कश्मीर के नेक लोगों के लिए सही नीति को अपनाएगी और इस क्षेत्र में मुसलमानों पर अत्याचार को रोकेगी।
अब ये तो आपने जाना कि ईरान ने कैसे भारत की तरफ उंगली उठाई और भारत ने बिना देर किए ईरान को धो डाला।
अब ये भी जानिए कि जो ईरान दुनिया के बाकी मुसलमानों का हिमायती बन रहा है, उसके देश में ही अल्पसंख्यक मुसलमानों के एक समुदाय को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। वहीं, वहां खासकर अल्पसंख्यक सुन्नी मुसलमानों को तेहरान जैसे प्रमुख शहरों में मस्जिद बनाने का अधिकार तक नहीं है। मुस्लिम महिलाओं को भी प्रताड़ना ईरान में झेलनी पड़ती है। वहां महिलाएं सख्त हिजाब कानून और मोरैलिटी पुलिस के पहरे में जीने को मजबूर हैं। जो महिलाएं हिजाब कानून का उल्लंघन करती हैं, उन्हें जुर्माना, जेल और यहां तक कि शारीरिक प्रताड़ना भी झेलनी पड़ती है। अभी पिछले महीने की ही खबर है कि जब ईरान में एक महिला ने हिजाब कानून का उल्लंघन किया, तो पुलिस ने गोली मार दी।
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इन प्रथाओं के लिए ईरान की बार-बार निंदा की है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की 2022 रिपोर्ट में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर ईरान के गंभीर प्रतिबंधों पर प्रकाश डाला गया। उसमें साफ हुआ कि अकेले 2022 में, ईरान ने 140 व्यक्तियों को उनकी धार्मिक मान्यताओं के लिए गिरफ्तार किया और दर्जनों को जेल में डाल दिया। ईरान में धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर ईसाई, बहाई और सूफी मुसलमानों को लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। और ये ईरान भारत की तरफ उंगली उठा रहा था।