गोरक्षपीठाधीश्वर योगी ने विजयदशमी पर नाथपंथ की परंपरा के अनुसार विशेष परिधान में की देव विग्रहों की पूजा
गोरखनाथ मंदिर में शिवावतार गुरु गोरक्षनाथ का विशेष अनुष्ठान हुआ।नाथपंथ की परंपरा का अनुसरण करते हुए गोरक्षपीठाधीश्वर के विशेष परिधान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीनाथ जी की विधि विधान से पूजा-आराधना की।
देशभर में आज विजयदशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है।इस मौक़े पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश के तमाम हस्तियों ने देशवासियों को विजयदशमी की शुभकामनाएँ दी है। वही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने शुभकामनायें तो दी है इसके साथ वो अपनी गोरखनाथ मंदिर में अपनी पीठाधीश्वर की ज़िम्मेदारी भी बख़ूबी निभाते हुए नज़र आए है। शनिवार की सुबह गोरखनाथ मंदिर में शिवावतार गुरु गोरक्षनाथ का विशेष अनुष्ठान हुआ।नाथपंथ की परंपरा का अनुसरण करते हुए गोरक्षपीठाधीश्वर के विशेष परिधान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीनाथ जी की विधि विधान से पूजा-आराधना की। तदुपरांत गोरखनाथ मंदिर में प्रतिष्ठित सभी देव विग्रहों का विशिष्ट पूजन किया।
विजयादशमी के दिन प्रातः काल गोरक्षपीठाधीश्वर ने मंदिर के शक्तिपीठ में मां जगतजननी की पूजा की और इसके बाद गोरखनाथ मंदिर के गर्भगृह में जाकर महायोगी गोरखनाथ जी के समक्ष हाजिरी लगाई। मंदिर के गर्भगृह में उन्होंने विशिष्ट पूजन किया और गुरु गोरखनाथ जी की आरती उतारी। इस अवसर पर उन्होंने मंदिर में प्रतिष्ठित सभी देव विग्रहों का भी विशिष्ट पूजन किया। गोरक्षपीठाधीश्वर ने करबद्ध होकर श्रीनाथ जी और सभी देव विग्रहों की परिक्रमा भी की और प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि और कल्याण की प्रार्थना की। इस दौरान नाथपंथ के परंपरागत विशेष वाद्य यंत्र नागफनी, शंख, ढोल, घंट, डमरू की गूंज से पूरा मंदिर परिसर भक्ति भाव में उल्लासित रहा।
बताते चले कि सूबे की मुखिया यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ, गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी है।यही वजह है कि कोई भी त्योहार का मौक़ा होता है तो सीएम योगी गोरखनाथ मंदिर में मौजूद रहते है। यहाँ पर एक शोभायात्रा भी निकाली जाती है जिसका समापन मानसरोवर रामलीला मैदान में होगा, जहां सीएम योगी प्रभु श्रीराम का पूजन व राज्याभिषेक करेंगे। सामाजिक समरसता के ताने-बाने को मजबूत करने वाली गोरक्षपीठ की विजयादशमी की विजय शोभायात्रा अनूठी होती है। परंपरागत शोभायात्रा में हर वर्ग के लोग तो शामिल होते ही हैं, अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों द्वारा भी इस यात्रा स्वागत किया जाता है।