Haryana Election Result : न मोदी न शाह न नायब हरियाणा की जीत के असली साइलेंट हीरो हैं ये नेता !
हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगाई है। बीजेपी तीसरी बार लगातार सरकार बनाने जा रही है। इस जीत में कई दिग्गजों ने बड़ी भूमिका निभाई। लेकिन जीत की असल भूमिका बीजेपी के इस साइलेंट हीरो ने निभाई है।
Haryana विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत की चर्चा चारों तरफ है। बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए हैट्रिक लगाई है। 57 साल बाद ऐसा हुआ है कि किसी पार्टी ने राज्य में लगातार 3 बार सरकार बनाई है। इस जीत में हरियाणा सरकार के मंत्रियों के साथ देश के कई बीजेपी राज्यों से लेकर केंद्रीय मंत्रियों ने भी प्रचार- प्रसार का जिम्मा अपने कंधे पर संभाला था। कई दिग्गज हरियाणा के चुनावी मैदान में उतरे। लेकिन हरियाणा की इस जीत में पर्दे के पीछे साइलेंट हीरो के रूप में इक ऐसे नेता ने बड़ी भूमिका निभाई है। जो मोदी और अमित शाह का काफी खास है। इस दिग्गज ने पर्दे के पीछे जीत की ऐसी स्क्रिट लिखी कि विरोधी खेमा पूरी तरीके से फेल हो गया। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि इस दिग्गज ने यह भूमिका निभाई हो। इससे पहले भी इनको जब-जब बड़ी भूमिका निभाने की जिम्मेदारी मिली है। तब-तब इन्होंने खेला किया है। पहले ममता बनर्जी के घर में घुसकर उनको हराया फिर उत्तराखंड, यूपी और अपने राज्य ओडिशा में इन्होंने इतिहास रचा। यह चुनाव के सबसे मंझे हुए खिलाड़ी हैं।
हरियाणा की जीत में मोदी और शाह का करीबी है असली साइलेंट हीरो
आपको बता दें कि पीएम मोदी और अमित शाह के करीबी और खास नेताओं की लिस्ट में शामिल केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भगवा पार्टी के मुख्य रणनीतिकार के रूप में हर बार बड़ी भूमिका निभाई है। हरियाणा में बीजेपी की हैट्रिक में इन्होंने पर्दे के पीछे रहकर विरोधियों के हर एक सपने को कुचलने का काम किया है। विभिन्न मोर्चों पर इन्होंने अपनी रणनीति बनाई। इन्हीं वजहों से बीजेपी को हरियाणा में इतनी शानदार जीत मिली है।
भाजपा के सूत्रों के मुताबिक " हरियाणा में भाजपा सत्ता विरोधी लहर से जूझ रही थी। पार्टी के कई बागी नेताओं ने चिंता बढ़ा दी थी "।
यहां भाजपा को जाट,किसान और अग्निवीर योजना से नाखुश सेना के उम्मीदवार कांग्रेस के जोरदार प्रचार से हिले हुए पार्टी कार्यकर्ता टिकट बंटवारे को लेकर नाखुश थे। जिसकी वजह से भाजपा के विद्रोहियों का सामना करना पड़ रहा था।
धर्मेंद्र प्रधान ने छोटी-छोटी जगहों पर की बैठके
सूत्रों के हवाले से धर्मेंद्र प्रधान अपनी योजना के मुताबिक हर एक मौके पर डटे रहे। रोहतक,कुरुक्षेत्र और पंचकूला में उन्होंने शिविर लगाए। सभी कार्यकर्ताओं की बात सुनी। जमीनी स्तर पर खूब दौड़ लगाई। केंद्रीय नेतृत्व से संपर्क किया कार्यकर्ताओं के अंदर जोश भरा। उम्मीदवारों के चयन में भी बड़ी भूमिका निभाई। कांग्रेस के प्रचार-प्रसार को रहस्यपूर्ण बताया। कार्यकर्ताओं से वास्तविक समय का फीडबैक लेते थे। केंद्रीय नेतृत्व से बात कर कमियों को दूर करते थे। हरियाणा में नाराज लोगों को शांत कराया। कमजोर बूथों का चयन कर अन्य दलों के मजबूत कार्यकर्ताओं को अपनाया। वही टिकट बंटवारे में कई दिग्गजों का टिकट कटने के बाद नाराजगी को दूर करने में भी बड़ी भूमिका निभाई और नाराज लोगों को शांत करवाया।
यह धर्मेंद्र प्रधान का ही प्रयास था कि नामांकन के दौरान 25 बागियों में से सिर्फ 3 से निपटना पड़ा। क्योंकि हालात इतने बद से बदतर हो चुके थे कि बागियों ने बीजेपी का खेल खराब करने की पूरी तैयारी कर ली थी। दो दर्जन से अधिक बागी नेता चुनाव लड़ने को तैयार थे। लेकिन धर्मेंद्र प्रधान के प्रयास से नामांकन के दौरान सिर्फ 3 ही बागी नेता बचे जिन्होंने चुनाव लड़ा। अब जब रिजल्ट सामने आ गया है। तो धर्मेंद्र प्रधान का हर एक प्रयास और साइलेंट हीरो की भूमिका साफ दिखाई दे रही है। बीजेपी ने पूर्ण बहुमत हासिल कर 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं कांग्रेस 37, 3 निर्दलीय और 2 इनेलो पार्टी सीटें जीतने में कामयाब रही है।
हरियाणा से पहले बंगाल,उत्तराखंड और ओडिशा में बड़ी भूमिका निभाई
आपको बता दें कि चुनाव के मंझे हुए खिलाड़ी बन चुके धर्मेंद्र प्रधान ने पहली बार इस तरह की भूमिका साल 2017 के उत्तराखंड चुनाव में निभाई थी। 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव में भी यही भूमिका मिली थी। 2021 में पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी बड़ी भूमिका निभाई थी। इन्होंने ममता बनर्जी को हरवाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। बता दें कि बंगाल सीएम ममता बनर्जी 2021 का विधानसभा चुनाव नंदीग्राम सीट से लड़ी थी। जहां से ममता बनर्जी चुनाव हार गई थी। उस हार ने पूरे बंगाल को हिला डाला था। बीजेपी ने नंदीग्राम की इस सीट पर धर्मेंद्र प्रधान को जिम्मेदारी सौंपी थी। इस साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान धर्मेंद्र ने अपने गृह राज्य ओडिशा मे हुए विधानसभा चुनाव में भी बड़ी भूमिका निभाई थी। जहां बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी।