क्या लोकतांत्रिक परंपराएं भूल गये Rahul Gandhi, संसद में कर दी भारी गलती
साल 2004 में पहली बार राजनीति में कदम रखने वाले राहुल गांधी लगातार तीन बार अमेठी से सांसद रहे। जबकि साल 2019 में केरल के वायनाड से भी सांसद रहे।लेकिन इसके बावजूद लगता है कांग्रेस के जननायक राहुल गांधी को लोकतांत्रिक परंपराएं निभानी नहीं आतीं। इसीलिये सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री को सत्ता संभालने पर बधाई देना मुनासिब नहीं दिया।तो वहीं अब संसद में शपथ ग्रहण के दौरान एक और भारी गलती कर दी।
Rahul Gandhi : गांधी परिवार के वारिस Rahul Gandhi राजनीति में कोई नए नए नहीं आए हैं। वो उस गांधी परिवार से आते हैं। जिसने देश को इंदिरा राजीव जैसे प्रधानमंत्री दिये। और यहां तक कि खुद साल 2004 में पहली बार राजनीति में कदम रखने वाले राहुल गांधी लगातार तीन बार अमेठी से सांसद रहे। जबकि साल 2019 में केरल के वायनाड से भी सांसद रहे। लेकिन इसके बावजूद लगता है कांग्रेस के जननायक राहुल गांधी को लोकतांत्रिक परंपराएं निभानी नहीं आतीं। इसीलिये सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री को सत्ता संभालने पर बधाई देना मुनासिब नहीं दिया। तो वहीं अब संसद में शपथ ग्रहण के दौरान एक और भारी गलती कर दी ।
दरअसल लगातार दो लोकसभा चुनावों में विपक्ष में बैठने लायक सीट भी नहीं जीत पाने वाली कांग्रेस इस बार के लोकसभा चुनाव में 99 सीट क्या जीत ले गई। जैसे मानो देश में सरकार बना ली हो।चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस नेताओं का कुछ यही हाल है। जीत के इसी जश्न में लगता है कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी डूबे हुए हैं।शायद इसीलिये लगातार पांचवीं बार जब सांसद पद की शपथ लेने के लिए सदन में पहुंचे तो। इस दौरान इतना भी भूल गये कि लोकतांत्रिक परंपराएं यही कहती हैं कि कोई भी सांसद पद की शपथ लेने के बाद चेयर पर बैठे प्रोटेम स्पीकर को प्रणाम करता है या अभिवादन स्वरूप उनसे हाथ मिलाता है। यकीन नहीं तो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देख लीजिये।
तीन बार के सांसद पीएम मोदी ने शपथ के बाद प्रोटेम स्पीकर के साथ ही विपक्ष के सांसदों का भी हाथ जोड़ कर अभिवादन किया। तो वहीं दूसरी तरफ चार बार के सांसद राहुल गांधी हाथ में संविधान लेकर शपथ लेने तो पहुंच गये। लेकिन शपथ लेते ही तुरंत अपनी सीट की ओर चलते बने। वो तो भला हो कांग्रेस सांसदों का।जिन्होंने राहुल गांधी को याद दिलाया कि। शपथ लेने के बाद प्रोटेम स्पीकर का अभिवादन भी करना होता है। तभी तो। कांग्रेसी सांसदों के कहने पर राहुल गांधी तुरंत उल्टे पांव प्रोटेम स्पीकर के पास गये। और उनका अभिवादन किया। तब अपनी सीट पर लौटे।
प्रोटेम स्पीकर को प्रणाम करने की लोकतांत्रिक परंपराएं भूलने वाले राहुल गांधी इससे पहले नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का शपथ लेने पर भी बधाई नहीं दी थी। जबकि लोकतांत्रिक परंपराएं यही कहती हैं कि चुनाव में भले ही नेता एक दूसरे पर करारा वार पलटवार करते रहे हों। लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद जो जीत हासिल करता है। उसे बधाई देनी होती है। खुद पीएम मोदी ने हिमाचल और तेलंगाना में बीजेपी के चुनाव हारने के बावजूद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बधाई दी थी। लेकिन राहुल गांधी के पास इतना भी वक्त नहीं था कि वो देश के प्रधानमंत्री को शपथ लेने की बधाई दे सकें। ये हाल है हाथ में संविधान लेकर घूमने वाले राहुल गांधी का।
जिन्हें कांग्रेसी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत जन नायक कहा करती हैं। चार बार के सांसद होने के बावजूद राहुल गांधी ने जो गलती की है। उस पर आपका क्या कहना है अपनी राय हमें कमेंट कर जरूर बताएं। साथ ही संसद में शपथ के दौरान असदुद्दीन ओवैसी के जय फिलस्तीन बोलने पर कितना बवाल मचा।