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इजरायल के हमले में हिजबुल्लाह नेता हाशिम सफीद्दीन की मौत, Middle east में बढ़ा तनाव

सफीद्दीन की मौत ने पूरे मध्य पूर्व में हलचल पैदा कर दी है। सफीद्दीन ने खुद को पैगंबर मोहम्मद का वंशज बताया था, जो उसे हिजबुल्लाह के भीतर एक विशेष धार्मिक और राजनीतिक कद देता था। उसकी गहरी पकड़ और संगठन में बढ़ती लोकप्रियता उसे नसरल्लाह के बाद संगठन का अगला प्रमुख बना सकती थी।
इजरायल के हमले में हिजबुल्लाह नेता हाशिम सफीद्दीन की मौत, Middle east में बढ़ा तनाव
बीते गुरुवार की रात को बेरूत पर हुए इजरायली हमले ने एक बार फिर से मध्य पूर्व के राजनीतिक और सैन्य तनाव को बढ़ा दिया है। इस हमले में हिजबुल्लाह के वरिष्ठ नेता हाशिम सफीद्दीन की मौत की खबर सामने आई है। हाशिम सफीद्दीन को हिजबुल्लाह के सबसे संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा था, खासकर उसके वर्तमान प्रमुख हसन नसरल्लाह के निधन के बाद।

हाशिम सफीद्दीन कौन था?

हाशिम सफीद्दीन का जन्म 1960 के दशक में दक्षिणी लेबनान में हुआ। उन्होंने लेबनान के गृहयुद्ध के दौरान 1980 के दशक में हिजबुल्लाह के संस्थापकों के रूप में संगठन से जुड़ने का फैसला किया। हिजबुल्लाह एक शिया मुस्लिम संगठन है, जिसे उस समय लेबनान में राजनीतिक अस्थिरता और ईरानी क्रांति से समर्थन मिला। सफीद्दीन ने अपने नेतृत्व कौशल से संगठन में तेजी से ऊंचाईयां छुईं और हिजबुल्लाह के प्रमुख नेता हसन नसरल्लाह के करीबी बन गया।

सफीद्दीन ने हिजबुल्लाह में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई, जिनमें राजनीतिक, सांस्कृतिक और सैन्य नेतृत्व शामिल है। 1995 में, उसे हिजबुल्लाह की सर्वोच्च परिषद में शामिल किया गया और उसके बाद जल्द ही उन्हें संगठन की सैन्य गतिविधियों का प्रमुख बना दिया गया। 1998 में, सफीद्दीन को हिजबुल्लाह की कार्यकारी परिषद का प्रमुख बनाया गया, जो संगठन के राजनीतिक और आर्थिक मामलों की देखरेख करता है। यह वही पद था जिसे नसरल्लाह ने पहले संभाला था, जब तक वह हिजबुल्लाह का महासचिव नहीं बना। सफीद्दीन न केवल एक सैन्य नेता था, बल्कि उसे हिजबुल्लाह के राजनीतिक एजेंडे को भी आगे बढ़ाया। वह लेबनान और पूरे मध्य पूर्व में शिया मुस्लिमों के हितों के लिए संगठन की नीतियों का नेतृत्व करता था। उसकी छवि एक ऐसे नेता की रही, जो हिजबुल्लाह की आतंकी गतिविधियों को भी आगे बढ़ाने में शामिल रहा है।

2017 में, अमेरिका और सऊदी अरब ने हाशिम सफीद्दीन को आतंकवादी घोषित किया। अमेरिका ने हिजबुल्लाह को 1997 में ही आतंकवादी संगठन की श्रेणी में डाल दिया था, और सफीद्दीन पर आरोप लगाया गया कि वह हिजबुल्लाह के सैन्य और आतंकी अभियानों को निर्देशित कर रहा था। सफीद्दीन पर कई आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने का आरोप है, जिसमें 1983 में बेरूत में अमेरिकी दूतावास पर आत्मघाती ट्रक बम धमाका, 1984 में अमेरिकी दूतावास पर हमला और 1985 में टीडब्ल्यूए फ्लाइट 847 का अपहरण शामिल है।

आपको बता दें कि सफीद्दीन ने खुद को पैगंबर मोहम्मद का वंशज बताया था, जो उसे हिजबुल्लाह के भीतर एक विशेष धार्मिक और राजनीतिक कद देता था। उसकी गहरी पकड़ और संगठन में बढ़ती लोकप्रियता उसे नसरल्लाह के बाद संगठन का अगला प्रमुख बना सकती थी।

लेकिन आ रही खबरों के मुताबिक, इजराइल डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने बेरूत के दहिय उपनगर में हाशिम सफीद्दीन के बंकर पर हमला किया। यह वही स्थान है, जहां हिजबुल्लाह के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक गुप्त बैठक हो रही थी। इस हमले में सफीद्दीन को मार गिराया गया, लेकिन अभी तक हिजबुल्लाह की ओर से आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। इजरायल के इस हमले ने हिजबुल्लाह को एक बड़ी चोट दी है, क्योंकि सफीद्दीन का संगठन के भीतर काफी प्रभाव था।
इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच बढ़ते तनाव
यह हमला अचानक नहीं हुआ। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच तनाव दशकों से चला आ रहा है। हिजबुल्लाह, जो कि ईरान समर्थित एक शिया संगठन है, इजरायल के खिलाफ लगातार हमले और रॉकेट लॉन्च करता रहा है। इजरायल ने भी समय-समय पर हिजबुल्लाह के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की है। हालांकि, सफीद्दीन की मौत इस संघर्ष का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, क्योंकि इससे हिजबुल्लाह की कमान में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है।
अमेरिका और पश्चिमी देशों की भूमिका
हाशिम सफीद्दीन को लेकर अमेरिका और पश्चिमी देशों की विशेष चिंताएँ थीं। 2017 में, अमेरिका ने उसे आतंकवादी घोषित किया था और उसके खिलाफ कई प्रकार की पाबंदियाँ भी लगाई थीं। सफीद्दीन हिजबुल्लाह के राजनीतिक गतिविधियों का भी प्रबंधन करता था, जो कि संगठन की वित्तीय और अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों के लिए काफी महत्वपूर्ण था। उसकी मौत से संगठन की राजनीतिक गतिविधियों पर भी असर पड़ने की संभावना है।

हालांकि सफीद्दीन की मौत पर अब तक हिजबुल्लाह की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि इस घटना के बाद संगठन इजरायल के खिलाफ अपनी आक्रामकता को और बढ़ा सकता है। हिजबुल्लाह के लिए सफीद्दीन जैसे नेता की मौत एक बड़ा झटका है, और इसके प्रतिशोध में वे नए हमले की योजना बना सकते हैं।


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