रामलला के दर्शन का ऐतिहासिक रिकॉर्ड, 30 घंटे में 25 लाख श्रद्धालु पहुंचे अयोध्या
गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर अयोध्या ने एक ऐसा दृश्य प्रस्तुत किया जो इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। रामलला के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे, और 30 घंटों के भीतर श्रद्धालुओं की संख्या ने 25 लाख का आंकड़ा पार कर लिया।

"गंगा बड़ी न गोदावरी, तीरथ बड़ौ न प्रयाग, सबसे बड़ी अयोध्या नगरी, जहां राम लियो अवतार।" यह कहावत अयोध्या की महत्ता को दर्शाने के लिए काफी है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर रामलला के दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे, जिसने एक नया इतिहास रच दिया। पिछले 30 घंटों में 25 लाख से अधिक श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर चुके हैं।
अयोध्या नगरी की हर गली, हर मार्ग, हर मंदिर श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भर चुकी है। रामलला और हनुमानगढ़ी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह ऐसा है कि लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। आगामी अमावस्या और बसंत पंचमी पर्व के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने की संभावना है।
इतिहास के पन्नों में दर्ज हुआ यह दिन
यह पहली बार है जब इतने बड़े पैमाने पर श्रद्धालु अयोध्या में एकत्र हुए हैं। अयोध्या के राम मंदिर को लेकर लोगों की आस्था और उत्साह ने इसे एक ऐतिहासिक क्षण बना दिया। श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर के मुख्य द्वार पर कतारबद्ध हो रहे हैं। प्रशासन के सभी प्रबंधों के बावजूद, भारी भीड़ के कारण व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रखनी पड़ीं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही अयोध्या में बढ़ती भीड़ को लेकर सख्त निर्देश दिए थे। उन्होंने सुनिश्चित किया कि किसी भी श्रद्धालु को कोई असुविधा न हो। जिला प्रशासन, पुलिस बल, और नगर निगम लगातार व्यवस्थाओं पर नजर बनाए हुए हैं। राम मंदिर जाने वाले मुख्य मार्गों—रामपथ, जन्मभूमि पथ, भक्तिपथ, और धर्मपथ—को चौड़ा और व्यवस्थित किया गया है। इसके अलावा, शहर के प्रमुख स्थानों पर सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष टीमें तैनात की गई हैं।
रामपथ पर उमड़ी अप्रत्याशित भीड़
रामपथ, जिसे दिल्ली के कर्तव्य पथ की तर्ज पर विकसित किया गया है, श्रद्धालुओं की भारी भीड़ से पूरी तरह भर चुका है। यह मार्ग राम जन्मभूमि को सीधे जोड़ता है और इसे करोड़ों की लागत से तैयार किया गया था। हालांकि, भीड़ के अप्रत्याशित रूप से बढ़ने के कारण वैकल्पिक व्यवस्थाएं करनी पड़ीं। राम मंदिर ट्रस्ट ने निकास के लिए अंगद टीला मार्ग की व्यवस्था की थी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए तीन नंबर गेट से भी निकासी की अनुमति दी गई।
नगर निगम ने श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए अयोध्या के चौक-चौराहों को सजाया है। 20,000 से अधिक लोगों के ठहरने के लिए आश्रय स्थलों की व्यवस्था की गई है। सुरक्षा के लिए महिला पुलिसकर्मियों सहित भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए ट्रैफिक पुलिस कर्मी दिन-रात ड्यूटी पर तैनात हैं। सादी वर्दी में पुलिस संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखे हुए है।
श्रद्धालुओं की आस्था का सैलाब
रामलला के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं में आस्था और उल्लास देखते ही बनता है। एक श्रद्धालु ने कहा, "यहां आकर ऐसा लगता है जैसे भगवान राम की कृपा सीधे हमें मिल रही है। यह जीवन का सबसे सुखद अनुभव है।" हनुमानगढ़ी पर भी श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी गईं। प्रशासन ने यहां भी नई लेन का निर्माण कर भीड़ को संभालने की व्यवस्था की।
राम मंदिर, जो भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है, आज करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है। यह आयोजन केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक एकता और विविधता को भी दर्शाता है। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए प्रशासन और भी व्यवस्थाएं कर रहा है। आने वाले पर्वों के दौरान अयोध्या में और भीड़ बढ़ने की संभावना है। यह उत्सव न केवल रामलला के प्रति आस्था का प्रमाण है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं आज भी कितनी प्रासंगिक हैं।
अयोध्या में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ने यह साबित कर दिया है कि रामलला की आस्था हर भारतीय के दिल में गहराई से बसती है। यह ऐतिहासिक पल केवल एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि भारतीय परंपराओं और संस्कृति का उत्सव है। "रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे" का जो सपना करोड़ों भारतीयों ने देखा था, वह आज साकार रूप ले चुका है। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था, विश्वास और भारतीयता का प्रतीक है।