डिजिटल अपराध पर नकेल कसने के लिए गृह मंत्रालय ने उठाया बड़ा कदम, बनाई हाई लेवल कमेटी
गृह मंत्रालय ने डिजिटल अपराधों और साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ एक मजबूत कार्रवाई की घोषणा की है। इस संदर्भ में, एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसका उद्देश्य साइबर सुरक्षा के उपायों को मजबूत करना और डिजिटल अपराधों की रोकथाम करना है। इस समिति में विभिन्न विशेषज्ञों और अधिकारियों को शामिल किया गया है, जो साइबर अपराधों की पहचान और उनके खिलाफ प्रभावी रणनीतियों को विकसित करेंगे।
भारत में बढ़ते साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट के मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसके जवाब में, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने डिजिटल सुरक्षा को मजबूत बनाने के उद्देश्य से एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति बढ़ते साइबर अपराधों और डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों पर लगाम लगाने के लिए जरूरी कदम उठाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 115वें एपिसोड में साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट के बारे में देशवासियों को सजग रहने की सलाह दी थी। उन्होंने “रुको-सोचो-एक्शन लो” का मंत्र देते हुए कहा कि डिजिटल फ्रॉड से बचने के लिए लोगों को सतर्कता और समझदारी का परिचय देना चाहिए। इस दिशा में अब गृह मंत्रालय ने डिजिटल सुरक्षा के प्रति गंभीरता दिखाते हुए एक ठोस कदम उठाया है।
क्या है 'डिजिटल अरेस्ट'?
डिजिटल अरेस्ट एक नया साइबर अपराध है, जिसमें साइबर अपराधी लोगों की निजी जानकारी जैसे कि बैंक अकाउंट, आईडी और पासवर्ड का इस्तेमाल करके उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए अपराधी अक्सर फोन कॉल या फेक वेबसाइट के माध्यम से लोगों को डराकर उनकी जानकारी चुरा लेते हैं और उनका आर्थिक शोषण करते हैं। इस प्रकार का अपराध बढ़ता जा रहा है और इसे रोकने के लिए डिजिटल जागरूकता बहुत जरूरी है।
साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए कैसे काम करेंगी समिति?
गृह मंत्रालय की इस उच्चस्तरीय समिति का नेतृत्व मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा सचिव करेंगे। इस समिति का मुख्य उद्देश्य देशभर में साइबर अपराधों और डिजिटल अरेस्ट के मामलों पर तत्काल कार्रवाई करना और इससे संबंधित जागरूकता बढ़ाना है। गृह मंत्रालय ने राज्यों की पुलिस से भी संपर्क किया है और उन्हें इस दिशा में सख्त कदम उठाने का निर्देश दिया है। एमएचए का 14सी विंग इन मामलों को केस-टू-केस आधार पर मॉनिटर करेगा।
वैसे आपको बता दें कि इस साल देशभर में 6,000 से अधिक डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी शिकायतें सामने आई हैं, जिनमें लोगों के आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ा है। एमएचए के साइबर विंग ने अब तक 6 लाख मोबाइल डिवाइसेस को ब्लॉक किया है, जिनमें से अधिकांश फोन साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट से जुड़े थे। इसके साथ ही, 709 से अधिक मोबाइल एप्स को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है जो लोगों के व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा का दुरुपयोग कर रहे थे।
साइबर फ्रॉड पर उठाए गए अन्य महत्वपूर्ण कदम
गृह मंत्रालय ने अब तक साइबर अपराध में शामिल 1.10 लाख से अधिक आईएमईआई नंबरों को ब्लॉक किया है। 3.25 लाख फर्जी बैंक अकाउंट्स फ्रीज किए, इस अभियान के तहत साइबर फ्रॉड से जुड़े लाखों फर्जी बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है, जिससे अपराधियों को आर्थिक रूप से रोकना आसान हो गया है।
कैसे समझें डिजिटल अरेस्ट की धोखाधड़ी?
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट के मामले पर बात की और बताया कि इस प्रकार के साइबर अपराधों में आमतौर पर अपराधी तीन मुख्य तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
व्यक्तिगत जानकारी जुटाना:फ्रॉड करने वाले अपराधी पहले फोन कॉल या ईमेल के माध्यम से व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी चुराने का प्रयास करते हैं।
डर का माहौल बनाना: यह अपराधी पीड़ित को इतना डरा देते हैं कि वह सोचने-समझने की शक्ति खो देता है।
तुरंत कार्रवाई का दबाव: साइबर अपराधी पीड़ित को समय का अभाव दिखाकर तुरंत कार्रवाई करने का दबाव बनाते हैं, जिससे व्यक्ति जल्दबाजी में उनसे शेयर करता है।
गृह मंत्रालय की इस नई समिति की तीन सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकताएं होंगी, डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई करना। देशभर में साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाना।साइबर अपराधों पर राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना ताकि अपराधियों को आसानी से पकड़ा जा सके, और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके साइबर अपराधों को रोकने का प्रयास।
डिजिटल सुरक्षा के प्रति जरूरी जागरूकता
फिशिंग लिंक से सावधान रहें: अनजान ईमेल या मैसेज में लिंक पर क्लिक न करें।
पासवर्ड सुरक्षा: मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें और नियमित रूप से पासवर्ड बदलते रहें।
असुरक्षित वेबसाइट से दूर रहें: केवल सुरक्षित और विश्वसनीय वेबसाइट पर ही अपनी जानकारी दें।
दो-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग: यह एक अतिरिक्त सुरक्षा उपाय है जो ऑनलाइन अकाउंट्स को सुरक्षित बनाता है।
डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि साइबर सुरक्षा आज की जरूरत है। गृह मंत्रालय द्वारा गठित की गई यह समिति न केवल साइबर अपराधों से निपटने के लिए अहम कदम है, बल्कि यह देश को डिजिटल सुरक्षा के प्रति सजग और मजबूत बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
Source- IANS
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