प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'डिजिटल महाकुंभ' के विजन को CM योगी ने कैसे कर दिया साकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'डिजिटल महाकुंभ' के विजन को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 'महाकुंभ 2025' में साकार कर रहे हैं। योगी सरकार उत्तर प्रदेश के नए 76वें जनपद 'महाकुंभ नगर' को रिकॉर्ड समय में सभी नागरिक सुविधाओं के साथ बसा रही है।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ को लेकर अब तैयारियां अंतिम चरण में है। इस महाकुंभ में सनातन की पुरानी परंपरा में डिजिटल युग का संगम भी वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को नज़र आएगा। ये सब साकार होना इसलिए मुमकिन हो पाया है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुरू से ही डिजिटल युग से समाज को जोड़ने की बात करते रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'डिजिटल महाकुंभ' के विजन को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 'महाकुंभ 2025' में साकार कर रहे हैं। योगी सरकार उत्तर प्रदेश के नए 76वें जनपद 'महाकुंभ नगर' को रिकॉर्ड समय में सभी नागरिक सुविधाओं के साथ बसा रही है। 'महाकुंभ 2025' में पहली बार मेला को बसाने का काम डिजिटल तरीके से किया जा रहा है।
'महाकुंभ भूमि एवं सुविधा आवंटन' की साइट पर भूमि और सुविधाएं एक क्लिक में मिल रही हैं। प्रयागराज मेला प्राधिकरण मेले में जमीन आवंटन और मूलभूत सुविधाओं के काम में विभागों की जवाबदेही के साथ पूरी पारदर्शिता बरत रही है, जिससे ऑनलाइन आवेदन के साथ ही आवेदक अपनी जमीन और मेला में सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का स्टेटस ऑनलाइन कभी भी देख सकता है। 'कुंभ 2019' में 5,500 से अधिक संस्थाओं का सम्पूर्ण विवरण एवं उनके आवंटन का डिजिलाइजेशन किया गया है। इस बार पूरे मेला में 10 हजार से अधिक संस्थाओं का भूमि आवंटन किया जा रहा है, जिसमें सरकारी, आपातकालीन, सामजिक और धार्मिक संस्थाए शामिल हैं। सरकार की इस पारदर्शी व्यवस्था से साधु-संतों और संस्थाओं का काम बिना कतार में लगे आसानी से और जल्द हो रहा है।
महाकुंभ सनातन के धार्मिक अनुष्ठानों का महायज्ञ है। अमृत काल में लग रहे अमृत महोत्सव महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने का अनुमान है। वहीं, लाखों लोग महाकुंभ के दौरान कल्पवास करेंगे। अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि महाकुंभ मेला के लिए 25 सेक्टर में फैले 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र का लेआउट जीआईएस आधारित नक्शे का उपयोग करके तैयार किया गया है। मानसून के पहले और बाद में ड्रोन सर्वेक्षण कर जमीन की टोपोग्राफी और भू-भाग का सटीक नक्शा तैयार किया गया है।
सर्वेक्षणों के माध्यम से हाई-रिज़ॉल्यूशन के नक्शे, जीआईएस बेस लेयर और 0.5 सेमी की एक्यूरेसी के साथ जियो-रेफरेंस कोड फाइल तैयार की गई। प्रमुख सार्वजनिक उपयोगिताओं और अन्य आपातकालीन मुख्य स्थानों को श्रद्धालुओं के लिए गूगल मैप्स पर उपलब्ध कराया गया है। इसमें मुख्य रूप से आपातकालीन सेवाएं, थाने, चौकियां, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, अस्पताल, पार्किंग क्षेत्र, फूड कोर्ट, वेंडिंग ज़ोन, शौचालय, पांटून ब्रिज, सड़क इत्यादि शामिल हैं।प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने पारदर्शिता बरतने और सभी को अवसर देने के लिए जो संस्थाएं कुंभ 2019 में मेला का हिस्सा रहीं हैं, उनके भी आवेदनों को स्वीकार किया है। इसके लिए मेला प्राधिकरण ने स्थानीय और राष्ट्रीय समाचार पत्रों में व्यापक प्रचार किया है और पोर्टल पर 29 अक्टूबर 2024 से 12 नवंबर 2024 तक आवेदन प्राप्त किए।
भूमि और सुविधा आवंटन के लिए कुंभ 2019 के डेटा का विश्लेषण किया गया और जमीन आवंटन के लिए तय नियमों के अनुसार कार्य किया गया। आवेदनों के विश्लेषण, प्राधिकरण द्वारा आवंटन और स्वीकृति के बाद, डिजिटाइज्ड सुविधा पर्चियां बनाई गईं। मेला प्राधिकरण द्वारा संस्था को दी गई सुविधा पर्ची को वेंडर ऑनलाइन देख सकते हैं और संस्था को दी गई सुविधा को उनके समन्वय के साथ फोटो के साथ अपडेट कर सकते हैं।
डिजिटल और ऑनलाइन सुविधा की सबसे बड़ी पारदर्शिता यह है कि आवेदक जब चाहे अपने जमीन के आवंटन संबंधित जानकारी और सुविधा का अपडेट देख सकता है और कमियों पर अपनी आपत्ति जता सकता है। श्रद्धालुओं की सुविधा और उनके कामों को जल्दी निपटाने के लिए मेला प्रशासन की मदद के लिए बड़ी तादाद में 'कुंभ फेलो' तैनात किए गए हैं। महाकुंभ की तैयारियों की नींव लगभग ढाई साल पहले पड़ी थी। जिसको लेकर प्रसाशनिक अधिकारी लगातार जुटे रहे हैं। जिसकी जमीन अब पूरी तरह से तैयार हो गई है। महाकुंभ में श्रद्धालुओं की श्रद्धा को देखते हुए सरकार महाकुंभ को 'दिव्य, भव्य और सुरक्षित' बना रही है। महाकुंभ 2013 की तुलना में महाकुंभ 2025 में क्षेत्रफल दोगुना हो गया है। सेक्टर की संख्या 18 से 25 और जोन की संख्या 7 से बढ़कर कर 10 हो गई है।