Haryana का चुनावी रण BJP को कितना फायदा, कुतना नुकसान, जानिए पूरी समीकरण!
हरियाणा यानी जाटों और किसानों का गढ़। जहां की पूरी राजनीति जाट औऱ किसान के इर्द गिर्द घुमती रहती है। ये चुनाव पहले जीतना आसान नहीं रहा। क्योंकि लोकसभा चुनाव में मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच था। लेकिन अब इस मुकाबले में कई अन्य पार्टियों की एंट्री हो चुकी है। जिससे ये चुनावी अखाड़ा ज्यादा दिलचस्प हो गया है। BJP के लिए ये चुनावी रण कैसा है, जानिए इस खास रिपोर्ट में।
लोकसभा चुनाव खत्म और बारी एक बार फिर विधानसभा चुनाव की। आम चुनाव में तो BJP को बड़ा झटका लगा। 400 का दावा करने वाली पार्टी को 240 में ही सीमटना पड़ा। न तो मोदी की गारंटी और मोदी का चेहरा काम आया औऱ न ही शाह की चाणक्य नीति। अब ऐसे में बीजेपी के लिए आने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव काफी महत्नपूर्ण हो जाते है। इसमें BJP के लिए करो या मरो वाली situation है। इस कास वीडियो में बात हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर करेंगे। जिसमें हम समझाने की कोशिश करेंगे कि आगामी चुनाव के समीकरण।
हरियाणा यानी जाटों और किसानों का गढ़। जहां की पूरी राजनीति जाट औऱ किसान के इर्द गिर्द घुमती रहती है। ये चुनाव पहले जीतना आसान नहीं रहा। क्योंकि लोकसभा चुनाव में मुकाबला वीजेपी औऱ कांग्रेस के बीच था। लेकिन अब इस मुकाबले में कई अन्य पार्टियों की एंट्री हो चुकी है। जिससे ये चुनावी अखाड़ा ज्यादा दिलचस्प हो गया है।कांग्रेस और आप अभी तक कोई नतीजे पर पहुंच पाई है। वहीं चंद्रशेखर की आजाद पार्टी और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया। इस साल के आम चुनाव से ठीक पहले चौटाला से BJP का साथ छोड़ दिया था। उसके बाद से अबतक JJP के चार नेता BJP के हाथ मिला चुके है। लेकिन बीजेपी के भी कई नेताओं में विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। टिकट न मिलने से कई नेताओं ने BJP का साथ छोड़ दिया। वोटर्स बेरोजगारी और गिरते बुनियादी ढांचे और अधूरे वादों को लेकर उखड़ गए है। ऐसे में BJP के लिए ये रण नहीं आसान बस इतना समझ लिजिए, आग का दरिया है डूब कर जाना है।
किसानों की नाराजगी
आम चुनाव की बात करें तो बीजेपी के प्रचार को कई गांवों ने ठुकरा दिया था। ग्रामीणों द्वारा रैलियों और सभाओं को boycott कर दिया गया। और इसकी वजह रही किसान आंदोलन। पंजाब के साथ साथ हरियाणा के किसान भी कृषि कानून के खिलाफ थे। बता दें कि तीनों कानूनों को 2021 में ही वापस ले लिया गया। पर किसान अपनी मांगो पर प्रतिक्रिया न मिलने और प्रदर्शन के दौरान किसानों की मौत पर चुप्पी साधने के कारण बीजेपी से नाराज थी। और वो नाराजगी आज तक कायम है। हरियाणा किसानों का गढ़ है। ऐसे में किसानों की नाराजगी, बीजेपी के लिए पानी में रहकर मगरमच्छ से गैर के बराबर है। यानी की एक बड़ा झटका किसानों की तरफ से बीजेपी को देखने को मिल रहा है।
जाटों का गुस्सा
जाट, हरियाणा में जिनकी आबादी 20-30% की है। और ये जाट समुदाय बीजेपी समर्थित नहीं है। जाट माने है कि BJP ब्राहम्णों और पंजाबी हिंदुओं की पार्टी है। और ये एक बड़ी वजह है जोटों के नाखुश होने की। इसके अलावा बेरोजगारी, OBC का दर्जा न मिलना और खासकर नेता बृजभूषण शरण सिंह पर पहलवानों द्वारा लगे आरोप लगने के बाद भी पार्टी द्वारा उसपर कोई ठोस कार्रवाई न करना भी एक बड़ा रिजन हो सकता है। अग्निपथ योजना और सशस्त्र बलों में भर्ती को contractual बनाना और किसानों का विरोध प्रदर्शन इसे बीजेपी के लिए और भी ज्यादा problematic बना रहा है।
दलितों पर संशय
हरियाणा में बीजेपी दलित वोटों पर भरोसा नहीं कर सकती। क्योंकि दलितों का विश्वास बीजेपी से ज्यादा चंद्रशेखर और मायावती की पार्टी पर होगा। क्योंकि ये दोनों ही दलितों के उत्थान के लिए काम करने की बात करते है। इसके अलावा SC voters ने लोकसभा में कांग्रेस का साथ देना ज्यादा मुनासिब समझा। इधर JJP और आजाद की पार्टी का गठबंधन बीजेपी के लिए सिर का दर्द बढ़ा रहा है।
तो ये कुछ इंट्स थे जो बीजेपी की टेंशन हरियाणा के रण में बढ़ा रही है। लेकिन इससे इतना भगवा पार्ची के लिए राहत की बात ये हा कि हरियाणा में हिंदुत्व और राष्ट्रवादी भावनाओं का डंका बजता है। उपर से ज्यादा से जाय्दा पार्टियों के मैदान में उतरने से वोटों में बंटवारे होंगे और ये बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
भगवा पार्टी को हिंदुत्व का साथ
हरियाणा में हिंदू राष्ट्रवादी भावनाएं काफी का डंका बजता हैं। हाल ही में हुई गो हत्या और सांप्रदायिक झड़पें इसका जीता जागता सबूत हैं। जनवरी 2024 में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के दौरान हुए जश्न, हरियाणा सरकार के 'लव जिहाद' कानूनों को समर्थन और 2023 में नूंह जिले में मुसलमानों पर हुई कार्रवाई को लोगों ने काफी पसंद किया था। हिंदुत्व के प्रति समर्थन भगवा पार्टी के लिए एक अच्छा संकेत है और ये ही सत्ता विरोधी लहर से उबरने में मदद कर सकता है।
वोट बंटवारे का फायदा
बीजेपी को गैर बीजेपी वोटों के बंटवारे से फायदा हो सकता है। यानी की विपक्षी दलों में वोट बंट सकते है। अब जैसे हरियाणा कांग्रेस के बीच अंतरकलह, आप और कांग्रेस से सबकुछ ठीकठाक न होना, लिस्ट से नाराज होकर तीन नेताओं का इस्तीफा देना, कुमारी शैलजा का भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कुन्बे के लिए नाराजगी, बीजेपी को फायदा पहुंचाने में एक बड़ी वजह बन सकती है।