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अगर पहले संभल जाती ममता तो आज भतीजे, बेटी को छुपाने की नौबत ना आती

कोलकाता डॉक्टर केस मामला शांत नहीं हो रहा है। मामले में प्रदर्शन कर रहे एक शख्स ने टीएमसी के अभिषेक बनर्जी की नाबालिग बेटी को दरिंदगी की धमकी दी है, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने तुरंत संज्ञान लिया।और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
अगर पहले संभल जाती ममता तो आज भतीजे, बेटी को छुपाने की नौबत ना आती

कोलकाता में जो हुआ वो निंदनीय है, दिल दहलाने वाला है, जघन्य है। लेकिन उसके बावजूद भी इस तरह की हरकत नहीं की जा सकती। आप चाहे कुछ भी सोचते हैं लेकिन एक नाबालिग को रेप की धमकी नहीं दे सकते। ममता के राज में जिन लोगों को पीड़ित बताकर विशेष समुदाय बताकर पाला पोसा गया, वही समाज अब ममता को निगल जाना चाहता है। ऐसे दरिंदे समाज में भरे पड़े हैं, किसी की मानसिकता उजागर हो जाती है, किसी की दबी रह जाती है। आरोपी की पहचान मासदुल मोल्ला के रूप में हुई है। इसकी हिम्मत देखिए, इसने एक वीडियो जारी किया और उसमें रेप की धमकी थी, रेप करने वाले को 10 करोड़ का इनाम देने की घोषणा की।

बंगाल में बिगड़े हालात: अत्याचार और घुसपैठ

बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले का खुद संज्ञान लिया था, टीएमसी के कई नेताओं ने मामले में एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिसके आधार पर मासदुल मोल्ला को गिरफ्तार किया गया। आयोग ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सोशल मीडिया पर इस वीडियो का स्वतः संज्ञान लिया है। आरजी कर मेडिकल हॉस्पिटल रेप केस मामले के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान एक व्यक्ति ने घोषणा की कि जो कोई अभिषेक बनर्जी की नाबालिग बेटी का बलात्कार करेगा, उसे 10 करोड़ रुपये का इनाम दिया जाएगा। अन्य लोग इस बात की हौसला अफजाई भी करते नजर आ रहे हैं।

टीएमसी पर आरोप: नाबालिग को धमकी

आयोग ने आगे कहा कि इस तरह के बयानों की कड़ी निंदा होनी चाहिए। ये बयान पोस्को, जेजे एक्ट और यूएनसीआरसी के तहत कानूनी उल्लंघन हैं, और दोषियों के खिलाफ अगर कठोर कदम नहीं उठाया गया तो इसका समाज में गलत संदेश जाएगा। आयोग की तरफ से ये बात बिल्कुल सही कही गई है। लेकिन गलत संदेश जा चुका है। संदेशखाली में जो महिलाओं के साथ हुआ, आयोग ने स्वतः संज्ञान नहीं लिया। बंगाल में ही एक महिला को निर्वस्त्र करके दौड़ाया गया, एक लड़के-लड़की को सड़क के बीचोंबीच पीटा गया, और न जाने कितनी हजारों घटनाएं महिलाओं के खिलाफ बंगाल में होती हैं, लेकिन सरकार भी सोई रही, आयोग भी सोया रहा, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी सोया रहा। और नींद तब टूटी जब अपनी बेटी पर बात आई।

बाल संरक्षण आयोग और ममता बनर्जी की विफलता

अगर इसी तरह ममता बंगाल की हर बेटी को अपनी बेटी मान लें तो शायद महिलाओं के खिलाफ अत्याचार कम हो जाएं। अगर ममता इसी तरह और बेटियों के लिए भी तड़पती तो शायद लेडी डॉक्टर एक वहशी दरिंदे की भेंट ना चढ़ती, लाखों लोगों को सड़क पर उतरकर न्याय की मांग ना करनी पड़ती। तो ममता दीदी, आपने समाज को गलत संदेश दे दिया है। अब भी अगर आपकी आंखें वक्त पर खुल जाएं तो बेटियां सुरक्षित हो सकती हैं। नहीं तो लोग यही समझेंगे कि अपनी बेटी पर बात आई तो फड़फड़ाने लगीं, लेकिन और बेटियों की चीख, उनके परिवार का रोना ना दीदी को दिखता है और ना आयोग को दिखता है। तो अब भी वक्त है हालात संभालने का। नहीं तो जिस खिलाफत के साथ जनता सड़कों पर उतरी है, उसके बाद आपकी कुर्सी तो छोड़िए, राजनीतिक वजूद को कोई याद नहीं करेगा।

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