'पेजर हैक हो सकता है तो EVM क्यों नहीं', कांग्रेस नेता के बयान का मुख्य चुनाव आयुक्त ने दिया मुंहतोड़ जवाब!
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले एक विवादित बयान देते हुए EVMs (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने ईवीएम की तुलना इस्राइली तकनीक से की, जो कथित रूप से पेजर्स और वॉकी-टॉकीज़ का उपयोग कर लोगों को मारने में सक्षम है।
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) को लेकर की गई टिप्पणी ने एक विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने EVM की तुलना इजरायल के द्वारा पेजर और वॉकी-टॉकी के जरिए की गई कथित हत्याओं से की। अल्वी ने कहा कि महाराष्ट्र में विपक्ष को पेपर बैलेट से चुनाव कराने की मांग करनी चाहिए, क्योंकि EVM के जरिए कुछ भी संभव है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर चुनाव में हेरफेर कर सकते हैं, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजरायल के साथ अच्छे संबंध होने के कारण।
ईवीएम पर अल्वी की आपत्ति
राशिद अल्वी ने कहा कि अगर इजरायल पेजर और वॉकी-टॉकी के जरिए हत्याएं कर सकता है, तो EVM के जरिए खेल करना भी मुश्किल नहीं होगा। अल्वी ने इशारा किया कि EVM के साथ छेड़छाड़ करने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं, खासकर जब प्रधानमंत्री मोदी के इजरायल के साथ मजबूत संबंध हैं। उन्होंने कहा कि EVM की सुरक्षा और पारदर्शिता पर सवाल उठाने की जरूरत है और विपक्ष को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महाराष्ट्र चुनाव पेपर बैलेट से हो।
EVM का मुद्दा भारतीय राजनीति में हमेशा एक संवेदनशील विषय रहा है। पहले भी कई पार्टियों और नेताओं ने EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, लेकिन अब राशिद अल्वी ने इसे एक नए नजरिए से देखा है। उनका यह बयान, जिसमें उन्होंने इजरायल का जिक्र किया, न केवल चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाता है बल्कि इसे एक अंतरराष्ट्रीय साजिश की तरह प्रस्तुत करता है।
चुनाव आयोग और सरकार की प्रतिक्रिया
हालांकि, EVM पर उठ रहे सवालों पर मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने स्पष्ट किया कि ईवीएम कनेक्टेड नहीं होती, इसलिए इसे हैक करना असंभव है। उन्होंने पेजर विस्फोट से ईवीएम की तुलना को भी गलत बताया। राजीव कुमार ने पूरी चुनावी प्रक्रिया को विस्तार से समझाया, जिसमें ईवीएम की एफएलसी (फर्स्ट लेवल चेकिंग) से लेकर पोलिंग बूथ तक उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। ईवीएम की बैटरी से लेकर सीलिंग प्रक्रिया तक सभी कार्य उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट्स की मौजूदगी में होते हैं। इसके बाद, ईवीएम को तीन लेयर सुरक्षा के साथ स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि वोटिंग के दिन पोलिंग एजेंट्स के सामने मशीन में वोट डालकर चेक किया जाता है और इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है। ईवीएम के संबंध में हर कदम पर सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है ताकि किसी प्रकार की छेड़छाड़ का कोई चांस न रहे। इसके साथ ही, बीजेपी भी राशिद अल्वी के इन आरोपों को पूरी तरह नकार रही है। पार्टी का कहना है कि ये सिर्फ विपक्ष की बौखलाहट है, जो चुनाव में हार की आशंका से उभर रही है।
#WATCH | Delhi: CEC Rajiv Kumar speaks on the process of voting through EVMs.
— ANI (@ANI) October 15, 2024
He also says, "...It is absolutely safe and robust. Look at the last 15-20 elections. It is giving results after results differently. It can't be that it is wrong only the results are not to your… pic.twitter.com/DFRftIco6P
पेपर बैलेट बनाम ईवीएम
राशिद अल्वी ने पेपर बैलेट का समर्थन किया और कहा कि इससे चुनाव प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी। पेपर बैलेट की मांग कई विपक्षी दलों द्वारा भी की जाती रही है, लेकिन EVM को कई देशों में सुरक्षित और तेज चुनावी प्रक्रिया के लिए मान्यता दी गई है। पेपर बैलेट की वापसी से कई तकनीकी और लॉजिस्टिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें चुनाव आयोग और सरकार को ध्यान में रखना होगा।
EVM को लेकर उठे ये सवाल और आरोप भारतीय चुनाव प्रक्रिया के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग और सरकार का दावा है कि EVM पूरी तरह सुरक्षित हैं, लेकिन विपक्षी दलों की चिंता इस मुद्दे को चुनावी राजनीति का केंद्र बना सकती है। अब देखना होगा कि क्या आगामी महाराष्ट्र चुनाव पेपर बैलेट के जरिए होते हैं या EVM के माध्यम से।