भारत बनेगा हथियारों का सुपरपावर! मुस्लिम देश ने दिखाई दिलचस्पी
भारत अब सिर्फ अपनी सुरक्षा के लिए हथियार नहीं बना रहा, बल्कि दुनिया को भी निर्यात करने जा रहा है। हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के उप-प्रधानमंत्री और दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने भारत का दौरा किया।

जैसे ही संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के उप-प्रधानमंत्री और दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम का विमान दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा, भारत और खाड़ी देशों के रिश्तों के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया। यह केवल एक कूटनीतिक यात्रा नहीं थी, बल्कि इसके केंद्र में वह स्वदेशी हथियार था जिस पर अब दुनियाभर की नजरें टिकी हैं।
आकाश मिसाइल पर यूएई की दिलचस्पी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के दौरान शेख हमदान ने भारत की डिफेंस तकनीक, खासकर आकाश मिसाइल सिस्टम में गहरी रुचि दिखाई। यह वही मिसाइल है जो भारत ने अपनी ज़मीनी वायु सुरक्षा के लिए तैयार की थी – कम लागत, उच्च प्रभाव और पूरी तरह से मेक इन इंडिया।
आकाश मिसाइल अब सिर्फ भारत की सुरक्षा का साधन नहीं, बल्कि एक्सपोर्ट हॉटकेक बन चुकी है। इससे पहले भारत इसे आर्मेनिया को निर्यात कर चुका है, और अब अगर यह डील UAE के साथ पक्की होती है, तो यह भारत की रक्षा नीति की सबसे बड़ी सफलता मानी जाएगी।
खाड़ी देशों से दोस्ती या रणनीतिक गठजोड़?
यूएई जैसे मुस्लिम देश का भारत के हथियारों में दिलचस्पी लेना, खासकर तब जब पाकिस्तान और तुर्की जैसे देश मुस्लिम भाईचारे के नाम पर भारत के विरोध में रहते हैं, एक बड़ा राजनीतिक संकेत है। इससे न केवल पाकिस्तान की चिंता बढ़ेगी, बल्कि इस्लामिक मिलिट्री अलायंस जैसी संरचनाएं भी भारत को लेकर अपना रुख बदलने पर मजबूर हो सकती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यूएई की यह पहल केवल एक रक्षा डील नहीं, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि और आत्मनिर्भर भारत की छाया में हो रही एक कूटनीतिक जीत है।
बैठक में दोनों पक्षों ने MII (Make in India) और MIE (Make in Emirates) के बीच सहयोग को लेकर खास सहमति जताई। इसका मतलब है कि भविष्य में भारत और यूएई मिलकर मिसाइल और अन्य रक्षा उपकरण बना सकते हैं। इससे भारत को न केवल आर्थिक फायदा मिलेगा, बल्कि उसकी रक्षा तकनीक को ग्लोबल स्टेज पर पहचान भी मिलेगी। यह सोचकर गर्व होता है कि कभी पूरी तरह से आयात पर निर्भर रहने वाला भारत अब हथियार बनाकर बेच रहा है और वो भी खाड़ी देशों को!
गौरतलब है कि भारत और यूएई के बीच 2003 से ही रक्षा सहयोग समझौता है। 2017 में एक और अहम MoU पर दस्तखत हुए थे, जिससे रक्षा उद्योगों के बीच तकनीकी और उत्पादन सहयोग को औपचारिक रूप दिया गया था। लेकिन 2025 में यह रिश्ता अब एक क्लियर डिफेंस एलायंस का रूप लेता दिख रहा है। तटीय सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, इंटेलिजेंस शेयरिंग – अब इन सभी पहलुओं में भारत और यूएई एक-दूसरे के भरोसे बनते जा रहे हैं।
भारत की छवि में आया भारी बदलाव
यह घटनाक्रम इसलिए भी खास है क्योंकि अब भारत केवल एक बाजार नहीं रहा, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार बन गया है। पहले पश्चिमी देश भारत को केवल उपभोक्ता बाजार मानते थे, लेकिन अब उसे प्रोड्यूसर नेशन के रूप में देखा जा रहा है। आकाश मिसाइल, तेजस लड़ाकू विमान, पिनाका रॉकेट सिस्टम – ये सब अब ‘बिकाऊ सामान’ नहीं बल्कि भारत की रणनीतिक पहचान बन चुके हैं।
क्या पाकिस्तान को लगेगा झटका?
अगर इस डील पर मुहर लगती है, तो पाकिस्तान के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा। एक तरफ पाकिस्तान IMF के कर्ज में डूबा है, दूसरी ओर उसके नजदीकी खाड़ी देश अब भारत से हथियार खरीदने की सोच रहे हैं। यह पाकिस्तान की विदेश नीति की विफलता को भी दर्शाता है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान इस डील को लेकर OIC (इस्लामिक सहयोग संगठन) के कुछ देशों से चर्चा भी कर रहा है, लेकिन यूएई के इरादे इस बार मजबूत लगते हैं।
नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की जीत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जिस आक्रामक और सक्रिय कूटनीति को अपनाया है, यह उसी का नतीजा है। अब भारत केवल दोस्ती की बात नहीं करता, बल्कि रणनीतिक दोस्ती बनाता है जिसमें रक्षा, व्यापार, और तकनीक का आदान-प्रदान प्राथमिकता पर होता है। इस डील के बाद भारत न केवल खाड़ी देशों की सुरक्षा नीति का हिस्सा बनेगा, बल्कि यह भी तय है कि आने वाले वर्षों में भारत एक वैश्विक रक्षा निर्यातक के रूप में उभरेगा।
भारत और यूएई की यह बढ़ती नजदीकी सिर्फ एक मिसाइल डील नहीं है यह एक भविष्य का संकेत है। वह भविष्य, जिसमें भारत अपने ही बनाए हथियारों से दुनिया को सुरक्षित कर रहा होगा। यह आत्मनिर्भर भारत की कल्पना से निकलकर हकीकत की ओर बढ़ता कदम है।