नए साल से इंदौर बनेगा भिक्षुक मुक्त शहर, जानें प्रशासन का नया रूल
इंदौर प्रशासन ने भिक्षावृत्ति को खत्म करने के लिए एक सख्त कदम उठाया है। 1 जनवरी 2025 से इंदौर में भीख देने वालों पर FIR दर्ज की जाएगी। जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने इस नियम की घोषणा करते हुए बताया कि भीख मांगने के लिए मजबूर लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई है और जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।
इंदौर, जो स्वच्छता के मामले में देशभर में अपनी मिसाल पेश कर चुका है, अब एक और कदम आगे बढ़ाने जा रहा है। इस बार जिला प्रशासन का उद्देश्य है इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाना। 1 जनवरी, 2025 से इंदौर में भिखारियों को भीख देने पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। यह निर्णय न केवल शहर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने की दिशा में है, बल्कि इसके पीछे कई गहरे सामाजिक और आर्थिक कारण छिपे हुए हैं।
क्यों उठाया गया यह कदम?
इंदौर जिला प्रशासन का मानना है कि भिक्षावृत्ति एक ऐसी सामाजिक समस्या है, जो शहर की छवि को धूमिल करती है और इसके पीछे कई अपराधी गिरोह भी सक्रिय होते हैं। जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने जानकारी दी कि कई बार भिखारियों को मजबूर किया जाता है, और इसके पीछे सक्रिय गिरोह बच्चों और महिलाओं का शोषण करते हैं।
हाल ही में इंदौर के राजवाड़ा क्षेत्र में भीख मांगने वाली एक महिला के पास से 75,000 रुपये बरामद हुए। यह रकम महिला ने मात्र 10-12 दिनों में इकट्ठा की थी। इस घटना ने यह स्पष्ट किया कि भीख मांगने का धंधा कितना संगठित और लाभदायक हो सकता है। इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए प्रशासन ने तीन चरणों की योजना बनाई है।
जागरूकता अभियान:दिसंबर 2024 तक पूरे शहर में अभियान चलाया जाएगा। इसके जरिए नागरिकों को समझाया जाएगा कि भिखारियों को भीख देना समस्या का हल नहीं, बल्कि इसे बढ़ावा देना है।
पुनर्वास: प्रशासन का मुख्य उद्देश्य है कि भिखारियों को भीख मांगने की जगह सम्मानजनक जीवन जीने का मौका दिया जाए। इसके तहत अब तक कई भिखारियों को पुनर्वास केंद्रों में भेजा गया है।
कानूनी कार्रवाई: 1 जनवरी 2025 से सख्त नियम लागू होंगे। यदि कोई व्यक्ति भिखारी को भीख देते हुए पकड़ा गया, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज होगी।
भिक्षुक मुक्त प्रोजेक्ट का राष्ट्रीय महत्व
यह कदम केवल इंदौर तक सीमित नहीं है। केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देशभर में 10 शहरों को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसमें इंदौर भी शामिल है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है भिक्षावृत्ति को खत्म करना। इसके पीछे छिपे अपराधी गिरोहों का पर्दाफाश करना। भिखारियों को मुख्यधारा में लाना।
इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने शहरवासियों से अपील की है कि वे भिखारियों को भीख देकर इस समस्या का हिस्सा न बनें। उन्होंने कहा, "अगर आप किसी को भीख देते हैं, तो आप उस व्यक्ति को गरीबी में बनाए रखने का समर्थन कर रहे हैं।" शहर में कई एनजीओ और समाजसेवी संस्थाएं इस अभियान में प्रशासन का साथ दे रही हैं। वे भिखारियों को रोजगार के अवसर प्रदान कर रही हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं। हालांकि प्रशासन और पुलिस पूरी ताकत से इस अभियान को सफल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसमें कुछ चुनौतियां भी हैं।
जैसे कई परिवार बार-बार पकड़े जाने के बावजूद भिक्षावृत्ति में लिप्त पाए जाते हैं। प्रशासन ने ऐसे मामलों पर कड़ी नजर रखी है। पुनर्वास केंद्रों में भिखारियों की संख्या बढ़ने से सुविधाओं पर दबाव बढ़ेगा। नागरिकों को यह समझाना एक बड़ी चुनौती है कि भीख देना दया का काम नहीं, बल्कि यह समस्या को बढ़ावा देता है।
इंदौर प्रशासन का यह कदम शहर को स्वच्छ, संगठित और अपराधमुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल है। यदि यह अभियान सफल होता है, तो यह देश के अन्य शहरों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।