इजरायली हमले में ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त, क्या पश्चिम एशिया में एक और युद्ध की आहट?
इजरायली हमले के बाद ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम पर जबरदस्त असर पड़ा है। यह हमला सिर्फ सैन्य ठिकानों तक सीमित नहीं था, बल्कि ईरान की तेल रिफाइनरियों और पेट्रोकेमिकल प्लांट्स की सुरक्षा को भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर गया। कुजेस्तान, तेहरान और इलम प्रांतों में स्थित तेल संयंत्रों और आर्थिक केंद्रों के आसपास तैनात एयर डिफेंस सिस्टम निशाने पर रहे, जिनमें कई महत्वपूर्ण एस-300 सिस्टम भी शामिल थे, जो रूस से खरीदे गए थे।
इजरायल और ईरान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है , इजरायली सेना ने ईरान के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर अचानक हमले किए हैं, जिसके चलते ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को गंभीर नुकसान पहुंचाया। इस हमले के बाद ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल रिफाइनरियों की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है।
ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम तबाह
तीन ईरानी और तीन इजरायली रक्षा अधिकारियों के अनुसार, यह हमला इतना सटीक था कि ईरान के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तैनात एयर डिफेंस सिस्टम एक तरह से निष्क्रिय हो गए। इजरायल ने यह हमले विशेष रूप से उन स्थानों पर किए, जहां ईरान के तेल और गैस के प्रमुख स्थान स्थित हैं, जैसे कि खुज़स्तान प्रांत में बंदरगाह विशाल इमाम खुमैनी पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स और अबादान तेल रिफाइनरी। इन हमलों के बाद से ईरान का एयर डिफेंस नेटवर्क बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
क्यों गंभीर है यह हमला?
ईरान के तेल और गैस उद्योग के विशेषज्ञ हामिद हुसैनी के अनुसार, इजरायल का यह हमला सिर्फ एक संदेश नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है। इस हमले के बाद ईरान को न केवल अपनी आर्थिक सुरक्षा बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पुनर्विचार करने की जरूरत है। यह घटना एक ऐसा मोड़ बन सकती है जो पूरे क्षेत्र में संकट का कारण बन सकता है, विशेषकर अगर दोनों देशों के बीच यह प्रतिशोध का सिलसिला जारी रहता है।
इस हमले के बाद ईरान ने संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर इस हमले की कड़ी निंदा की और इसे "अवैध और आक्रामक" करार दिया। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि अगर इजरायल इस तरह की हरकतें जारी रखता है, तो ईरान भी पूरी तरह से जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। ईरानी अधिकारियों ने इसे "रेड लाइन" क्रॉस करने की संज्ञा दी और इसके गंभीर परिणामों की चेतावनी दी।
इजरायल का हमला और अमेरिका की भूमिका
सूत्रों के अनुसार, इजरायली हमलों में एयर डिफेंस सिस्टम और रडार को विशेष रूप से निशाना बनाया गया। इजरायली अधिकारियों के मुताबिक, उन्होंने इन हमलों में ईरान के चार एस-300 एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह से नष्ट कर दिया, जो कि रूस से खरीदे गए थे। इस दौरान इजरायल ने अमेरिकी समर्थन की अनुपस्थिति में ही ईरान के महत्वपूर्ण स्थानों पर हमले किए, जो इस हमले की रणनीति का हिस्सा था। इराक के हवाई क्षेत्र से इन हमलों को अंजाम देने पर ईरानी सेना ने अमेरिका पर दोषारोपण किया, लेकिन अमेरिका ने इससे अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उसका इसमें कोई हाथ नहीं है।
क्या आगे होगा युद्ध?
यह घटना पश्चिम एशिया में एक संभावित युद्ध की आशंका पैदा करती है। ईरान और इजरायल का संघर्ष केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे जुड़े देशों और संगठनों के कारण यह एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध का कारण बन सकता है। ईरान के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम की क्षति ने उसकी सुरक्षा की नींव को कमजोर कर दिया है, और इससे भविष्य में अन्य हमलों की संभावना को बल मिला है। ईरानी सैन्य अधिकारी इस समय मरम्मत का काम तेजी से कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह लंबे समय तक चल पाएगा?
वैसे आपको बता दें कि पिछले हमलों में इजरायल ने एयर डिफेंस सिस्टम के साथ-साथ रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के मिसाइल निर्माण ठिकानों को भी निशाना बनाया। इसने न केवल ईरान की सैन्य क्षमताओं को प्रभावित किया है, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था को भी कमजोर करने का संकेत दिया है। यह हमला एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें इजरायल ईरान की मिसाइल निर्माण क्षमता को रोकना चाहता है।
इजरायल और ईरान के बीच का यह टकराव एक छोटे से विवाद से शुरू होकर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर चिंता का विषय बन गया है। ईरान के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम की तबाही ने उसकी सुरक्षा की परतों को खोल दिया है। ईरानी अधिकारियों को न केवल सैन्य दृष्टिकोण से बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी इस घटना का विश्लेषण करना होगा। ईरान को चाहिए कि वह समझदारी से काम लेते हुए कूटनीतिक रास्ते अपनाए, अन्यथा यह संघर्ष अनियंत्रित हो सकता है। यह घटना पश्चिम एशिया की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में दोनों देश किस तरह की रणनीति अपनाते हैं।