क्या Dhami की जाने वाली है कुर्सी, एक नेता के Modi, Shah से मुलाकात के बाद क्यों छिड़ी चर्चा
मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक ये खबरें तैरने लगीं थीं कि योगी और केशव के बीच झगड़ा चल रहा है लेकिन सोमवार को जब योगी के बगल में बैठे केशव मौर्य की तस्वीरें सामने आईं तो योगी को कुर्सी से हटाने का एजेंडा चलाने वाले मीडिया के तमाम मठाधीशों का सपना चकनाचूर हो गया और अब यूपी की तरह उत्तराखंड की सत्ता संभाल रहे पुष्कर सिंह धामी को लेकर भी कुछ इसी तरह की खबरें चलाई जा रही हैं
Pushkar Singh Dhami : जिस उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 71 और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 62 सीटों पर जीत मिली। उस यूपी में इस बार लोकसभा चुनाव में 33 सीटों पर क्या सिमटी। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक ये खबरें तैरने लगीं कि। योगी और केशव के बीच झगड़ा चल रहा है। तो कहीं ये अटकलें लगाई जाने लगीं कि योगी को सत्ता से हटाया जा सकता। लेकिन सोमवार को जब योगी के बगल में बैठे केशव मौर्य की तस्वीरें सामने आईं तो योगी को कुर्सी से हटाने का एजेंडा चलाने वाले मीडिया के तमाम मठाधीशों का सपना चकनाचूर हो गया। और अब यूपी की तरह उत्तराखंड की सत्ता संभाल रहे Pushkar Singh Dhami को लेकर भी कुछ इसी तरह की खबरें चलाई जा रही हैं।
दरअसल धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत कुछ ही दिनों पहले दिल्ली के दौरे पर गये थे। जहां उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। से लेकर गृहमंत्री अमित शाह जैसे बड़े नेताओं के साथ मुलाकात भी की थी। तो वहीं संसद परिसर में सपाई सांसदों से भी मुलाकात करते नजर आए। धन सिंह रावत के दिल्ली दौरे के बाद से ही जिस पहाड़ में मौसम अक्सर सर्द रहा करता है। उस पहाड़ की राजनीति में माहौल गरम होने लगा है। क्योंकि धन सिंह रावत की बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ मुलाकात को अब सीएम धामी की कुर्सी से जोड़ कर देखा जाने लगा है। और यहां तक खबरें चलाई जा रही हैं कि जल्द ही सीएम धामी की कुर्सी जाने वाली है। एक बड़े पत्रकार अजीत सिंह राठी ने तो यहां तक कह दिया कि। उत्तराखंड के मंत्री धन सिंह रावत एक ही दिन में पीएम और गृहमंत्री से मिले, चल क्या रहा है दिल्ली में ?
तो वहीं कुछ बड़े मीडिया मठाधीशों ने भी बस एक मुलाकात को आधार बनाकर खबरें चलाना शुरू कर दिया कि धामी की कुर्सी जाने वाली है। जिस तरह से मीडिया वालों ने यूपी में कई बार योगी सरकार गिराई और बनाई। कुछ उसी तरह की कोशिश अब उत्तराखंड के साथ भी की जा रही है। जिससे सियासी सनसनी फैलाई जा सके कि उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बदलने वाला है। जबकि हकीकत ये है कि फिलहाल कम से कम उत्तराखंड में ऐसा कुछ नहीं होने वाला है।
धामी को नहीं हटाएंगे मोदी !
उत्तर प्रदेश में भले ही बीजेपी को मिली कम सीटों के बाद योगी को कुर्सी से हटाने की अफवाहें उड़ाई गई हों। लेकिन उत्तराखंड में कम से कम ऐसा दांव काम आने वाला नहीं है, क्योंकि साल 2014 और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड की सभी पांच सीटों पर क्लीन स्वीप करने वाली बीजेपी को इस बार भी इतिहास रचने में धामी सरकार ने पूरी मदद की। और जब चुनावी नतीजे आए तो एक बार फिर जहां कांग्रेस के हाथ खाली रह गये। तो वहीं बीजेपी ने सभी पांचों सीटों पर जीत का भगवा लहरा दिया। और ये संभव हो सका तो इसके पीछे मोदी सरकार के साथ साथ डबल इंजन वाली धामी सरकार भी बड़ी वजह रही। सीएम धामी की सरकार ने केंद्र सरकार की सभी योजनाओं को उत्तराखंड में अच्छी तरह से जमीन पर उतराने में बड़ी भूमिका निभाई। जिसकी वजह से बीजेपी को पहले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में जीत मिली और फिर लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल हुई।
धामी ने पूरा किया BJP का संकल्प !
पूरे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानि यूसीसी लागू करना जनसंघ के समय से ही बीजेपी का सपना रहा है। लेकिन इसके बावजूद बीजेपी के इस संकल्प को ना तो अटल सरकार पूरा कर पाई और ना ही मोदी सरकार अपने दो कार्यकाल में अब तक पूरा कर सकी लेकिन हां, इतना जरूर है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में धामी सरकार ने बीजेपी को ये संकल्प पूरा करने के लिए कदम जरूर बढ़ा दिया है। और इसी साल 9 नवंबर को उत्तराखंड के स्थापना दिवस के दिन पूरे राज्य में इसे लागू भी कर देंगे।
धामी ने बनाया नकल विरोधी कानून।
बात यहीं खत्म नहीं होती। बात जब नकल माफियाओं पर लगाम लगाने की आती है तो इस मामले में भी धामी सरकार पीछे नहीं रही है। नकल विरोधी कानून के तहत नकल माफिया को आजीवन कारावास या फिर 10 साल कैद की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही ऐसे पेपर लीक करने वाले नकल माफिया के खिलाफ 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही पेपर लीक करने वाले माफिया की संपत्ति भी जब्त की जा सकती है।
नकल विरोधी कानून में ये भी प्रावधान किया गया है कि अगर कोई छात्र भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक करते हुए पकड़ा जाता है या फिर नकल के जरिए परीक्षा पास करता है तो उस पर 10 साल का बैन लगाया जा सकता है। रही बात सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले भूमाफियाओं को सबक सिखाने की तो इस मामले में भी धामी सरकार जहां सख्त रही है। तो वहीं चार धाम यात्रा में उमड़े श्रद्धालुओं के जनसैलाब को भी बेहतरीन तरीके से मैनेज करके दिखाया है। इतना ही नहीं बिना कोई विवाद। और बिना कोई दाग के लगातार साल 2021 से सरकार चलाना भी सीएम धामी के लिए एक बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। इसी बात से समझ सकते हैं कि दिल्ली में बैठा आलाकमान उत्तराखंड में अच्छी खासी चल रही धामी सरकार के साथ फिलहाल कोई छेड़छाड़ नहीं करने वाली है। इसीलिये मोदी शाह के साथ धन सिंह रावत की शिष्टाचार मुलाकात को उत्तराखंड में सत्ता परिवर्तन के तौर पर देखने वाले चंद खबरनवीसों को फिलहाल इतना समझ लेना चाहिए कि उत्तराखंड में ऐसा कुछ नहीं होने वाला है।