चुनाव से पहले Jammu and Kashmir में क्या कुछ बड़ा होने वाला है
नेशनल कॉन्फ्रेंस के मेनिफेस्टो में 12 गारंटियां दी गई हैं। जिनमें आर्टिकल 370 की वापसी पर भी फोकस किया गया है। वहीं, बीजेपी ने इस पर पलटवार किया है।
Jammu and Kashmir :लोकसभा चुनाव में दो सीटें जीतनी वाली नेशनल कांफ्रेस Jammu and Kashmir में चुनाव का ऐलान होते ही हरकत में आ गई है। दो सीटें जीतने वाली पार्टी ने ऐसा घोषणा पत्र बनाया है मानों सरकार ही बना लेगी। केजरीवाल की शरण में आ चुके फारुख अब्दुल्ला ने मेनीफेस्टों में फ्री की रेवडियों की भरमार पेश है। धारा-370 को बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ने की बात की है। लंबे वक्त से सत्ता से बाहर चल रहे उमर अब्दुल्ला ने चुनावी घोषणा पत्र से हिंदुओं को भी साधने की कोशिश की है। उमर के मुताबिक अगर उनकी सरकार आती है तो कश्मीरी पंडितों का दोबारा कश्मीर में बसाया जाएगा। जिस पार्टी ने छह बार जम्मू-कश्मीर पर शासन किया, हिंदुओं का नरसंहार जिसके राज में हुआ वो पार्टी अगर ऐसा वादा करें तो क्या विश्वास किया जा सकता है। इस सवाल का जवाब आप दीजिएगा। मतलब 100 चुहे खाकर बिल्ली हज को चली है। वहीं काम उमर अब्दुल्ला कर रहे है। तो चलिए अब आपको बता देते है कि उमर अबदुल्ला ने कश्मीर की जनता को मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखाए है।
नेशनल कांफ्रेंस ने दी 12 गारंटिया
धारा-370 की बहाली की जाएगी । क्रॉस एलओसी व्यापार और बस सेवा की बहाली। राजनीतिक और कानूनी स्थिति की बहाली। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को फिर से तैयार करना। भूमि और भूमिहीनों की सुरक्षा । भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत और राजनीतिक कैदियों की रिहाई। कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास। नौकरियों और पासपोर्ट के लिए पुलिस सत्यापन को सरल बनाना। बिजली और पानी की समस्याओं का समाधान। हर महीने 200 यूनिट मुफ्त। हर साल 12 मुफ्त गैस सिलेंडर. वृद्धावस्था विधवा पेंशन में वृद्धि।
नशीली दवाओं पर बैन लगाने की बात भी कही गई है, लेकिन पाकिस्तान से कैसे ड्रोन के जरिए ड्रग्स की तस्करी होती है, उसे पूरा देश जानता है, तो केजरीवाल की तर्ज पर जनता को मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखाए तो गए है। अब देखना होगा जनता इन सपनों को देखती है या नहीं। हालांकि बीजेपी ने उमर अब्दुल्ला के वादों पर पलटवार भी किया है। बीजेपी का कहना है कि ये झूठ का पुलिंदा है, जम्मू-कश्मीर में 370 और 35A एक्सपायर हो चुका इंजेक्शन है, न तो उमर अब्दुल्ला, न नेशनल कॉन्फ्रेंस और न ही कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने का कोई सवाल है, फिर वे अनुच्छेद 370 को वापस कैसे लाएंगे। उमर अब्दुल्ला न तो मुख्यमंत्री बनेंगे और न ही वे सत्ता में आएंगे, इसलिए अनुच्छेद 370 को वापस लाने का मुद्दा ही नहीं उठता।
यहां फिर से वहीं काकटेल देखने को मिला है, जो इस वक्त नेता सत्ता में आने के लिए जनता को परोश रहे है। मतलब सेलेक्टिव राजनीति, जो इनके वोटर को खुश करने वाली बात है वहीं बोला जाए। विकाश नाम से इनका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है। लेकिन यहां सोचने वाली बात ये भी है कि क्या अब्दुल्ला की पाकिस्तान से कोई डील हो गई है। क्योंकि इनके धोषणा पत्र को देखकर तो ऐसा ही लगता है कि ये पाकिस्तान परस्ती मे अंधे हो गए है।ये पाकिस्तान के साथ व्यापार की बात करते है, बस सेवा फिर से शुरु करने की बात करते है। शायद पाकिस्तान के हाथ में जो कटोरा है उसे देखकर दुखी है। लेकिन जैसा उमर अब्दुल्ला सोच रहे है वैसा होने वाला है। भले ही कितनी भी कोशिश कर लें।