क्या महाराष्ट्र में होने वाला है राजनीतिक खेल, CM देवेंद्र फडणवीस के बयान ने दिया संकेत !
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद जब से सुबह की कमान देवेंद्र फडणवीस के हाथों में आई है तब से राजनीतिक माहौल कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा है। सीएम से कई बड़े नेताओं की मुलाकात ने राज्य में नई-नई राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया। क्योंकि जो कभी विधानसभा चुनाव के दरम्यान एक दूसरे पर हमलावर थे अब उनके भी सुर बदले हुए है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद जब से सुबह की कमान देवेंद्र फडणवीस के हाथों में आई है तब से राजनीतिक माहौल कुछ बदला बदला सा नजर आ रहा है। सीएम से कई बड़े नेताओं की मुलाकात ने राज्य में नई-नई राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दिया। क्योंकि जो कभी विधानसभा चुनाव के दरम्यान एक दूसरे पर हमलावर थे अब उनके भी सुर बदले हुए है।
दरअसल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से जब शिवसेना यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे ने मुलाकात की तब से ही सियासी गलियारों में उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस को लेकर चर्चा चल रही थी। इसके बाद एक बार फिर आदित्य ठाकरे ने मुलाकात की और इसी दौरान शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना में मुख्यमंत्री के कार्य की प्रशंसा भी हुई। इसके बाद कई तरह के सवाल राजनीतिक माहौल पर नजर रखने वाले लोगों के मन में आ रहे हैं। इसी तरह के कई सवालों को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की अब प्रतिक्रिया सामने आई है। दरअसल, बीते शुक्रवार को नागपुर में जीव हाल पुरस्कार वितरण समारोह में जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से पूछा गया कि इस बार में राज ठाकरे को चुनेंगे या फिर उनके भाई और शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे को, इसी तरह एकनाथ शिंदे या अजीत पवार को। इस पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं है उद्धव ठाकरे पहले मेरे मित्र थे फिर राज ठाकरे मेरे मित्र बन गए अब राज ठाकरे मित्र हैं और उद्धव ठाकरे शत्रु नहीं है।" वही शिंदे और अजीत पवार के सवाल पर उन्होंने कहा कि "अगर आप मुझसे पूछे तो एकनाथ शिंदे और अजीत पवार दोनों नेताओं के साथ मेरे बहुत करीबी संबंध है इन दोनों का अलग-अलग लोगों के साथ अलग-अलग तालमेल हो सकता है। एकनाथ शिंदे और मैं पुराने मित्र हैं हालांकि अजीत पवार की राजनीतिक परिपक्वता के कारण उनकी और मेरी सोच मेल खाती है।"
ग़ौरतलब है कि महाराष्ट्र में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच सीधी टक्कर थी। लेकिन जनता का आशीर्वाद एक बार फिर से महायुति की सरकार को मिला। जिसमें बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है।