स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराते समय इन नियमों का पालन करना है बेहद जरुरी..
स्वतंत्रता दिवस के ख़ास मौके पर तिरंगा झंडा फहराना आम बात है लेकिन इस दिन कई लोग झंडा फहराने में कई गलतियां कर बैठते हैं, क्योंकि झंडा फहराने के कुछ नियम हैं जो सभी को फॉलो करना चाहिए।
भारत में तिरंगा, यानी राष्ट्रीय ध्वज, फहराने के नियमों का निर्धारण 'भारतीय ध्वज संहिता' (Indian Flag Code) द्वारा किया गया है। यह संहिता यह सुनिश्चित करती है कि तिरंगे के प्रति उचित सम्मान और गौरव बनाए रखा जाए। इन नियमों का पालन करना हर भारतीय नागरिक, सरकारी अधिकारी और संस्थान के लिए आवश्यक है।
पहला नियम -
तिरंगे को हमेशा सम्मान के साथ फहराया जाना चाहिए। इसे फहराने का समय सूर्योदय से सूर्यास्त तक होता है, और रात में तिरंगा केवल तभी फहराया जा सकता है जब उसे उचित रूप से रोशनी दी गई हो। किसी भी परिस्थिति में तिरंगे को जमीन पर या पानी में गिरने नहीं दिया जाना चाहिए।
दूसरा नियम -
तिरंगे का रंग संयोजन बिल्कुल सही होना चाहिए। तिरंगे में तीन रंग होते हैं: केसरिया (सैफ्रन), सफेद और हरा, और इसके मध्य में नीले रंग का अशोक चक्र होता है। तिरंगे को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए, जैसे इसे फाड़ना, जलाना, या किसी अन्य तरह से अपमानित करना।
तीसरा नियम -
तिरंगे को हमेशा ऊँचाई पर फहराया जाना चाहिए, और किसी भी अन्य ध्वज को तिरंगे के ऊपर नहीं फहराया जा सकता। यदि एक ही स्थान पर कई ध्वज फहराए जा रहे हों, तो तिरंगे को सबसे पहले और सबसे ऊँचे स्थान पर रखा जाना चाहिए।
चौथा नियम -
तिरंगे का उपयोग केवल आधिकारिक उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। इसे वाणिज्यिक उपयोग के लिए, जैसे कि कपड़े, कागज, या अन्य वस्तुओं पर प्रिंट करके बेचना, गलत माना जाता है। तिरंगे का उपयोग वस्त्र के रूप में, विशेष रूप से नीचे की वस्त्र (लोअर गार्मेंट्स), कुशन, या नैपकिन के रूप में नहीं किया जा सकता।
पाँचवाँ नियम -
तिरंगे को किसी भी स्थिति में उल्टा नहीं फहराया जा सकता, जिसमें हरे रंग को ऊपर की ओर रखा गया हो। तिरंगे को हमेशा इस प्रकार फहराया जाना चाहिए कि केसरिया रंग सबसे ऊपर हो और हरा रंग सबसे नीचे।
छठा नियम -
राष्ट्रीय शोक के अवसर पर तिरंगे को आधा झुकाया जाता है। इसके लिए सरकार द्वारा आदेश जारी किए जाते हैं, और इसे बिना अनुमति के आधा झुकाना अपराध माना जाता है। आधा झुकाने की प्रक्रिया के दौरान, तिरंगे को पहले पूरी ऊँचाई तक फहराया जाता है और फिर धीरे-धीरे आधा झुकाया जाता है।
सातवाँ नियम -
तिरंगे का उपयोग किसी भी तरह की सजावट के रूप में नहीं किया जा सकता। इसे सजावट के उद्देश्य से किसी भी वस्त्र या सामग्री पर प्रिंट करके प्रयोग नहीं किया जा सकता। तिरंगे का उपयोग किसी भी तरह की प्रदर्शनी या मंच पर भी बहुत सम्मान के साथ किया जाना चाहिए।
आठवाँ नियम -
तिरंगे को फहराने के बाद सम्मानपूर्वक उतारा जाना चाहिए। इसे सही तरीके से मोड़कर सुरक्षित स्थान पर रखा जाना चाहिए। इसे अनियंत्रित तरीके से कहीं भी नहीं फेंका जा सकता। अगर तिरंगा पुराना या खराब हो जाता है, तो इसे आदरपूर्वक नष्ट किया जाना चाहिए, जैसे उसे आग में जलाकर।
इन नियमों का पालन हर नागरिक का कर्तव्य है, ताकि हमारे राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान और गरिमा बनी रहे।