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जम्मू-कश्मीर चुनाव: पोल‍िंग बूथ तक जाने में असमर्थ मतदाताओं ने घर से ही दिया वोट

जम्मू-कश्मीर में चुनाव आयोग और जिला प्रशासन की खास पहल की बदौलत ऐसे मतदाताओं को उनके घर पर ही मतदान करने की सुविधा दी गई है, जो मतदान केंद्र तक जाने में असमर्थ हैं।
जम्मू-कश्मीर चुनाव: पोल‍िंग बूथ तक जाने में असमर्थ मतदाताओं ने घर से ही दिया वोट

जम्मू-कश्मीर में हाल के विधानसभा चुनावों में एक अनोखी पहल देखने को मिली है, जिसके तहत उन मतदाताओं को घर पर ही मतदान करने की सुविधा दी गई है, जो पोलिंग बूथ तक जाने में असमर्थ हैं। इस पहल का उद्देश्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना है, और इसे चुनाव आयोग तथा जिला प्रशासन द्वारा विशेष तौर पर लागू किया गया है।

असमर्थ मतदाताओं के लिए विशेष व्यवस्था

जम्मू-कश्मीर में दूसरे चरण के मतदान के दौरान, विशेष रूप से बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए यह व्यवस्था लागू की गई है। मतदान के अधिकार का उपयोग करने के लिए यह आवश्यक था कि सभी नागरिकों को उनकी सुविधानुसार मतदान का मौका मिले। इसके लिए प्रशासन ने 85 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं या किसी दुर्घटना के कारण चलने में असमर्थ लोगों के लिए घर पर जाकर मतदान कराने की व्यवस्था की है।

बुजुर्ग मतदाताओं की खुशी

उधमपुर जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों में मंगलवार को वोटिंग के दौरान, कई मतदाताओं ने अपने अनुभव साझा किए। गिरधारी लाल, जो कि 12 वर्ष पहले एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए थे, उन्होंने बताया, "मैं चलने-फिरने में असमर्थ हूं, लेकिन निर्वाचन आयोग की टीम ने मेरे घर आकर मुझसे मतदान कराया। मैं इस पहल के लिए धन्यवाद देता हूं।" उनकी खुशी इस बात की द्योतक है कि लोकतंत्र की इस महत्ता को समझते हुए, प्रशासन ने कितनी सजगता से इस योजना को लागू किया है। सचिन शर्मा, जो 2018 में एक दुर्घटना का शिकार हो गए थे, उन्होंने कहा कि, "मैं मतदान केंद्र तक नहीं जा सकता था, लेकिन प्रशासन ने मेरी मदद की। मैं अपने मताधिकार का उपयोग कर सका, और यह मेरे लिए गर्व का क्षण था।"

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में तीन चरणों में मतदान किया जा रहा है। पहले चरण में 24 सीटों के लिए 18 सितंबर को मतदान हुआ, जबकि दूसरे चरण में 26 सीटों के लिए मतदान मंगलवार को हो रहा है। आखिरी चरण में बची हुई 40 सीटों के लिए एक अक्टूबर को मतदान प्रस्तावित है। सभी परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। 

ऐसे में इस पहल ने न केवल असमर्थ मतदाताओं को लोकतंत्र में भाग लेने का अवसर दिया, बल्कि यह दिखाया कि सरकार अपने नागरिकों के प्रति कितनी सजग और उत्तरदायी है। यह पहल यह दर्शाती है कि लोकतंत्र केवल वोट डालने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक प्रक्रिया है जिसमें सभी नागरिकों को शामिल किया जाना चाहिए।Source: IANS

Source: IANS
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