कटिहार के सांसद तारिक अनवर ने NDA के घटक दलों पर कसा तंज, कहा-'जनता माफ़ नहीं करेगी'
चुनावी राज्य बिहार की करें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू में भी घमासान मचा हुआ है। पार्टी के पांच नेताओं ने पार्टी से इस्तीफ़ा भी सौंप दिया है। इन सबके बीच बिहार के कटिहार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर ने शनिवार को बिहार की उन राजनैतिक दलों पर तंज कसा है जो NDA गठबंधन में शामिल है।

वक्फ संशोधन विधेयक संसद की दोनों सदन से पास होने के बाद अब क़ानून बनाने की प्रक्रिया से सिर्फ़ एक कदम दूर है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही ये बिल कानून बन जाएगा। ऐसे में इस बिल के लिए बीजेपी का समर्थन देने वाली घटक दलों को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। ख़ासतौर पर चुनावी राज्य बिहार की करें तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू में भी घमासान मचा हुआ है। पार्टी के पांच नेताओं ने पार्टी से इस्तीफ़ा भी सौंप दिया है। इन सबके बीच बिहार के कटिहार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर ने शनिवार को बिहार की उन राजनैतिक दलों पर तंज कसा है जो NDA गठबंधन में शामिल है। जो ख़ुद को सेक्यूलर छवि दिखती है लेकिन इस मुद्दे पर एक तरफ़ा बीजेपी को अपना समर्थन दिया।
सांप्रदायिक राजनीति कर रही पार्टी
बिहार के कटिहार के सांसद तारिक अनवर ने शनिवार को कहा कि जदयू, लोजपा (रामविलास) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) पार्टी पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि ये पार्टियां भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति की राह पर चल रही हैं। तारिक अनवर ने कहा कि भाजपा का साथ देकर इन दलों ने न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना की है, बल्कि बिहार की गंगा-जमुनी तहजीब पर भी चोट की है। उन्होंने कहा कि इन तीनों दलों की राजनीति ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि ये लोग सत्ता की खातिर भाजपा की सांप्रदायिक सोच के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। बिहार की जनता इस विश्वासघात को कभी माफ नहीं करेगी।
नए कानून में घटा महिलाओं का अधिकार
उन्होंने आगे कहा कांग्रेस की तरफ से कई सवाल पूछते हुए कहा कि ये सवाल बिहार की जनता की ओर से कांग्रेस पूछना चाहती है। उन्होंने कहा कि क्या यह सही नहीं है कि भाजपा समेत इन तीनों दलों ने वक्फ अधिनियम 1995 (संशोधन 2013) का संसद के दोनों सदनों में समर्थन किया था? यदि हां, तो आज उसे गलत कैसे ठहरा सकते हैं? यही नहीं, 1995 के वक्फ कानून में महिलाओं को दो या अधिक स्थान देने का प्रावधान था, तो फिर नए कानून में इसे घटाकर दो तक क्यों सीमित कर दिया गया? अनवर ने एक अन्य सवाल में पूछा कि संशोधन 2013 की धारा 52(ए) के अनुसार वक्फ संपत्ति पर अवैध कब्जा करने वालों को दो साल का कठोर कारावास और गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया था, तो फिर अब कठोर शब्द हटाकर और जमानती बनाकर किसे लाभ पहुंचाया जा रहा है? उन्होंने कहा कि क्या वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 83(9) उच्च न्यायालय को स्वत संज्ञान लेने का अधिकार नहीं देती? फिर, यह भ्रामक प्रचार क्यों फैलाया गया कि अदालत संज्ञान नहीं ले सकती? वही क्या नया वक्फ कानून बिहार की सांप्रदायिक सद्भावना पर सीधा हमला नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस काले कानून का पुरजोर विरोध करती है और बिहार की गंगा-जमुनी तहज़ीब की रक्षा के लिए पूरी ताकत से खड़ी रहेगी।