Katra to Shrinagar: Railway ने पहाड़ खोद कर कैसे बनाई 36 सुरंग, जानकर दंग रह जाएंगे
Modi राज में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक बनकर तैयार हो गया है जिस पर वंदे भारत ट्रेन जब रफ्तार भरेगी तो ये सफर भी किसी रोमांच से कम नहीं होगा क्योंकि 272 किलोमीटर लंबे इस सफर में 119 किलोमीटर सफर तो 36 सुरंगों से होकर गुजरेगा जिनमें कई सुरंग तो ऐसी बनाई गईं हैं... जो शानदार इंजीनियरिंग की अद्भुत मिसाल बन चुकी हैं !

हिमालय की ऊंचाइयों में जहां बादल धरती से मिलते हैं और घाटियां रहस्य बुनती हैं. धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले उस कश्मीर में भारतीय रेल का सपना हकीकत में बदल गया जब उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक की परियोजना साकार हुई. और दशकों बाद ये सब कुछ हुआ तो वो भी मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद. जिसने आतंकवाद के लिए बदनाम कश्मीर को विकास के रास्ते पर दौड़ाना शुरू किया।
जिस कश्मीर तक कभी रेल से जाना भी आसान नहीं हुआ करता था. उस कश्मीर तक अब रेल दौड़ेगी. क्योंकि मोदी राज में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक बनकर तैयार हो गया है. जिस पर वंदे भारत ट्रेन जब रफ्तार भरेगी. तो ये सफर भी किसी रोमांच से कम नहीं होगा. क्योंकि 272 किलोमीटर लंबे इस सफर में 119 किलोमीटर सफर तो 36 सुरंगों से होकर गुजरेगा. जिनमें कई सुरंग तो ऐसी बनाई गईं हैं. जो शानदार इंजीनियरिंग की अद्भुत मिसाल बन चुकी हैं.
T-50 सुरंग
सुंबरखी में बनी T-50 सुरंग भारत की सबसे लंबी परिवहन सुरंग है जिसकी लंबाई 12.77 किमी है जो कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एक लाइफलाइन की तरह है, क्वार्टजाइट, ग्नाइस और फिल्लाहट जैसे कठिन चट्टानों से होकर गुजरने वाली इस टनल को न्यू टनल मेथड से बनाया गया है, इसमें एक मुख्य मार्ग के साथ-साथ एक समानांतर सुरक्षा सुरंग भी बनाई गई है जो 375 मीटर पर क्रॉस-पैसेज से जुड़ी है
T-80 सुरंग
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक पर बनी 11.2 किमी लंबी T-80 सुरंग बनिहाल काजीगुंड में है, पीर पंजाल पर्वतमाला के नीचे बनी T-80 सुरंग जम्मू और कश्मीर के बीच साल भर संपर्क सुनिश्चित करती है, यह बर्फबारी और ऊंचाई की बाधाओं को पार करके व्यापार और आवागमन को काफी बेहतर बनाती है
T-34 सुरंग
तीसरी लंबी सुरंग है T-34 जो पाई-खड्ड से अजी खड्ड के बीच 5.009 किलो मीटर लंबी है, यह सुरंग दोहरी टनल प्रणाली पर आधारित है जिनमें एक मुख्य सुरंग ट्रेन के आवागमन के लिए है जबकि दूसरी सामानंतर सुरंग 375 मीटर पर क्रॉस-पैसेज से जुड़ी है, इतना ही नहीं ये सुरंग भारत के पहले केबल-स्टे रेलवे ब्रिज अंजी खड्ड पुल से जुड़ी है
T-33 सुरंग
कटरा बनिहाल खंड में बनी T-33 सुरंग की लंबाई 3.2 किलो मीटर है जो त्रिकूट पर्वत की तलहटी में कटरा-बनिहाल मार्ग का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है, कमजोर डोलोमाइट और मेन बाउंड्री थ्रस्ट जोन से गुजरते हुए इसे बनाने में कई भूगर्भीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, 2017 में एक बड़े ढहावट के बाद कार्य रुक गया था जिसके बाद 2022 में आई-सिस्टम ऑफ टनलिंग को अपनाया गया जिसमें गहरी निकासी प्रणाली, पाइप रूफिंग, केमिकल ग्राउटिंग और मजबूत सपोर्ट शामिल था, ये सुरंग इंजीनियरिंग कौशल और धैर्य की मिसाल है
T-23 सुरंग
उधमपुर चक रकवाल में बनी 3.15 किलोमीटर लंबी सुरंग T-23 एक ऐसी सुरंग है जिसमें बैलेस्ट-लेस टैक बिछाया गया है जिसे बनाने में साल 2008 में भारी दबाव, सूजन और नीचे की ओर उठाव जैसी समस्याएं आईं थीं जिसके बाद 1.8 किलो मीटर हिस्से को फिर से डिजाइन कर रूट बदला गया
T-1 सुरंग
उन्नत तकनीक से बनी इस सुरंग की लंबाई 3.209 किलो मीटर है जिसे बनाने में कई चुनौतियों से जूझना पड़ा जिसमें भारी कीचड़ और पानी का रिसाव भी शामिल था, आई-सिस्टम ऑफ टनलिंग तकनीक से इन समस्याओं का समाधान किया गया
T-25 सुरंग
इस सुरंग को बनाने का काम साल 2006 में शुरू हुआ जिसमें बड़ी चुनौती खुदाई के दौरान खोजी गई भूमिगत जलधारा थी, ये धारा 500 से 2000 लीटर प्रति सेकेंड पानी बह रहा था, इस जल संकट को नियंत्रित करने में ही 6 साल का समय लग गया, ये सुरंग झज्जर नदी पर बने ब्रिज 186 से जुड़ती है
ऐसी 36 सुरंगें हैं जो उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक के बीच पड़ती हैं… जिन्हें बनाने के लिए बेहतरीन इंजीनियरिंग के साथ ही कड़ी मेहनत और धैर्य की जरूरत पड़ी।तब जाकर मोदी सरकार रेल लाइन के जरिये कश्मीर को भारत के दिल से जोड़ने में सफल हो पाई... जो भारत की अडिग संकल्प शक्ति की एक मिसाल भी है. इस ऐतिहासिक रेल लिंक पर 19 अप्रैल को जब वंदे भारत ट्रेन रफ्तार भरेगी तो भारत एक नया इतिहास रचता हुआ नजर आएगा। क्योंकि कटरा को श्रीनगर से जोड़ती वंदे भारत ट्रेन जैसे ही ट्रैक पर दौड़ेगी... भारत कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल मार्ग से जुड़ जाएगा।