केजरीवाल की 'आप' को झटके पर झटका, MCD से भी हाथ धो बैठेगी पार्टी !
दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों ने भाजपा जॉइन कर दी है, जिससे दोनों दलों के पार्षदों की संख्या बराबरी पर आ गई है। अब 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से यह तय होगा कि दिल्ली में नगर निगम की सत्ता किसके पास रहेगी। बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इसे "ट्रिपल इंजन की सरकार" बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया। इस बदलाव से कांग्रेस की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो सकती है।

दिल्ली के सत्ता हाथ से खिसकने के बाद अब आम आदमी पार्टी के सामने एक और बड़ी विपदा आ गई है, जिसने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री, आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के अन्य नेताओं की चिंता को बढ़ा दिया है। दरअसल, मामला यह है कि अब आपके सामने दिल्ली नगर निगम में भी 'आप' की सत्ता पर खतरा मंडरा रहा है। शनिवार को दिल्ली नगर निगम के तीन पार्षदों ने आम आदमी पार्टी का साथ छोड़ते हुए भाजपा का दामन थाम लिया है। इसके बाद नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के पार्षदों की संख्या बराबरी पर आ गई है। ऐसे में अब 11 सीटों पर जल्द होने वाले उपचुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि दिल्ली की नगर निगम में किसकी सत्ता रहेगी।
AAP के तीन पार्षदों ने बिगाड़ा खेल
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद एक तरफ आम आदमी पार्टी के संयोजक भविष्य में बीजेपी का सामना करने और दिल्ली सरकार को उनके जनता से किए वादे याद दिलाने के लिए रणनीति बना ही रहे थे कि खुद उनके सामने एक बड़ी समस्या आई जब शनिवार को आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद सियासी मौसम का रुख देखते हुए भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। इनमें एंड्रयूज गंज की पार्षद अनिता बसोया, हरि नगर से निखिल चपराना और आरकेपुरम से धरमवीर सिंह ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इन तीनों पार्षदों के बीजेपी में शामिल होते ही 250 संख्या बल वाली दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी के 116 और बीजेपी के 116 पार्षद हो गए हैं। इन दोनों दलों के संख्या बल बराबरी के दिखाई दे रहे हैं। इन सब के बीच एक बार फिर कांग्रेस की अहम भूमिका दिल्ली नगर निगम में हो सकती है क्योंकि नगर निगम के अंदर कांग्रेस के पास सात पार्षद हैं। इसके मुताबिक यदि उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत नहीं होती है या फिर दिल्ली नगर निगम के कुछ और पार्षद बीजेपी में चले गए, तो आम आदमी पार्टी जो विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस को अपने साथ रखना मुनासिब नहीं समझती थी, अब उसे कांग्रेस के सहारे की जरूरत पड़ सकती है।
नगर निगम की 11 सीटों पर होंगे उपचुनाव
दरअसल, लोकसभा चुनाव में पश्चिमी दिल्ली से सांसद बनी कमलजीत सहरावत पहले द्वारका बी वार्ड से पार्षद थीं। लोकसभा चुनाव में उनकी जीत के बाद यह सीट रिक्त हो गई। इसके बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में 17 पार्षद चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे थे, जिनमें बीजेपी के सात और आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद विधायक बन चुके हैं। इस तरह से कुल पार्षदों की 11 सीट पर उपचुनाव होंगे। ऐसे में एमसीडी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह उपचुनाव भी विधानसभा चुनाव की तरह बेहद ही दिलचस्प होंगे, जिसके नतीजे यह तय करेंगे कि दिल्ली की एमसीडी में आम आदमी पार्टी की सरकार रहती है या फिर दिल्ली में ट्रिपल इंजन की भाजपा सरकार चलेगी।
क्या बोले दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष
आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों को तोड़ते हुए अपने पार्टी में शामिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, "बार-बार यह सवाल आ रहा था कि दिल्ली में डबल इंजन की सरकार, अब यह बात चलने लगी है कि दिल्ली में ट्रिपल इंजन की सरकार।" उन्होंने आगे कहा, "हमें दिल्ली को एक ऐसा प्रदेश और शहर बनाना है कि जिस पर हर भारतवासी गर्व कर सके। इसमें कार्य में जो भी अपनी आहुति देगा वह जीवन भर खुद को आनंदित महसूस करेगा।"
गौरतलब है कि साल 2022 में जब दिल्ली एमसीडी के चुनाव हुए थे, तब दिल्ली की मुख्य सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी ने एमसीडी में 15 वर्षों से राज करने वाली बीजेपी को हारते हुए बड़ी जीत पाई थी। इसमें आप को 134 और बीजेपी को 104 वार्ड में जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस 9 वार्डों में चुनाव जीती थी। इसके बाद आपके कई पार्षद धीरे-धीरे टूट कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम चुके हैं।