Kejriwal ने जारी किया Delhi का ‘Crime Map’ और सीधे Amit Shah पर बोला हमला !
जिस राजधानी दिल्ली में बैठकर गृहमंत्री अमित शाह पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था पर नजर रखते हैं, उसी राजधानी में लगातार बढ़ते क्राइम ग्राफ पर लगता है कि गृहमंत्री अमित शाह की नजर नहीं है। ऐसा लग रहा है कि दिल्ली की सुरक्षा भी राम भरोसे चल रही है। यही वजह है कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी मोदी सरकार पर निशाना साधने का बड़ा मौका मिल गया है। और उन्होंने अमित शाह के बहाने सीधे मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, “बेटी को पढ़ाने की जिम्मेदारी हमारी थी, हमने बेटी को पढ़ाया, वहीं बेटी की सुरक्षा की जिम्मेदारी गृह मंत्री अमित शाह के पास थी, उन्होंने बेटी को नहीं बचाया…”
दिल्ली की सत्ता भले ही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के पास हो, लेकिन दिल्ली की पुलिस उनकी सरकार के पास नहीं है। यही वजह है कि उन्होंने मोदी सरकार पर ना सिर्फ सियासी पलटवार किया, बल्कि इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्राइम मैप भी जारी किया। और सीधे आरोप लगा दिया कि राजधानी दिल्ली में, जहां गृहमंत्री अमित शाह बैठते हैं, वहां का इलाका भी अब सुरक्षित नहीं रहा।
पूर्व सीएम केजरीवाल ने जो राजधानी दिल्ली का क्राइम मैप जारी किया है, उसके मुताबिक...
गृह मंत्रालय से कितनी दूर हुईं वारदातें?
- 25 किलोमीटर दूर फर्श बाजार में डबल मर्डर
- 43 किलोमीटर दूर नरेला में माइनर रेप केस
- 43 किलोमीटर दूर पैसे को लेकर 3 लोगों की हत्या
- 27 किलोमीटर दूर रोहिणी में माइनर रेप केस
- 12 किलोमीटर दूर उबर रेप केस की वारदात
- 34 किलोमीटर दूर बवाना में माइनर रेप केस
- 22 किलोमीटर दूर पीरागढ़ी में माइनर रेप केस
- 10 किलोमीटर दूर फॉर्च्यूनर कार लूटी गई
- 21 किलोमीटर दूर द्वारका में गैंग रेप केस
- 27 किलोमीटर दूर छावला में रेप केस
- 10 किलोमीटर दूर कैंट में माइनर रेप केस
- 11 किलोमीटर दूर महरौली में रेप केस
- 19 किलोमीटर दूर जंगल में शरीर के 13 अंग मिले
- 8 किलोमीटर दूर लाजपत नगर में रेप केस
- 6 किलोमीटर दूर 70 लाख रुपये की लूट
ये तो महज कुछ आंकड़े हैं, लेकिन ऐसी तमाम वारदातें गृह मंत्री अमित शाह की नाक के नीचे हुईं, जिसकी लिस्ट जारी कर पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला। क्योंकि दिल्ली में सरकार भले ही आम आदमी पार्टी के पास हो, लेकिन दिल्ली की पुलिस अमित शाह के गृह मंत्रालय के पास ही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि दिल्ली वाले अपनी सुरक्षा के लिए किसके सामने गुहार लगाएं? क्या वे चुनी हुई दिल्ली सरकार से मदद मांगें, जिसके पास लोगों की मदद करने के लिए पुलिस ही नहीं है, या फिर गृह मंत्री अमित शाह से, जिन्हें दिल्ली की जनता ने विधानसभा चुनाव में वोट ही नहीं दिया?
इस कन्फ्यूजन की स्थिति से निपटने के लिए ही दिल्ली सरकार लगातार केंद्र सरकार से मांग करती रही है कि पुलिस विभाग उसे दे दिया जाए, लेकिन केंद्र सरकार इस मामले पर मौन साधे हुए है। वैसे, आपको क्या लगता है? राजनीति को परे रखते हुए, क्या पुलिस भी दिल्ली सरकार को सौंप दी जानी चाहिए, जिससे कम से कम लोगों की सुरक्षा के मामले में दूसरे राज्यों की तरह दिल्ली में भी चुनी हुई सरकार की जवाबदेही तय की जा सके।