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जिस 'बाबा के बुलडोज़र' का विरोध कर रहा विपक्ष, उसपर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा सुनिए ?

सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर गंभीर टिप्पणी की है, कोर्ट ने कहा है कि बुलडोजर एक्शन गंभीर और चिंताजनक है, कुछ राज्यों में जिस प्रकार से कार्रवाई हो रही है, वह नियमों का उल्लंघन है, सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी किया जाएगा, हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का असर उत्तर प्रदेश पर कितना पड़ेगा, यह सवाल उठने लगा है, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी महत्वपूर्ण है, कोर्ट ने यूपी में चलने वाले बुलडोजर एक्शन की सराहना की है, विस्तार से जानिए क्या है पूरी ख़बर।
जिस 'बाबा के बुलडोज़र' का विरोध कर रहा विपक्ष, उसपर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा सुनिए ?

पचास-पचास कोस दूर जब बच्चा रोता है, तो मां कहती है, "सो जा नहीं तो गब्बर आ जाएगा।" 50 साल पहले आई शोले फ़िल्म का यह डॉयलॉग कुछ मशहूर हुआ था। मां अपने बच्चों को सुलाने के लिए अक्सर यह कहा करती थी, "सो जा बच्चा वरना गब्बर आ जाएगा।" अब आप सोच रहे होंगे कि इस डॉयलॉग को आज मैं आपसे क्यों बता रहा हूं? तो भूमिका में इस डॉयलॉग को बताने का बस इतना ही मकसद है कि अब बदलते दौर के साथ डॉयलॉग भी बदल रहे हैं। सोचिए, जिस गब्बर के नाम से बच्चों को डराया जाता था, अगर आज वह गब्बर सच में होता और यूपी में होता, तो वह भी डरता। किससे डरता पता है? बाबा के बुलडोजर से। तब डॉयलॉग बोला जाता, "भाग गब्बर भाग, वरना बाबा का बुलडोजर आ जाएगा।"

चलिए, बहुत हुई भूमिका, अब आते हैं सीधे खबर पर, क्योंकि मामला बेहद दिलचस्प है। दरअसल, 2017 से उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाल रहे योगी आदित्यनाथ का सीधा और सपाट संदेश है कि गुंडे, माफियाओं और अपराधियों की कमर तोड़ना बेहद जरूरी है। जिसके बाद यूपी में पिछले 7 साल से लगातार बुलडोजर गरज रहा है। अतीक, अशरफ़, मुख़्तार, विकास दूबे जैसे तमाम माफियाओं की अकड़ बुलडोजर से तोड़कर उन्हें ज़मींदोज़ कर दिया गया। लेकिन लगातार हो रही बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया, जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने सख़्त टिप्पणी की है, जिसके बाद विरोधी जश्न मना रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "बुलडोजर एक्शन गंभीर और चिंताजनक है। कुछ राज्यों में जिस प्रकार से कार्रवाई हो रही है, वह नियमों का उल्लंघन है। हम इसको लेकर सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी करेंगे।"

हालांकि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूपी में होने वाले बुलडोजर एक्शन की सराहना की और कहा कि यूपी में कार्रवाई को नियम-कानून के तहत ही पूरा कराया जाता है। ऐसे में कोर्ट की यह टिप्पणी विरोधियों को जरूर चुभेगी। गौरतलब है कि योगी राज में हो रहे बुलडोजर एक्शन पर लगातार विपक्ष सवाल उठाता रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कहते हैं, "बीजेपी की राज्य सरकारों द्वारा संविधान की अवहेलना करने और नागरिकों में भय पैदा करने के लिए बुलडोजर चलाने की रणनीति का इस्तेमाल करना ग़लत है। किसी का घर गिराकर उसे बेघर करना निंदनीय है।"अब कांग्रेस और विपक्षी भले ही योगी सरकार में हो रही बुलडोजर कार्यवाही पर सवाल उठाएं, लेकिन दूसरी तरफ इन्होंने भी अपने राज में खूब बुलडोजर चलाया है।

ग़ैर बीजेपी शासित राज्यों में चले बुलडोजर:

  • जब राजस्थान में गहलोत राज था, तब उन्होंने भी बुलडोजर एक्शन का सहारा लिया था। शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने वाले आरोपियों के कोचिंग सेंटर को ढहा दिया था।
  • 2020 में जब महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे हुआ करते थे, तब महाराष्ट्र में बुलडोजर एक्शन देखने को मिला था। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बीएमसी ने कंगना रनौत के पाली हिल स्थित बंगले के एक हिस्से पर बुलडोजर चलाया था।
  • यानि एक तरफ तो बीजेपी शासित राज्यों में हो रही बुलडोजर कार्रवाई पर विरोधियों को दिक़्क़त होती है, जबकि दूसरी तरफ खुद के शासन वाले राज्यों में बुलडोजर चलता है तो चुप्पी साध लेते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट खुद मानता है कि यूपी में योगी राज में चल रहा बुलडोजर कानून का पालन करते हुए चल रहा है।

कैसे मशहूर हुआ बुलडोजर एक्शन?

साल था 2017, यूपी की सत्ता पर क़ाबिज़ हुए योगी आदित्यनाथ। सीएम योगी के पहले कार्यकाल में असामाजिक गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत लगभग 15,000 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए और कई आरोपियों के अवैध घरों को भी ध्वस्त किया गया। राज्य की कानून व्यवस्था सुधारने और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए उनके खिलाफ बुलडोजर एक्शन की शुरुआत की गई, जो अभी भी जारी है।इसी बुलडोजर कार्यवाही का विपक्ष विरोध करता है, जबकि सुप्रीम कोर्ट सख़्त टिप्पणी तो करता है लेकिन यूपी में चल रहे बुलडोजर एक्शन की सराहना भी करता है।

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