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मदरसे अब मनमानी नहीं कर पाएंगे, सरकार के एक आदेश ने कमर तोड़ दी

मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने मदरसों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसे में धार्मिक शिक्षा दी गई तो कड़ी कार्रवाई होगी। बच्चों को उनके अभिभावकों की अनुमति के बिना धार्मिक शिक्षा दी जा रही होगी तो ऐसे मदरसों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
मदरसे अब मनमानी नहीं कर पाएंगे, सरकार के एक आदेश ने कमर तोड़ दी
मदरसा।  ये एक अरबी शब्द है। जिसका मतलब है जहां पर शिक्षा या तालीम दी जाती है। ये मूल रूप से हिब्रू भाषा से आया है जिसे मिदरसा कहा जाता है यानी पढ़ने का स्थान। अगर बात की जाएं की मदरसों में पढ़ाया क्या जाता है तो जवाब मिलता है कि मदरसों में इस्लामिक शिक्षा दी जाती है। इनमे कुरान, हदीस बच्चों को पढ़ाया जाता है। इस्लाम की जानकारी दी जाती है। लेकिन भारत में जो मदरसे है वो इस वक्त सरकार की रडार पर है। मदरसों पर सरकार का शिकंजा उस वक्त से ज्यादा कसा है जब असम के एक मदरसें से आतंकी पकड़ा गया था और उसे सरकार ने बुलडोजर से ढहा दिया था। कुछ लोगों का तो यहां तक भी कहना है कि जितने भी आतंकी पकड़े जाते है उनका संबंध किसी ना किसी लिहाज से दारुल उलूम देवबंद से जरुर मिलता है। 


शायद यही कारण है कि ज्यादातर राज्यों में मदरसे सरकार की रडार पर है। यहीं कारण है उत्तरप्रदेश के मदरसों का सर्वे करवाया गया। आठ हजार मदरसों को नोटिस भेज दिया गया। और अब इसी से मिलता जूलता कदम मध्यप्रदेश सरकार ने भी उठाया है। मध्यप्रदेश सरकार ने मदरसों में पढ़ रहे बच्चों के सत्यापन के लिए आदेश जारी किया है। इस दौरान अगर मदरसों में गैर-मुस्लिम छात्र पढते पाए जाते है तो मदरसों की मान्यता रध्द कर दी जाएगी। क्योंकि देशभर से तमाम ऐसी खबरें निकलकर आती है, जहां मदरसों में माता-पिता की मंजूरी के बिना, या फिर हिंदू बच्चों को इस्लाम की तालीम दी जाती है। इसके पीछे का कारण है जनसंख्या। जैसे हि किसी इलाके में मुसलमानों की जनसंख्या हिंदूओं से ज्यादा हुई फिर वहां तांड़व होता है, कही रविवार की छुट्टी को शुक्रवार करने की बात कही जाती है और कहीं गरीब हिंदू बच्चों को लालच देकर या फिर जबरदस्ती मदरसों में पढ़ाया जाता है। 

शायद इसीलिए  मध्यप्रदेश सरकार को ये बड़ा कदम उठाना पड़ा है। यहां सरकार के आदेश के पीछे एक और कारण भी है और वो है कि सरकारी सहायता लेने के लिए गैर मुस्लिम बच्चों के नाम फर्जी ढंग से छात्रों के रुप में दर्ज कर दिए जाते है, और सरकारी पैसा हड़पा जाता है। राज्य का अपने आदेश में कहाना है कि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार यदि शासन द्वारा मान्यता प्राप्त या राज्य निधि से सहायता प्राप्त मदरसों में अध्ययनरत बच्चों को उनकी  स्पष्ट सहमति के बिना उनके धर्म की शिक्षा के विपरित दीनी तालीम दी जा रही है या किसी प्रकार की धार्मिक शिक्षा ग्रहण करने अथवा उपासना में उपस्थित होने को बाध्य किया जा रहा है, तो ऐसे मदरसों के सभी शासकीय अनुदान बंद किया जाए। इसके अलावा उनकी मान्यता समाप्त करने की विधिवत कार्यवाही एवं अन्य उपयुक्त वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

मदरसों के बारे में इतना तो सबको पता है कि दीनी तालीम दी जाती है, लेकिन उसके अलावा कैसा जहर भरा जाता है वो सभी को नहीं पता है। कैसे हिंदुओं के खिलाफ भड़काया जाता है। और दूसरे धर्मों को कमतर दिखाया जाता है। लेकिन अब धीरे धीरे राज्य वार मदरसों के के सर्वे किए जा रहे है। लेकिन राजनीति करने वाले लोगों को इसमें भी राजनीति नजर आती है। अगर बच्चों को उनका अधिकार मिल रहा है तो शायद इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन बिना राजनिति के देश नही चलता है। 
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