इजरायल की खुफिया एजेंसी "मोसाद" स्टाइल में माफिया कर रहे कांड ! बाबा सिद्दीकी मर्डर में हुआ इस पैटर्न का इस्तेमाल !
महाराष्ट्र की राजनीति के बड़े चेहरे रहे एनसीपी (अजीत पवार गुट) नेता बाबा जुनैद सिद्दीकी की गोली मार कर हत्या कर दी गई है। इस हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली है। लेकिन इस हत्या का पैटर्न बिल्कुल वैसा ही है। जिस पैटर्न पर बाहुबली माफिया अतीक अहमद और अशरफ,संजीव जीवा,मुन्ना बजरंगी की हत्या हुई थी। ऐसे में रोंगटे खड़े कर देने वाले बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में इजरायल की खुफिया एजेंसी "मोसाद" का पैटर्न सामने आया है।
देश की मायानगरी कहलाने वाली मुंबई में 12 अक्टूबर को दिल दहला देने वाला एक ऐसा मर्डर हुआ। जिसने देश भर में हलचल पैदा कर दी। जहां एक तरफ हर कोई विजयादशमी और मूर्ति विसर्जन में व्यस्त था। तो वहीं इस मर्डर ने हर किसी को चौंका दिया। किसी को भी इस मर्डर का अंदाजा नहीं था। महाराष्ट्र की राजनीति के कद्दावर नेता जुनैद सिद्दीकी (बाबा सिद्दीकी) की लॉरेंस बिश्नोई गैंग के शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
बाबा सिद्दीकी राजनीति से ज्यादा हर साल अपनी इफ्तार पार्टी के लिए जाने जाते थे। जहां घर पर आयोजित इस पार्टी में पूरा बॉलीवुड उमड़ता था। तीनों खान से लेकर कोई ऐसा नामी एक्टर या ऐक्टर्स नहीं होती थी। जो इस पार्टी में न पहुंचे। लेकिन बाबा सिद्दीकी अब नहीं रहे। इनका मर्डर करने वाले 3 शूटरों में से 2 यूपी के बहराइच जिले से और 1 हरियाणा का रहने वाला है। तीनों ही शूटर में 2 शूटर 20 साल से कम के हैं। इस मर्डर का जिम्मा लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली है। ऐसे में इस मर्डर केस मे कुछ ऐसे एंगल नजर आ रहे हैं। जिसने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल जिस तरीके से हमलावरों ने बाबा को गोली मारी। उसका पूरा पैटर्न इजरायल की खुफिया एजेंसी "मोसाद" की तरह है। वहीं बीते साल बाहुबली अतीक अहमद और उसके भाई का मर्डर,संजीव जीवा मर्डर,मुन्ना बजरंगी की हत्या में भी "मोसाद" पैटर्न नजर आया था। बता दें कि इस पैटर्न की शुरुआत सबसे पहले यूपी से हुई थी। जो अंडरवर्ल्ड डॉन बबलू श्रीवास्तव ने शुरू की थी। तो चलिए इस हत्या कांड के साथ "मोसाद" पैटर्न का पूरा कनेक्शन समझते हैं।
झोपड़ी में रहता है परिवार दोनों शूटर पुणे गए थे कमाई करने
बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में पकड़े गए दो शूटर बहराइच जिले के कैसरगंज थाना क्षेत्र के गंडारा के बताए जा रहे हैं। दोनों की गिरफ्तारी के बाद से इनके गांव में पुलिस द्वारा मामले की जांच पड़ताल की जा रही है और आम पब्लिक की भीड़ जमा है। बता दें कि धर्मराज कश्यप और शिवा गौतम दोनों एक ही गांव के हैं। दोनों पुणे पैसा कमाने गए थे। परिवार झोपड़ी में रहता है और आर्थिक हालात ठीक नहीं है। घर वाले परेशान हैं और उन्हें पुलिस द्वारा इस मामले की जानकारी दी गई है।
दोनों ही शूटरों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं
बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में गिरफ्तार हुए तीन शूटरों में से दो शूटर अभिराज और शिवा गौतम का पुराना कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। दोनों का पहली बार किसी अपराध में नाम सामने आया है। इनमें शिवा गौतम का परिवार झोपड़ी में रहता है। शिवा की मां ने बताया कि बेटे का आज तक किसी से कोई झगड़ा नहीं हुआ। वो मेहनत मजदूरी करने पुणे गया था। वो महीने में 2-4 हजार भेज दिया करता था। वहीं धर्मराज की मां बताती है कि बेटा 2 महीने पहले ही पुणे गया था और होली पर आने की बात कही थी।
"मोसाद" स्टाइल अपना रहे माफिया
लखनऊ के एक वरिष्ठ पत्रकार ने एनबीटी से बातचीत कर बताया "इस हत्याकांड में खतरनाक खेल का शक जाहिर होता है। अपराध की दुनिया से राजनीति में आए लोगों का पैटर्न एक जैसा ही रहा है। बाबा सिद्दीकी भी दाऊद इब्राहिम के साथ शामिल रह चुके थे। इस तरह के अपराध से निपटने की शैली का "मोसाद" इस्तेमाल करती है। "मोसाद" अपने टारगेट को एलिमिनेट कराता है। नए और बेदाग छवि वाले लोगों को भी टारगेट देता है। जिस तरीके से बाबा सिद्दीकी के मर्डर केस में शामिल बहराइच के दोनों शूटर का कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। वैसा ही कुछ माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के शूटरों का भी कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। इसी तरह संजीव माहेश्वरी जीवा के भी हत्यारों का भी कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। मुन्ना बजरंगी मर्डर केस में भी शूटरों की कोई क्रिमिनल हिस्ट्री नहीं है। ऐसे कई उदहारण और मामले आपको देखने को मिल जाएंगे"।
अतीक,अशरफ,जीवा और बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में कम उम्र के शूटर
बाहुबली माफिया अतीक अहमद और अशरफ की पुलिस कस्टडी में अस्पताल ले जाते वक्त गोली मारकर हत्या हुई थी। दोनों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गई थी। उस हत्याकांड में भी तीन शूटर शमिल थे और तीनों की उम्र 18 से 22 के बीच थी। इन तीनों के ऊपर छोटे-मोटे झगड़े के अलावा इनके ऊपर कोई बड़ा मामला नहीं था। सनी,लवलेश और अरुण का अतीक से कोई दुश्मनी नहीं थी। वहीं लखनऊ कोर्ट में पेशी पर आए संजीव माहेश्वरी जीवा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। जीवा को गोली मारने वाला शूटर सिर्फ 24 साल का था। शूटर विजय यादव जौनपुर जिले के केराकत के एक छोटे से गांव सुल्तानपुर में रहता था। विजय पहले मुंबई में रहता था। लेकिन गांव वापस आने के बाद वह करीब 3 महीने तक रहा। फिर किसी काम के सिलसिले को बात कर वह लखनऊ गया और उसने एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया। मुन्ना बजरंगी केस में भी शूटर पेशेवर अपराधी नहीं थे। ऐसे में देखा जाए। तो इन सभी मामलों में एक जैसा ही पैटर्न नजर आता है।
डॉन बबलू श्रीवास्तव ने पहली बार किया था। "मोसाद" स्टाइल का आगाज
बता दें कि जेल में सजा काट रहे डॉन बबलू श्रीवास्तव ने सबसे पहले यूपी में इस पैटर्न की शुरुआत की थी। उसने कॉन्ट्रैक्ट किलिंग और किडनैपिंग घटनाओं को अंजाम देना शुरू किया था। बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में शामिल बहराइच के दोनों आरोपियों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। लेकिन उसके बावजूद एसटीएफ को शक है कि दोनों आरोपी किसी संगठित गिरोह के साथ जुड़े हुए थे। क्योंकि जिस तरीके से दोनों ने इस घटना को अंजाम दिया। वह कोई पेशेवर अपराधी ही कर सकता है। ऐसे में इस बात की भी आशंका है। कि इन्होंने इस घटना को अंजाम देने से पहले बाकायदा ट्रेनिंग भी ली होगी।
फिलहाल धर्मराज गिरफ्तार हो चुका है। लेकिन दूसरा आरोपी शिवा अभी भी फरार है। इस मामले में कई और गिरफ्तारियां हुई हैं। मामले की जांच पड़ताल लगातार चल रही है।