महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार: फडणवीस और पवार का दिल्ली दौरा, क्या शिंदे को गृह मंत्रालय मिलेगा?
महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार को लेकर सियासी हलचल तेज है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे। इस बीच, शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे के गृह मंत्रालय मांगने की खबरें सुर्खियों में हैं, लेकिन बीजेपी ने इसे नकार दिया है।
महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों उथल-पुथल का माहौल है। कैबिनेट विस्तार की सुगबुगाहट के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार दिल्ली दौरे पर हैं। दिल्ली में उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से होनी है। वहीं, शिवसेना प्रमुख और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे दिल्ली जाने के कार्यक्रम में शामिल नहीं हैं। यह सियासी घटनाक्रम कई सवाल खड़े कर रहा है, खासकर गृह मंत्रालय को लेकर चल रही चर्चाओं को।
क्या शिंदे को गृह मंत्रालय नहीं मिलेगा?
महाराष्ट्र में गृह मंत्रालय पर खींचतान की खबरें लगातार चर्चा में हैं। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने पीटीआई से कहा कि शिवसेना को गृह विभाग और राजस्व विभाग मिलने की संभावना नहीं है। यह फैसला महायुति गठबंधन में शामिल तीन दलों—बीजेपी, शिवसेना, और एनसीपी—के बीच गहराते विवाद का नतीजा माना जा रहा है। गौरतलब है कि फडणवीस जब डिप्टी सीएम थे, तब गृह मंत्रालय उनके पास था। अब जब वे मुख्यमंत्री हैं, शिंदे की पार्टी शिवसेना इस मंत्रालय की मांग कर रही है। लेकिन बीजेपी का रुख साफ है कि यह विभाग शिवसेना को नहीं सौंपा जाएगा। शिवसेना को शहरी विकास विभाग मिलने की चर्चा है, लेकिन राजस्व विभाग पर भी उसे फिलहाल मौका नहीं मिलेगा।
कैबिनेट विस्तार की तैयारी
बीजेपी नेता ने यह भी संकेत दिया है कि 14 दिसंबर को महाराष्ट्र कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। महाराष्ट्र मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित कुल 43 मंत्री हो सकते हैं, जिनमें से फिलहाल कई पद खाली हैं। बीजेपी के कोटे से 21-22 मंत्री बनने की संभावना है, जबकि 4-5 पद भविष्य की जरूरतों के लिए खाली छोड़े जा सकते हैं।
महायुति गठबंधन ने पिछले विधानसभा चुनाव में 288 में से 230 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो उसकी मजबूती का परिचायक है। हालांकि, अब मंत्रियों के विभागों को लेकर जिस तरह खींचतान जारी है, वह गठबंधन की अंदरूनी चुनौतियों को भी उजागर करता है।
फडणवीस और अजित पवार का दिल्ली दौरा
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि फडणवीस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिष्टाचार मुलाकात करेंगे। इसके साथ ही, वे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मिलेंगे। इन मुलाकातों का मकसद महाराष्ट्र में विकास योजनाओं और गठबंधन की मजबूती को सुनिश्चित करना है। अजित पवार के इस दौरे से यह भी संकेत मिलता है कि एनसीपी के साथ बीजेपी की समीकरण को और मजबूत करने की कोशिश हो रही है। वहीं, शिंदे का इस दौरे से दूर रहना उनकी असहमति का इशारा हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिंदे के पास इस समय सीमित विकल्प हैं। गृह मंत्रालय न मिलने की स्थिति में उनकी पार्टी की पकड़ कमजोर हो सकती है। शहरी विकास और अन्य छोटे विभाग मिलने से शिवसेना का प्रभाव घट सकता है। दूसरी ओर, बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है। अजित पवार की एनसीपी भी गठबंधन में अहम भूमिका निभा रही है, और इस गठबंधन में शिवसेना का भविष्य अधर में दिखाई दे रहा है।
कैसे बदलेगा महाराष्ट्र का सियासी समीकरण?
महाराष्ट्र में सत्ता का संतुलन पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में झुका हुआ है। फडणवीस और अजित पवार की जोड़ी ने महायुति को एकजुट रखा है, लेकिन शिंदे की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। आगामी कैबिनेट विस्तार महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करेगा। गृह मंत्रालय को लेकर जारी खींचतान न केवल महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश की राजनीति में चर्चा का विषय बनी हुई है। शिंदे की पार्टी के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, जहां उन्हें तय करना होगा कि गठबंधन के भीतर अपनी स्थिति को कैसे मजबूत करें।
महाराष्ट्र की राजनीति में हर दिन नए मोड़ आ रहे हैं। गृह मंत्रालय को लेकर खींचतान और कैबिनेट विस्तार की अटकलों ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार, और एकनाथ शिंदे की तिकड़ी में बढ़ती दरार महायुति गठबंधन की स्थिरता पर सवाल खड़े कर रही है। आने वाले दिन महाराष्ट्र की राजनीति के लिए निर्णायक साबित होंगे।